पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के तटीय शहर ग्वादर में विद्रोहियों ने मोहम्मद अली जिन्ना की प्रतिमा को बम धमाके से नष्ट कर दिया। पाकिस्तानी वेबसाइट ‘डॉन‘ में सोमवार (27 सितंबर, 2021) को प्रकाशित खबर के मुताबिक, सुरक्षित क्षेत्र माने जाने वाले मरीन ड्राइव पर जून में स्थापित की गई प्रतिमा को रविवार की सुबह विस्फोटक रखकर उड़ा दिया गया। विस्फोट में प्रतिमा पूरी तरह से नष्ट हो गई।
The statue was erected early this year at Marine Drive which is considered a safe zone. Official sources said some militants planted an explosive device beneath the statue and blew it up.https://t.co/IkHL0spaqg
— Dawn.com (@dawn_com) September 27, 2021
बीबीसी उर्दू की खबर के अनुसार, बलूच रिपब्लिकन आर्मी के प्रवक्ता बबगर बलोच ने ट्विटर पर विस्फोट की जिम्मेदारी ली है। रिपोर्ट में ग्वादर के उपायुक्त मेजर (सेवानिवृत्त) अब्दुल कबीर खान के हवाले से कहा गया है कि मामले की उच्च स्तरीय जाँच की जा रही है। उन्होंने कहा कि विस्फोटक लगाकर जिन्ना की प्रतिमा को नष्ट करने वाले टूरिस्ट के रूप में क्षेत्र में घुसे थे। उनके मुताबिक अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है, लेकिन एक-दो दिन में जाँच पूरी कर ली जाएगी। उन्होंने कहा, “हम मामले को सभी बिंदुओं से देख रहे हैं और जल्द ही दोषियों को पकड़ लिया जाएगा।”
बलूचिस्तान के पूर्व गृह मंत्री और सीनेटर सरफराज बुगती ने ट्वीट कर बताया कि “ग्वादर में कायदे आज़म (Quaid-e-Azam) की प्रतिमा को गिराना पाकिस्तान की विचारधारा पर हमला है। मैं अधिकारियों से अपराधियों को उसी तरह से दंडित करने का अनुरोध करता हूँ, जैसे हमने ज़ियारत में कायदे-आज़म निवास पर हमला करने वालों को किया था।”
The demolition of Quaid-e-Azam’s statue in #Gwadar is an attack on Ideology of Pakistan. I request authorities to punish the perpetrators in the same way as we did with those behind the attack on Quaid-e-Azam residency in Ziarat. pic.twitter.com/BQeeZjsHg3
— Senator Sarfraz Bugti (@PakSarfrazbugti) September 26, 2021
गौरतलब है कि साल 2013 में बलूच विद्रोहियों ने जियारत में जिन्ना द्वारा इस्तेमाल की गई 121 साल पुरानी एक इमारत को उड़ा दिया था। उन्होंने वहाँ के सभी फर्नीचर और यादगार वस्तुओं को भी नष्ट कर दिया था। तपेदिक से पीड़ित होने के कारण जिन्ना ने अपने जीवन के अंतिम दिन वहीं बिताए थे। बाद में इसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया गया था। जिन्ना 1913 से लेकर 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान की स्थापना तक ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के नेता रहे। 1948 में निधन होने तक वह पाकिस्तान के पहले गवर्नर जनरल रहे।