अमेरिका में एक मुस्लिम डॉक्टर को 9 बच्चियों का खतना करने के मामले में आरोपित बनाया गया है। इनमें से सभी केवल 7 साल की बच्चियाँ थीं। गुरुवार (16 सितंबर 2021) को उसे कोर्ट में पेश किया गया। फेडरल अभियोजकों के मुताबिक, डॉ जुमाना नागरवाला डॉक्टरों के उस गैंग का हिस्सा है जो इस तरह के घृणित कार्य करने के लिए देश भर की यात्राएँ करते हैं।
डॉ. जुमाना नागरवाला को नवंबर 2018 में देश के अपनी तरह के पहले मामले के दौरान महिला जननांग का खतना करने के मामले में संघीय न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि इस प्रथा पर रोक लगाने वाला कानून असंवैधानिक था। इसके बाद नागरवाला को छोड़ दिया गया था।
रिपोर्ट के मुताबिक, अभियोजकों ने कोर्ट को बताया कि नागरवाला भारतीय समुदाय में चिकित्सकों के एक गुप्त नेटवर्क का हिस्सा थी, जो मजहब और परंपराओं के नाम पर ऐसा कर रहे थे। गुरुवार अदालती सुनवाई के दौरान खुलासा किया गया कि कैलिफोर्निया और इलिनोइस में महिला चिकित्सक भारतीय मुस्लिम दाउदी बोहरा समुदाय की नाबालिग लड़कियों का खतना कर रहीं थीं। नागरवाला पर आरोप है कि उसने पाँच नाबालिग लड़कियों खतना करने के लिए वाशिंगटन गया था।
अभियोजकों का आरोप है कि नागरवाला ने लिवोनिया क्लीनिक में नौ लड़कियों का खतना किया था, उसमें से चार चार मिशिगन से, दो मिनेसोटा से और तीन इलिनोइस से थीं। क्लीनिक का मालिक डॉ. फखरुद्दीन अत्तर है। आरोप है कि खतना के दौरान फखरुद्दीन अत्तर, उसकी बीवी फरीदा अत्तर ने दर्द से चिल्लाती, रोती बच्चियों के हाथ जकड़े थे। अभियोजकों ने तर्क दिया है कि बीते एक दशक में नागरवाला ने करीब 100 नाबालिग लड़कियों का खतना किया था।
इस साल मार्च में सरकार ने मामले में नया अभियोग लगाया था, जिसके झूठे बयान देने की साजिश और गवाह से छेड़छाड़ शामिल है। अभियोजकों का आरोप है कि नागरवाला और उनके तीन साथियों ने एफबीआई से उनके समुदाय में चल रही खतना परंपरा को लेकर झूठ बोला और समुदाय के बाकी लोगों को भी ऐसा करने के लिए कहा।
खतना का दंश झेल चुकीं सामाजिक कार्यकर्ता मारिया ताहेर ने इस प्रथा को मानवाधिकारों का उल्लंघन, लैंगिक हिंसा और सांस्कृतिक हिंसा करार दिया है।
गौरतलब है कि खतना की प्रथा पर दुनियाभर के 30 से अधिक देशों में इस पर प्रतिबंध लगाया गया है।