Sunday, December 22, 2024
Homeरिपोर्टअंतरराष्ट्रीयबच्चियों के साथ ईसा मसीह वाले क्रॉस से रेप, बच्चों को सेक्स के लिए...

बच्चियों के साथ ईसा मसीह वाले क्रॉस से रेप, बच्चों को सेक्स के लिए मजबूर: चर्च में नन-पादरियों ने किया 3 लाख+ यौन शोषण

"मैं उस नन के लिए एक खिलौना थी… वह अच्छी तरह जानती थी कि उसका कुछ नहीं बिगड़ने वाला... माता-पिता ने भी विश्वास नहीं किया, बोल दिया कि एक नन ऐसा काम कर ही नहीं सकती है।"

बर्नार्ड प्रीनैट नाम का एक पादरी था। मरा नहीं है, पादरी की पदवी छीन ली गई है। फिलहाल जेल में है। नाबालिग लड़कों के साथ यौन शोषण करता था। कोर्ट में उसने खुद माना कि दशकों तक उसने चर्च के भीतर 75+ लड़कों का यौन उत्पीड़न किया है।

यह आम खबर है। हर समाज में कोई न कोई अपराधी होता है। अब खास खबर। जब बर्नार्ड प्रीनैट (Bernard Preynat) पकड़ाया और दोषी पाया गया, उसके बाद की। एक स्वतंत्र आयोग ने बर्नार्ड प्रीनैट जैसे को अकेला नहीं माना। उसने जाँच की। जाँच की रिपोर्ट आई तो पता चला कि साल 1950 के बाद से लेकर 2020 तक चर्च के भीतर पादरी, अधिकारी व अन्य लोगों ने मिलकर लगभग 3 लाख 30 हजार बच्चों का यौन शोषण किया है।

इतनी बड़ी संख्या को सुन कर चौंक गए हों तो दिल थामिए। बच्चे-बच्चियों के साथ चर्च के भीतर क्या-क्या होता था, किन-किन तरीकों से रेप किया जाता था, जरा उसे भी जान लीजिए। क्या सिर्फ पादरी और अधिकारी (मतलब मर्द लोग) ही करते थे यौन शोषण या महिला पादरी (इन्हें नन कहा जाता है) भी शामिल थीं इस गैंग में? अगर नन भी रेप करती थीं, तो उनका तरीका क्या था?

2500 पन्नों की रिपोर्ट पढ़ेंगे तो पता चलेगा कि महिला पादरी (नन) बच्चियों का रेप करने के लिए क्रूस (क्रॉस, जिस पर ईसा मसीह भी चिपके हों) का इस्तेमाल करती थी। चर्च में रहने वाले नाबालिग लड़कों को वो खुद के साथ सेक्स करने के लिए मजबूर करती थी। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि यौन शोषण के शिकार हुए बच्चे-बच्चियों में से 80% की उम्र 10 से 13 साल के बीच थी। मतलब 2 लाख 64 हजार नाबालिगों का यौन शोषण 10 से 13 की उम्र में किया गया।

क्या होता था ननों-पादरियों का खौफ चर्च के भीतर, जानना हो तो पढ़िए ‘मैरी’ को। ‘मैरी’ (बदला हुआ नाम) नाम की एक पीड़िता ने कोर्ट में गवाही दी कि उसके साथ 11 साल की उम्र में दुर्व्यवहार किया गया था। जब उसने अपने माता-पिता से इसकी शिकायत की तो उन्होंने विश्वास करने से इनकार कर दिया। साथ ही यह भी कहा कि एक नन ऐसा काम कर ही नहीं सकती है। अफसोस यह कि ‘मैरी’ के साथ यह दुर्व्यवहार एक और साल तक जारी रहा। ‘मैरी’ बताती हैं,

“मैं उस नन के लिए एक खिलौना थी… वह अच्छी तरह जानती थी कि उसका कुछ नहीं बिगड़ने वाला। उसने कोई भी जोखिम नहीं उठाया है।”

बच्ची और नन वाली इस खौफनाक कहानी से आगे बढ़ते हैं। अब कहानी ‘ओलिवर’ (बदला हुआ नाम) की। इनके साथ 13 साल की उम्र में वो सब हुआ, जिससे इनका भरोसा टूट गया – सदा के लिए। ‘ओलिवर’ बताते हैं:

“उस रात से पहले पादरी मेरे लिए वो हुआ करता था, जो कभी नुकसान नहीं पहुँचा सकता है। उसके बिस्तर पर आधी रात को जब मेरी नींद खुली, खुद को अधनंगा पाया और वो मुझे जगह-जगह छू रहा था… तो मैं टूट गया और यह कई सालों तक चलता रहा।”

हम सब जब इतनी बड़ी संख्या में किसी धर्म स्थान के अंदर हुए संस्थागत यौन उत्पीड़न की खबर पढ़ रहे हैं, तो उससे कुछ देर पहले – “पीड़ितों के लिए दुख, बोल कर पोल खोलने के साहस के लिए आभार” – पोप ने दुख जाहिर कर दिया है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।

जिस संभल में हिंदुओं को बना दिया अल्पसंख्यक, वहाँ की जमीन उगल रही इतिहास: मंदिर-प्राचीन कुओं के बाद मिली ‘रानी की बावड़ी’, दफन थी...

जिस मुस्लिम बहुल लक्ष्मण गंज की खुदाई चल रही है वहाँ 1857 से पहले हिन्दू बहुतायत हुआ करते थे। यहाँ सैनी समाज के लोगों की बहुलता थी।
- विज्ञापन -