नेपाल ने कुछ दिनों पहले अपने विवादित नक्शे में भारत के कुछ इलाकों को शामिल किया था। अब वह अपने एफएम चैनल्स पर भारत विरोधी गानों का प्रसारण कर रहा है। इन गानों के जरिए वह लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा के इलाकों को भारत से वापस लेने की बात कह रहा है।
इन गानों का प्रसारण धारचुला एफएम समेत कुछ और चैनलों पर हो रहा है, जिसे उत्तराखंड के तमाम पर्वतीय इलाकों में सुना जा सकता है। ये इलाके नेपाल की सीमा के पास हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में टीचर की नौकरी करने वाली बबिता सांवल बताती हैं कि वह रोज अपने स्कूल से लौटते वक्त नेपाल के धारचुला एफएम सुनती थीं। हाल के दिनों में इस एफएम चैनल पर भारत विरोधी गानों का प्रसारण शुरू हो गया है, जिन्हें हर घंटे कई बार बजाया जाता है। इसे देखते हुए अब उन्होंने इन चैनलों को सुनना बंद कर दिया है।
बबिता सांवल एक गाने के बोल को याद करते हुए बताती हैं कि इसमें लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को वापस लेने की बात कही जाती है। एक अन्य गाने में कहा जा रहा है, “लिपुलेख और कालापानी हमारा होना चाहिए, यह हमारी भूमि है जो चोरी हो गई है।”
बताया जा रहा है कि इनमें से कुछ गाने पुराने हैं तो कुछ गानों को हाल के कुछ महीनों में ही रिकॉर्ड कराया गया है। कुछ गाने यू-ट्यूब जैसे सोशल प्लेटफॉर्म पर भी शेयर किए गए हैं।
पिथौरागढ़ के धारचूला उपमंडल के दांटू गांव निवासी शालू दताल ने बताया कि कुछ नेपाली एफएम चैनलों ने नेपाली गीतों के बीच भारत विरोधी भाषण देना शुरू किया है। उन्होंने कहा कि सीमा के दोनों ओर के लोग नेपाली गाने सुनते हैं। इस बीच वे नेपाली नेताओं के भारत विरोधी भाषण भी सुनते हैं।
नेपाल के मुख्य एफएम चैनलों के अलावा कुछ पुराने एफएम चैनल जैसे मल्लिकार्जुन रेडियो और annapurna.online जैसे वेबसाइट भारत विरोधी बातें रिपोर्ट करते हैं। कालापानी को नेपाल का हिस्सा बताते हैं।
धारचूला के रंग समुदाय के एक नेता कृष्णा गर्ब्याल ने बताया कि इन रेडियो स्टेशनों ने कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को नेपाली क्षेत्र मानते हुए यहाँ के मौसम की रिपोर्ट देना भी शुरू कर दिया है।
हालाँकि, जिला प्रशासन और पुलिस ने कहा कि उन्हें अपने एफएम रेडियो चैनलों के माध्यम से नेपाल द्वारा शुरू किए गए भारत विरोधी प्रोपेगेंडा के बारे में कोई जानकारी नहीं है। पिथौरागढ़ की पुलिस अधीक्षक प्रीति प्रियदर्शनी ने कहा, “इस विषय पर हमारी खुफिया इकाइयों ने कोई फीडबैक नहीं दिया है।”
धारचूला सर्किल अधिकारी वीके आचार्य ने भी इस पर अनभिज्ञता जाहिर की। उन्होंने कहा, “हमारी खुफिया इकाइयों ने अभी तक नेपाल द्वारा भारत विरोधी किसी भी तरह के प्रोपेगेंडा के बारे में नहीं बताया है।” वहीं व्यास घाटी के नेता अशोक नब्याल ने कहा कि सीमा पर सक्रिय भारतीय खुफिया एजेंसियों को प्रोपेगेंडा का जवाब देने में सक्षम होने के लिए स्थिति का संज्ञान लेने की आवश्यकता है।