पाकिस्तान के रावलपिंडी शहर में हाल ही में एक लगभग 100 साल पुराने हिन्दू मंदिर पर हमला किया गया और उसमें आग लगाने का भी प्रयास किया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार रावलपिंडी में शनिवार की रात को ‘पुराना किला माता मंदिर’ में लगभग एक दर्जन की संख्या में युवकों ने हमला कर दिया। हाल ही में मंदिर की मरम्मत का कार्य पूरा हुआ था और 25 मार्च को उद्घाटन हुआ था। पाकिस्तान में हिन्दू मंदिरों पर हमले का यह पहला मामला नहीं है।
TOI की रिपोर्ट के अनुसार 25 मार्च को शरणार्थी ट्रस्ट संपत्ति बोर्ड (ETPB) ने इस हिन्दू मंदिर का प्रबंधन स्थानीय प्रशासन को सौंप दिया था। फरवरी में इस मंदिर में अवैध कब्जा करने वाले कुछ मुस्लिम परिवारों को हटाकर ईटीपीबी ने मंदिर को अपने नियंत्रण में ले लिया था और तभी से इस मंदिर की मरम्मत का कार्य चल रहा था। आरोप है कि मंदिर से हटाए गए कब्जेदारों ने ही मंदिर पर हमला कर उसे जलाने का प्रयास किया है।
रावलपिंडी में हिंदुओं की जनसंख्या मात्र 1800 है। 74 साल बाद पुनः हाल ही में दोबारा ‘माता मंदिर’ पूजा शुरू हुआ था, घंटे-घड़ियाल बजे थे, जो रावलपिंडी में हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण आस्था का केंद्र था। सहायक सुरक्षा अधिकारी सैयद रजा अब्बास जैदी की शिकायत पर स्थानीय बानी पुलिस थाने में 10-15 अज्ञात युवकों के विरुद्ध केस दर्ज कर लिया गया है। हिन्दू संगठनों ने मंदिर पर किए गए हमले की निंदा की है।
ट्विटर पर प्रेम राठी (@PremRathee) नाम के व्यक्ति ने भी अपने ट्विटर अकाउंट से इस घटना की जानकारी दी है। साथ ही उसने घटना से संबंधित एक छोटा सा वीडियो भी शेयर किया है जिसमें हमले के बाद मंदिर की स्थिति को देखा जा सकता है।
Some miscreants tried to vandalize an old Hindu temple in Rawalpindi which was about to re-opened soon after renovation.https://t.co/5CgSSRes6y
— Prem Rathi ☪︎ (@PremRathee) March 28, 2021
#Rawalpindi: Attacked Temple.
— Prem Rathi ☪︎ (@PremRathee) March 29, 2021
VIDEO#1 pic.twitter.com/ITxLNuZTZ5
पाकिस्तान में हिन्दू मंदिरों किया गया यह कोई पहला हमला नहीं है। इस्लामिक देश पाकिस्तान में हिन्दू मंदिरों पर हमले होना और उन्हें नष्ट किया जाना आम घटना की तरह ही है। भीमपुरा, कराची में एक प्राचीन हिन्दू मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया था और देवी-देवताओं की मूर्तियों को बाहर फेंक दिया गया था।
इससे पहले अक्टूबर 2020 में सिंध के बदीन में हिन्दू मंदिर में तोड़-फोड़ की घटना की जानकारी सामने आई थी जिसमें मोहम्मद इस्माइल शैदी नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया था।
पिछले वर्ष ही खैबरपख्तूनख्वा के करक जिले में सैकड़ों लोगों ने एक हिन्दू मंदिर को आग के हवाले कर दिया था। इस मामले में 350 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी जिसमें जमीयत उलेमा-ए-इस्लामी के नेता रहमत खटक का नाम भी था। इस घटना के बाद इमरान खान की बहुत आलोचना हुई थी।
हालाँकि, आलोचना से पाकिस्तान की सरकार कोई फर्क नहीं पड़ता है। अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर भारत की सरकार की आलोचना करने वाले इमरान खान को अपने देश में अल्पसंख्यकों के हितों का ध्यान रखने की आवश्यकता है। आए दिन हिन्दू मंदिरों और हिन्दू समुदाय पर होने वाले हमले पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की दुर्दशा की कहानी कहते हैं और पाकिस्तान की न्याय व्यवस्था पर भी प्रश्न उठाते हैं।