ईरान में सितंबर 2022 के मध्य में महासा अमीनी नामक महिला को वहाँ की मोरालिटी पुलिस ने प्रताड़ित कर के मार डाला। इसके बाद ही वहाँ हिजाब के विरोध में महिलाओं का प्रदर्शन जारी है। इसी बीच मीडिया में खबर चली कि विरोध प्रदर्शन के आगे झुकते हुए इस्लामी मुल्क ने ‘Morality Police’ को ख़त्म कर दिया है। हालाँकि, ईरान की पत्रकार मसीह अलीनेजाद का इस संबंध में कुछ और ही कहना है। उन्होंने ‘न्यूयॉर्क टाइम्स (NYT)’ पर फेक न्यूज़ फैलाने का आरोप लगाया है।
ईरानी-अमेरिकी मूल की पत्रकार से ‘ABC News’ ने जब पूछा कि क्या ‘मोरालिटी पुलिस’ को खत्म किया जाना महिला प्रदर्शनकारियों की जीत है, तो उन्होंने जवाब में कहा कि इस खबर उन्हें और ईरानियों में खासी चोट पहुँची है, क्योंकि NYT में इस खबर की हेडिंग देख कर वो हैरान थे। उन्होंने पूछा कि ये किस किस्म की जीत है? उन्होंने इसे एक कोरा झूठ और भ्रामक सूचना करार दिया। मसीह अलीनेजाद ने कहा कि मात्र 2 महीनों में ईरान की सरकार ने 500 से अधिक लोगों को मार डाला है।
उन्होंने जानकारी दी कि मृतकों में 62 बच्चे हैं। साथ ही 18,000 से भी अधिक प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार भी किया गया है। ‘मोरालिटी पुलिस’ को ख़त्म किए जाने की खबर को उन्होंने ईरान की सरकार का प्रोपेगंडा वाला कदम करार दिया। महिला पत्रकार ने कहा कि जब किसी तानाशाह की गद्दी हिलती है तो वो भ्रामक सूचनाओं का इस्तेमाल कर के बाकी दुनिया को भरमाता है। उन्होंने कहा कि समाज में विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए भी ऐसा किया जाता है।
उन्होंने ये जानकारी भी दी कि जिस दिन मीडिया ने ‘मोरालिटी पुलिस’ को खत्म करने की खबर चलाई, उसी दिन ईरान के एक एम्यूजमेंट पार्क को सिर्फ इसीलिए बंद कर दिया गया, क्योंकि वहाँ एक महिला ने हिजाब नहीं पहन रखा था। उक्त महिला की तस्वीर भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई। महिला पत्रकार ने बताया कि 7 साल की बच्चियाँ भी बिना हिजाब के स्कूल तक नहीं जा सकती हैं। साथ ही सवाल दागा कि ऐसे में लड़कियाँ कॉलेज-यूनिवर्सिटी कैसे पहुँचेंगी?
मसीह अलीनेजाद ने कहा कि ‘Morality Police’ को खत्म किया जाना ईरान में चल रहे विरोध प्रदर्शन का मुद्दा ही नहीं है, बल्कि लिंगभेद को रोकना है। उन्होंने याद दिलाया कि किस तरह 5 साल पहले भी पश्चिमी मीडिया ने खबरें चलाई थीं कि ईरान की ‘मोरालिटी पुलिस’ अब हिजाब न पहनने वाली महिलाओं को गिरफ्तार नहीं करेगी, बल्कि ‘शैक्षिक प्रशिक्षण’ के लिए भेजेगी। उन्होंने कहा कि अब इसी पुलिस ने महासा अमीनी को मार डाला, जिसके बाद मुल्क भर में विरोध प्रदर्शन शुरू हुए।
ईरानी-अमेरिकी पत्रकार ने इंटरव्यू में कहा, “ईरान में निहत्थे लोग गोली-बन्दूक का सामना कर रहे हैं। लोगों ने इस्लामी गणतंत्र को ‘ना’ कह दिया है। हाल ही में FIFA वर्ल्ड कप में जब अमेरिका के हाथों ईरान की हार हुई तो ईरानियों ने जश्न मनाया। लोग अब इस सरकार को सरकार समझते ही नहीं हैं। ये हत्यारी सरकार है। ईरान सरकार कुछ भी कहे, इस्लामी गणतंत्र का अंत होने से ही समस्या का समाधान होगा, क्योंकि तब इस सरकार को भी जाना पड़ेगा।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि ये 21वीं सदी है और ईरान के नागरिक एक धर्मनिरपेक्ष गणतंत्र चाहते हैं, न कि इस्लामी तानाशाही। उन्होंने कहा कि मजहब लोगों के घरों में रहे और उन्हें आज़ादी व सम्मान मिले, यही इस आंदोलन का उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी मीडिया ‘मोरालिटी पुलिस’ को खत्म किए जाने को जीत बता रहा है, जबकि असली जीत तब होगी जब मौलानाओं की सरकार जाएगी। उन्होंने कहा कि लोग आशावान हैं और जीत ज़रूर मिलेगी।