नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने चीन के इशारों पर नाचते हुए भारत-विरोधी बयान तो दे दिया, लेकिन अब अपनी ही पार्टी में मचे घमासान से उनकी कुर्सी लगभग जाने ही वाली है। नेपाल में चरम पर पहुँचे राजनीतिक उठापठकत के बीच कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेतागण मिल कर जल्द ही ओली के खिलाफ निर्णय ले सकते हैं। हालाँकि, ओली ने इसके लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया था।
केपी शर्मा ओली ने अंतिम चाल ये चली कि उन्होंने अपने विरोधी नेताओं पर राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी को अपदस्थ करने के लिए महाभियोग लाने की बात कह दी। लेकिन, प्रचंड ने राष्ट्रपति से मुलाकात कर इन चर्चाओं को भी विराम दे दिया। ‘शीतल निवास’ में हुई इस मुलाक़ात के बाद प्रचंड प्रधानमंत्री आवास भी पहुँचे लेकिन पीएम ओली के साथ उनकी बैठक बेनतीजा रही। आधे घंटे तक चली इस बैठक के बाद अब सोमवार (जुलाई 6) को फिर एक बैठक होगी।
कोरोना वायरस से निपटने में ओली की सरकार बुरी तरह विफल रही है। देश में अस्थिरता का माहौल है। भारतीय इलाक़ों को नेपाल के नक़्शे में शामिल कर नेपाल के पीएम ओली अपने देश में राष्ट्रवाद के तले अपनी चीनपरस्ती के खिलाफ उठते आवाज़ को दबाना चाहते थे, लेकिन ये चाल भी चल नहीं पाई। कुशासन, भ्रष्टाचार के कारण जनता भी त्रस्त है। कोविड-19 मैनेजमेंट फेल रहा है।
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की माँग है कि केपी शर्मा ओली न सिर्फ प्रधानमंत्री का पद छोड़ें, बल्कि पार्टी के अध्यक्ष के पद को भी अलविदा कहें। परेशान ओली ने अपने मंत्रियों से कहा है कि वो सब अपना-अपना पक्ष चुन लें और बता दें कि वो उनकी साइड हैं या उनके विरोधी खेमे की तरफ हैं। साथ ही उन्होंने ‘मौजूदा परिस्थितियों’ को देखते हुए कोई बड़ा क़दम उठाने की बात भी कही है। गुरुवार को मुख्य विपक्षी दल नेपाली कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा ने भी उनसे मुलाक़ात की।
“They will again sit for a meeting before the Standing Committee meeting scheduled for Monday.” https://t.co/1za6021rTc
— myRepública (@RepublicaNepal) July 5, 2020
इससे लेकर हाँ की कॉन्ग्रेस में जम कर विवाद चल रहा है और पार्टी नेता उनसे इस मुलाक़ात को लेकर स्पष्टीकरण देने को कह रहे हैं। तीन पूर्व प्रधानमंत्रियों पुष्प कमल दहल, माधव नेपाल और झालानाथ खनल ने राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी से मिलकर ये स्पष्ट कर दिया है कि उनका राष्ट्रपति के विरुद्ध महाभियोग लाने का कोई इरादा नहीं है। उनकी मुलाक़ात 45 मिनट चली, जहाँ इन नेताओं ने महाभियोग की बात को दुष्प्रचार बताया।
इससे पहले ओली के राजनीतिक भविष्य पर निर्णय करने के लिए देश की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की स्थायी समिति की महत्वपूर्ण बैठक सोमवार (जुलाई 6, 2020) तक टाल दी गई थी। पार्टी के शीर्ष नेता ओली के काम करने के तरीकों को निरंकुश बता रहे हैं।
नेपाल के भारत विरोधी एजेंडे के लिए होऊ यांगी जिम्मेदार बताई जा रही हैं। होऊ यांगी नेपाल में चीन की राजदूत हैं। पहले नेपाल के नए नक्शे के पीछे उनका ही हाथ बताया गया था। अब कुछ मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि होऊ यांगी की दखल नेपाल के आर्मी हेडक्वार्टर से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक है।