Friday, November 15, 2024
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पाकिस्तान में जमीन के लिए भिड़े शिया और सुन्नी… अब तक 37 लोगों की मौत, सैंकड़ों घायल: दोनों और से चल रही ताबड़तोड़ गोलियाँ, जुलाई में हुई थी 35 की मौत

खैबर पख्तूनख्वा के कुर्रम जिले में इस्लाम के शिया और सुन्नी तबकों के बीच हिंसक झड़पों का लंबा इतिहास रहा है। 30 एकड़ जमीन को लेकर यह हिंसा साल 2007 में शुरू हुई थी। पाकिस्तान की आबादी में शिया मुस्लिमों की हिस्सेदारी लगभग 15 प्रतिशत है। वहीं, यहाँ सुन्नी संप्रदाय के मुस्लिमों का बहुमत है। इस साल जुलाई में हुई हिंसा में 35 लोग मारे गए थे। जिरगा की घोषणा के बाद युद्ध विराम की घोषणा की गई थी।

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कुर्रम जिले में शिया और सुन्नी मुस्लिमों के बीच पिछले तीन महीने से हिंसा जारी है। 21 सितंबर 2024 को शुरू हुए हालिया हिंसा में अब तक 37 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। पिछले एक सप्ताह में शिया और सुन्नी संघर्ष में 150 से अधिक लोग घायल हुए हैं। यह मामला जमीन से जुड़े एक विवाद से शुरू हुआ है।

यह शिया और समुदाय के बीच चल रहे भूमि विवाद से जुड़ा है। दोनों समुदाय के लोग इस पर अपना-अपना दावा करते हैं। हालाँकि, जिरगा (मुस्लिम कबीलों की स्थानीय पंचायत) के माध्यम से युद्ध विराम पर सहमति बन गई, लेकिन जिले के 10 इलाकों में संघर्ष जारी रहा। हिंसा के दौरान भारी हथियार इस्तेमाल किए गए हैं।

एक अधिकारी ने बताया, “भूमि विवाद से शुरू हुआ मामला अब एक सांप्रदायिक झड़प में बदल गया है, जिसमें स्वचालित और अर्ध-स्वचालित हथियारों के साथ-साथ मोर्टार के गोले का भी इस्तेमाल किया गया है।” इस खूनी संघर्ष में मौत और घायलों के अलावा कुल 28 घर भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। कुर्रम जिले में इस्लाम के इन दो तबकों के बीच हिंसक झड़पों का लंबा इतिहास रहा है।

यह हिंसा साल 2007 में दो परिवारों के बीच शुरू हुई थी, जो धीरे-धीरे दो समुदायों के बीच होते हुए पूरे जिले में फैल गई। इस विवाद की जड़ में 30 एकड़ जमीन है। इसके मालिकाना हक को लेकर कुर्रम जिले के बुशेहरा गाँव में दो कबीलों के बीच विवाद है। अगस्त में अधिकारियों ने जिरगा के बुजुर्गों के साथ मिलकर समुदायों के बीच समझौता कराया था।

पाकिस्तान की स्थानीय खबरों को माने तो यह लड़ाई सुन्नी समुदाय के मिदगी कबीले और शिया समुदाय के मलीखेल कबीले के बीच इस जमीन को लेकर विवाद साल 2007 में शुरू हुआ था। उस समय भी हिंसा की घटनाएँ हुई थीं। इसके बाद से समय-समय पर हो रही हिंसा के कारण सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं।

खैबर पख्तूनख्वा के प्रवक्ता सैफ अली ने बताया कि इलाके में धार्मिक रूप से तनावपूर्ण स्थिति को कम करने के प्रयास चल रहे हैं। बता दें कि पाकिस्तान की आबादी में शिया मुस्लिमों की हिस्सेदारी लगभग 15 प्रतिशत है। वहीं, यहाँ सुन्नी संप्रदाय के मुस्लिमों का बहुमत है। इस साल जुलाई में हुई हिंसा में 35 लोग मारे गए थे। जिरगा की घोषणा के बाद युद्ध विराम की घोषणा की गई थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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