टूलकित मामले में पूछताछ के लिए हिरासत में ली गई पर्यावरण ‘एक्टिविस्ट’ दिशा रवि को लेकर वामपंथी मीडिया गिरोह हर तरह से चिंता जाहिर कर रहा है। बीबीसी से लेकर द वायर जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्मों के जरिए सवाल खड़ा किया जा रहा है कि आखिर इस तरह की गिरफ्तारी लोकतंत्र के लिए कितना बड़ा खतरा है। वहीं विपक्षी नेता भी पूरा दम खम लगा कर इस मामले पर अपना प्रोपगेंडा फैला रहे हैं।
अब इसी क्रम में और इसी बिंदु पर पड़ोसी मुल्क की सत्ताधारी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए -इंसाफ ने इस गिरोह को समर्थन दिया है। ट्विटर पर PTI के हैंडल से नरेंद्र मोदी और आरएसएस पर निशाना साधा गया। साथ ही दिशा रवि को हिरासत में लिए जाने पर सवाल उठाया गया।
पीटीआई ने लिखा, “मोदी/आरएसएस शासन में भारत अपने खिलाफ सभी आवाजों को चुप कराने में विश्वास रखता है… अब, उन्होंने दिशा रवि को भी ट्विटर टूलकिट मामले में हिरासत में ले लिया है।”
मालूम हो कि एक ओर जहाँ किसान आंदोलन के नाम पर चल रहे प्रोपगेंडे को पहले ही वामपंथी मीडिया और विपक्ष हवा देने में जुटा है, वहीं अब दिशा रवि की खबर के जरिए भी यह गिरोह देश की छवि को मटियामेट करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा।
दरअसल, पिछले दिनों पर्यावरण ‘एक्टिविस्ट’ ग्रेटा थनबर्ग द्वारा ट्विटर पर शेयर किए गए टूलकिट सामने आने के बाद किसान आंदोलन से जुड़े पूरे वैश्विक षड्यंत्र का खुलासा हुआ था। पुलिस तभी से इस केस में जाँच कर रही थी। अब हाल में जब पुलिस ने दिशा को पकड़ा तो बातें प्रोपेगेंडा का आकर लेकर देश के लोकतंत्र तक आ गईं।
द वायर ने तो इस गिरफ्तारी को सबके मुँह पर सत्ता का बूट बताया। इसी वेबसाइट ने ये भी कहा कि भाजपा के पास अपने कठोर आलोचकों के लिए अपना टूलकिट है, जिसे उसने भूतकाल में खूब इस्तेमाल किया है।
इसी तरह बीबीसी की एक रिपोर्ट है। इसमें तमाम ट्वीट इकट्ठा करके पहले इस बात पर रिपोर्ट हुई है कि कैसे 21 साल की एक बीबीए छात्रा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया, फिर ये बताया गया है कि ट्विटर पर कौन उसे लेकर प्रश्न उठा रहा है।
बता दें कि मीडिया गिरोह की भाँति कई विपक्षी राजनीतिक दल भी इस गिरफ्तारी के विरोध में दिशा को लेकर अपनी भावनाएँ प्रकट कर रहे हैं। प्रियंका गाँधी लिखती हैं, “डरते हैं बंदूकों वाले एक निहत्थी लड़की से… फैले हैं हिम्मत के उजाले एक निहत्थी लड़की से।”
आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल लिखते हैं, “21 साल की दिशा रवि की गिरफ्तारी लोकतंत्र पर एक अभूतपूर्व हमला है। हमारे किसानों का समर्थन करना कोई अपराध नहीं है।”
इसी प्रकार कपिल सिब्बल ने लिखा, “दिशा रवि, जलवायु कार्यकर्ता। क्या देश इतना कमजोर है कि एक ट्वीट से उसकी सुरक्षा को खतरा है? क्या देश इतना कमजोर है कि 22 साल की कार्यकर्ता से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है? क्या देश इतना असहिष्णु है कि वह किसानों के साथ खड़े युवाओं को बर्दाश्त नहीं कर सकता है? क्या यह ‘बदलाव’ मोदीजी चाहते थे?”