पाकिस्तान लाख राग अलापता रहे कि वह अपने यहाँ सिख समुदाय को बराबरी और सम्मान का हक देता है, लेकिन हर बार उसकी पोल खुल ही जाती है। इसका जीता जागता सबूत है, करतारपुर कॉरिडोर गुरुद्वारा। जिसका पुनर्निर्माण दो साल पहले 2018 में ही हुआ था। वह मामूली आँधी में ही ढह गया। जानकारी के मुताबिक तेज हवा और बारिश के चलते दो गुम्बद क्षतिग्रस्त होकर दूर जा गिरे।
इस घटना की वजह से करतारपुर कॉरिडोर और गुरुद्वारा के निर्माण में उपयोग की जाने वाली सामग्री की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। आरोप यह भी लगाया जा रहा है कि इन गुंबदों के पुनर्निमाण में सीमेंट और लोहे के बजाय फाइबर का उपयोग किया गया है। पाकिस्तान ने पिछले साल करतारपुर कॉरिडोर गुरुद्वारा को लेकर पुरी दुनिया मे जबरदस्त ढिंढोरा पीटा था और इसके निर्माण का खर्चा सौ करोड़ रुपए बताया था। लेकिन अब पता चला है कि निर्माण की गुणवत्ता कितनी खराब थी कि ये हल्के आँधी-तूफान को भी नहीं झेल सके।
पाकिस्तान में सिख समुदाय ने इस घटना के बाद काफी नाराज़गी जाताई है। उनका कहना है कि पाकिस्तान सरकार से कभी किसी अन्य मजहब को सम्मान नहीं मिलता। लोगों का आरोप है कि इमरान खान के लिए करतारपुर सिर्फ एक दिखावा था। लोगों की नजरों में ऊपर उठने का केवल सियासी स्टंट।
कॉन्ग्रेस नेता, पूर्व सांसद व पंजाब सरकार में भूतपूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने करतारपुर साहिब के उद्घाटन समारोह में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की शान में जम कर कसीदे पढ़े थे।
बता दें कि, पाकिस्तान में सिखों के दो पवित्र तीर्थ स्थल हैं। पहला ननकाना साहिब जो लाहौर से लगभग 75 किलोमीटर दूर है। ये गुरु नानक देव जी का जन्मस्थल है। दूसरा है करतारपुर जहाँ गुरु नानकदेव अंतरध्यान हुए थे। यह स्थान लाहौर से लगभग 117 किलोमीटर दूर है। करतारपुर साहिब गुरुद्वारे में भारतीय सिख श्रद्धालुओं के लिए करतारपुर कॉरीडोर बनाया गया था।
सिखों के प्रथम गुरु नानक साहब का निवास स्थान होने के कारण सिख संप्रदाय के लिए यह स्थल काफ़ी महत्व रखता है। नानक देव जी यहीं रहे और फिर यहीं पर ज्योति में समा गए। इससे पहले भारतीय सीमा से मात्र 3 किलोमीटर दूर इस पवित्र स्थल का दर्शन सिख दूरबीन के माध्यम से किया करते थे।