भारत के इलाकों को अपना बताने वाले नक़्शे पर नेपाल ने कदम पीछे हटा लिए हैं। देश के नक्शे में फेरबदल के लिए नेपाल के संविधान में संशोधन किया जाना था। इसके लिए बुधवार (मई 27, 2020) को संसद में प्रस्ताव रखा जाना था। लेकिन अब इस मसले को कार्यसूची से बाहर कर दिया गया है। पार्टियों ने इस मामले पर राष्ट्रीय सहमति बनाने का फैसला किया है।
बताया जा रहा है कि नेपाल सरकार ने आखिरी वक्त पर संसद की कार्यसूची से संविधान संशोधन की कार्यवाही को हटा दिया। नेपाल में नए नक्शे को अपडेट करने को संविधान में संशोधन करने लिए निर्धारित बैठक टाल दी गई है।
इसके साथ ही नेपाल की प्रतिनिधि सभा में संशोधन के लिए संसद में निर्धारित चर्चा भी टल गई है। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने नए नक्शे के मसले पर राष्ट्रीय सहमति बनाने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई थी लेकिन सभी राजनीतिक दलों में इस मसले पर एक राय नहीं बन पाई। इस बैठक में सभी दल के नेताओं ने भारत के साथ बातचीत कर किसी भी मसले को सुलझाने का सुझाव दिया था।
बता दें कि नेपाल में किसी भी संविधान संशोधन के लिए दो-तिहाई बहुमत की जरूरत होती है। सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी का नेशनल असेंबली में दो-तिहाई बहुमत है, लेकिन इसे निचले सदन में संविधान संशोधन प्रस्ताव पास कराने के लिए उसे अन्य दलों से समर्थन की आवश्यकता होगी। निचले सदन में उसकी दो तिहाई बहुमत से 10 सीटें कम हैं।
हलाँकि, नेपाली कॉन्ग्रेस ने नए नक्शे को जारी करने के सरकार के कदम का समर्थन किया है। साथ ही उसका यह भी कहना है कि संविधान संशोधन प्रस्ताव के लिए पार्टी में चर्चा की आवश्यकता है। सत्तारूढ़ दल ने सभी से अपनी राजनीतिक माँगों को इसके साथ नहीं जोड़ने का आग्रह किया है।
नेपाली कॉन्ग्रेस के नेता कृष्ण प्रसाद सिटौला ने कहा है कि मानचित्र को अपडेट करने का निर्णय आगामी केंद्रीय कार्य समिति की बैठक में लिया जाएगा। इसलिए पार्टी ने संशोधन को कुछ समय के लिए टालने का अनुरोध किया है।
गौरतलब है कि नेपाल की ओर से अपने नए राजनीतिक नक्शे में भारतीय क्षेत्र दिखाए जाने पर भारत के विदेश मंत्रालय ने नेपाल को भारत की संप्रभुता का सम्मान करने की नसीहत दी थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था, “हम नेपाल सरकार से अपील करते हैं कि वो ऐसे बनावटी कार्टोग्राफिक प्रकाशित करने से बचें। साथ ही भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करें।”
साथ ही भारत ने यह भी कहा था कि नेपाल सरकार अपने फैसले पर फिर से विचार करे। अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था कि नेपाल सरकार, इस मामले में भारत की स्थिति से भलीभाँति वाकिफ है। बता दें कि नेपाल ने 18 मई को नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था। इसमें कालापानी, लिपुलेख और लिमिपियाधुरा को अपने क्षेत्र के रूप में दिखाया था। नेपाल ने अपने नक़्शे में कुल 335 वर्ग किलोमीटर के इलाके को शामिल किया था। इसके बाद 22 मई को संसद में संविधान संशोधन का प्रस्ताव पेश किया था।