पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कुर्रम जिले में शिया और सुन्नी मुस्लिमों के बीच पिछले तीन महीने से हिंसा जारी है। 21 सितंबर 2024 को शुरू हुए हालिया हिंसा में अब तक 37 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। पिछले एक सप्ताह में शिया और सुन्नी संघर्ष में 150 से अधिक लोग घायल हुए हैं। यह मामला जमीन से जुड़े एक विवाद से शुरू हुआ है।
यह शिया और समुदाय के बीच चल रहे भूमि विवाद से जुड़ा है। दोनों समुदाय के लोग इस पर अपना-अपना दावा करते हैं। हालाँकि, जिरगा (मुस्लिम कबीलों की स्थानीय पंचायत) के माध्यम से युद्ध विराम पर सहमति बन गई, लेकिन जिले के 10 इलाकों में संघर्ष जारी रहा। हिंसा के दौरान भारी हथियार इस्तेमाल किए गए हैं।
At least 20 people were killed in Fresh incidents of crossfire at Kurram, a former tribal district with a history of sectarian violence. Intense crossfire cont in four locations at Upper, Lower, and Central Kurram, with both sides using light n heavy weapons. #Pakistan #Kurram pic.twitter.com/03nnWuZDq9
— Sajjad Tarakzai (@SajjadTarakzai) September 25, 2024
एक अधिकारी ने बताया, “भूमि विवाद से शुरू हुआ मामला अब एक सांप्रदायिक झड़प में बदल गया है, जिसमें स्वचालित और अर्ध-स्वचालित हथियारों के साथ-साथ मोर्टार के गोले का भी इस्तेमाल किया गया है।” इस खूनी संघर्ष में मौत और घायलों के अलावा कुल 28 घर भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। कुर्रम जिले में इस्लाम के इन दो तबकों के बीच हिंसक झड़पों का लंबा इतिहास रहा है।
यह हिंसा साल 2007 में दो परिवारों के बीच शुरू हुई थी, जो धीरे-धीरे दो समुदायों के बीच होते हुए पूरे जिले में फैल गई। इस विवाद की जड़ में 30 एकड़ जमीन है। इसके मालिकाना हक को लेकर कुर्रम जिले के बुशेहरा गाँव में दो कबीलों के बीच विवाद है। अगस्त में अधिकारियों ने जिरगा के बुजुर्गों के साथ मिलकर समुदायों के बीच समझौता कराया था।
UPDATE FROM KURRAM DISTRICT: The land dispute between Shia and Sunni tribes continued on the 6th day as efforts for a cease fire have not been yet materialised despite agreement between relevant stakeholders. From independently verifiable sources at least 31 people have been…
— The Khorasan Diary (@khorasandiary) September 26, 2024
पाकिस्तान की स्थानीय खबरों को माने तो यह लड़ाई सुन्नी समुदाय के मिदगी कबीले और शिया समुदाय के मलीखेल कबीले के बीच इस जमीन को लेकर विवाद साल 2007 में शुरू हुआ था। उस समय भी हिंसा की घटनाएँ हुई थीं। इसके बाद से समय-समय पर हो रही हिंसा के कारण सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं।
खैबर पख्तूनख्वा के प्रवक्ता सैफ अली ने बताया कि इलाके में धार्मिक रूप से तनावपूर्ण स्थिति को कम करने के प्रयास चल रहे हैं। बता दें कि पाकिस्तान की आबादी में शिया मुस्लिमों की हिस्सेदारी लगभग 15 प्रतिशत है। वहीं, यहाँ सुन्नी संप्रदाय के मुस्लिमों का बहुमत है। इस साल जुलाई में हुई हिंसा में 35 लोग मारे गए थे। जिरगा की घोषणा के बाद युद्ध विराम की घोषणा की गई थी।