क्या चीन के इशारे पर नेपाल को पाकिस्तान बनाने की साजिश रची जा रही है? क्या नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री और सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के सह अध्यक्ष पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड गिरफ्तार किए जाएँगे?
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली पर इस्तीफे के लिए बढ़ते दबाव के बीच ये सारे सवाल खड़े हुए हैं। इसकी वजह ओली की आर्मी चीफ जनरल पूर्ण चंद्र थापा के साथ हुई गुपचुप बैठक है। इस बैठक की जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है। सूत्रों के अनुसार रविवार को दोनों की आकस्मिक बैठक हुई।
ओली और जनरल थापा दोनों चीनपरस्त बताए जाते हैं। बताया जाता है कि चीन की नेपाल में राजदूत होऊ यांगी का दोनों पर जबर्दस्त प्रभाव है। यांगी की दखल आर्मी हेडक्वार्टर से पीएमओ तक बराबर बताई जाती है।
ओली और जनरल थापा के बीच मुलाकात ऐसे वक्त में हुई है, जब सोमवार (6 जुलाई) को दोपहर 11 बजे से सत्ताधारी पार्टी की शीर्ष ईकाई स्थायी समिति की बैठक होनी है। इसी बैठक में ओली का भविष्य तय होगा।
हालॉंकि उससे पहले आम सहमति बनाने के लिए ओली और दहल के बीच एक और मुलाकात होनी है। रविवार तक दोनों नेता आम राय बनाने में नाकामयाब रहे थे। इससे पहले शनिवार को स्थायी समिति की बैठक आखिरी क्षणों में टाल दी गई थी।
स्थायी समिति में प्रचंड का दबदबा माना जाता है। समिति के 44 सदस्य में से केवल 13 ही ओली के पक्ष में बताए जाते हैं।
ओली की कुर्सी पर यह संकट उनके भारत विरोधी एजेंडे और नेपाली जमीन पर चीनी अतिक्रमण को लेकर आँख मूॅंदने की वजह से खड़ी हुई है। पार्टी नेता उनके इस रुख का सार्वजनिक तौर पर विरोध कर रहे हैं।
पार्टी के भीतर अपने खिलाफ आवाज को दबाने के लिए ओली तमाम प्रयास कर चुके हैं। उन्होंने पार्टी के स्टूडेंट और यूथ विंग से मदद मॉंगी। विपक्षी नेपाल कॉन्ग्रेस के दरवाजे खटखटाए। अपने मंत्रियों तक को यह साफ करने को कहा कि वे किसके साथ हैं। यहॉं तक कि राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव लाए जाने को भी हवा दी, जिसे राजनीतिक दलों ने खारिज कर दिया।
ओली इस स्थिति के लिए भारत को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। लेकिन प्रचंड इसे अनुचित करार दे चुके हैं। वे ओली के इस्तीफे को लेकर अड़े हुए हैं।
लेकिन ऐसा लगता है कि ओली कुर्सी बचाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। वे सारी आशंकाएँ सच साबित होती दिख रही हैं जो प्रचंड पूर्व में स्थायी समिति की बैठक में जाहिर कर चुके हैं।
Nepal Prime Minister KP Sharma Oli holds talks with Nepal’s Chief of Army Staff (COAS) General Purna Chandra Thapa: Sources (file pics) pic.twitter.com/5Rg3jRwsrr
— ANI (@ANI) July 5, 2020
प्रचंड ने ओली पर निशाना साधते हुए कहा था कि वे नेपाल को पाकिस्तान नहीं बनने देंगे। उन्होंने कहा था, “हमने सुना है कि सत्ता में बने रहने के लिए पाकिस्तान, अफगानिस्तान या बांग्लादेश मॉडल पर काम चल रहा है। लेकिन इस तरह के प्रयास सफल नहीं होंगे। भ्रष्टाचार के नाम पर कोई हमें जेल में नहीं डाल सकता है। देश को सेना की मदद से चलाना आसान नहीं है और ना ही पार्टी को तोड़कर विपक्ष के साथ सरकार चलाना संभव है।”
अब जनरल थापा के साथ ओली की मुलाकात के बाद सेना के सहारे सरकार चलाए जाने के कयासों को बल मिला है। यह बात भी सामने आई थी कि ओली की कुर्सी बचाने के लिए चीन और पाकिस्तान पूरी तरह सक्रिय हैं। कहा जा रहा है कि इनके इशारे पर ओली अध्यादेश लाकर पॉलिटिकल पार्टीज ऐक्ट में बदलाव करने की फिराक में हैं। इससे उन्हें पार्टी को बाँटने में आसानी होगी।
प्रचंड की गिरफ्तारी के भी कयास लग रहे हैं। प्रचंड ने कुछ दिनों पहले ही संदेह जताया था कि ओली उन्हें भ्रष्टाचार के कथित मामले में जेल में डालने की तैयारी कर रहे हैं। तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रमों के बीच ओली को चीन द्वारा हनी ट्रैपिंग में फॅंसाने की अफवाहें भी पिछले कई दिनों से चल रही है। जानकारों का मानना है कि यदि ओली ने लीक से हटकर कोई कदम नहीं उठाया तो उनकी कुर्सी जानी तय है।