पाकिस्तान किस तरह से आतंकियों को शह देता है, इसका ताजा उदाहरण वहाँ के अदालत के एक फैसले में देखने को मिला है। मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड जमात उद दावा के प्रमुख हाफिज सईद और इससे जुड़े एक अन्य आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा के 6 आतंकियों को लाहौर की एक अदालत ने बरी कर दिया है। इन सभी पर आतंकवाद को फंडिग करने के मामले में सजा सुनाई गई थी।
रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में लाहौर उच्च न्यायालय ने शनिवार को लश्कर-ए-तैयबा और उसके प्रमुख संगठन जमात-उद-दावा (जेयूडी) के छह वरिष्ठ नेताओं की आतंकवाद निरोधी अदालत की सजा को इस आधार पर खारिज कर दिया कि अभियोजन पक्ष आतंकवाद के वित्तपोषण के आरोप को साबित करने में विफल रहा है।
वहीं, 21 अक्टूबर को बैठक के समापन पर FATF ने पाकिस्तान को अपनी “ग्रे सूची” में बनाए रखा था और पाकिस्तान से संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकी घोषित किए आतंकवादी समूहों और उसके नेताओं एवं कमांडरों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा था।
अप्रैल में लाहौर में आतंकवाद विरोधी अदालत ने लश्कर और जमात उद दावा के वरिष्ठ नेताओं मलिक जफर इकबाल, याह्या मुजाहिद, नसरुल्ला, समीउल्लाह और उमर बहादुर को नौ साल की जेल और अब्दुल रहमान मक्की को छह महीने की जेल की सजा सुनाई थी। मक्की लश्कर के संस्थापक हाफिज सईद की बहन का शौहर भी है।
लाहौर उच्च न्यायालय ने शनिवार को उनकी दोषसिद्धि को रद्द कर दिया और सभी छह लोगों को बरी कर दिया। अदालत के एक अनाम अधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि अभियोजन पक्ष इन लोगों के खिलाफ आरोप साबित करने में विफल रहा है। अदालत ने यह भी देखा कि अभियोजन पक्ष के मुख्य गवाह का बयान विश्वसनीय नहीं था, क्योंकि इसका ‘कोई सबूत नहीं है’।
यह फैसला मुख्य न्यायाधीश मुहम्मद अमीर भट्टी और न्यायमूर्ति तारिक सलीम शेख की खंडपीठ ने सुनाया। गौरतलब है कि साल 2008 में ताज होटल पर जमात उद दावा के आतंकियों ने हमला किया था, जिसमें 6 अमेरिकी नागरिकों समेत 160 से अधिक नागरिकों की जान चली गई थी।