पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय का उत्पीड़न लगातार जारी है। इस बार अल्पसंख्यकों के साथ होने वाले इस अत्याचार का ज़िम्मेदार कोई और नहीं बल्कि वहाँ की अदालत है। लाहौर हाई कोर्ट ने एक हैरान करने वाले फैसले में ईसाई नाबालिग लड़की को उस व्यक्ति के पास लौटने का हुक्म दिया है जिसने उसे अगवा किया। अपहरणकर्ता ने जबरन धर्मांतरण कर उससे निकाह कर लिया था।
14 साल की इस लड़की का नाम है मारिया शहबाज़ (Maria Shahbaz)। इस साल अप्रैल में मोहम्मद नक्श और उसके साथियों ने फैसलाबाद में उसे अगवा कर लिया था। काम पर जाते वक्त उसे अगवा किया गया था। इस मामले में फैसलाबाद की अदालत ने कहा था कि लड़की को पुनर्वास केंद्र भेजा जाए। साथ ही उसकी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाए। लेकिन लाहौर की हाईकोर्ट ने इस आदेश को ही बदल दिया।
This is the story of Maria Shahbaz. Lahore High Court orders that 14-yr-old Christian girl kidnapped, forcibly converted and married to a Muslim man, should be returned to her abductor. Overturning an earlier order by Faisalabad sessions court to place Maria in a women’s shelter. pic.twitter.com/2Q0omDHV6v
— Naila Inayat नायला इनायत (@nailainayat) August 7, 2020
लाहौर हाई कोर्ट द्वारा जारी आदेश के मुताबिक़ लड़की को पुनर्वास केंद्र नहीं भेजा जाएगा। उसे उसी मोहम्मद नक्श के पास वापस जाना पड़ेगा जिसने उसे अगवा किया था। WION में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक़ कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि लड़की ने स्वेच्छा से इस्लाम धर्म कबूल किया। उसने अपनी मर्ज़ी से ही अपहरण करने वाले व्यक्ति से शादी भी की। इसलिए उसे एक ‘अच्छी बेगम’ होने के नाते अपने पति के साथ रहना चाहिए।
#Gravitas | A 14-year-old Christian girl, who was abducted at gunpoint and forcibly married, has been ordered to stay with her captor by the Lahore High Court. @palkisu tells you how fear has become a daily reality for Pakistan’s Christians@ImranKhanPTI pic.twitter.com/0kWOJ3Ab2R
— WION (@WIONews) August 7, 2020
कोर्ट ने उन दस्तावेज़ों को देखने और स्वीकार करने से साफ़ मना कर दिया था जिनमें यह साफ़ तौर पर लिखा था कि जब लड़की का अपहरण हुआ तब वह नाबालिग थी। ख़बरों के अनुसार, जब अदालत ने मोहम्मद नक्श के हक़ में फैसला सुनाया तब लड़की की आँखों में आँसू थे। रिपोर्ट्स की मानें तो पाकिस्तान में हर साल लगभग 1000 लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन कराया जाता है। इसके बाद उनकी मर्ज़ी के खिलाफ़ उनसे निकाह रचाया जाता है।
इस मामले के तीन चश्मदीदों (परवेज़ मसीह, यूनुस मसीह और नईम मसीह) ने भी अपना बयान दर्ज कराया था। उन्होंने अपने बयान में कहा था कि मारिया का अपहरण किया गया था। उसने विरोध भी किया था लेकिन कुछ लोग उसे उठा कर गाड़ी में ले गए। उन सभी लोगों के पास हथियार भी थे, इसलिए कोई मारिया की मदद नहीं कर पाया। अगवा करने वालों ने लोगों में डर कायम करने के लिए हवाई गोलीबारी भी की थी।
पीड़िता की माँ ने इस बारे में इंटरनेश्नल क्रिश्चयन कंसर्न से बातचीत भी की थी। उन्होंने अपनी बेटी के साथ दुष्कर्म होने की आशंका जताई थी। इसके अलावा उसके जबरन धर्म परिवर्तन पर दुःख जताया था। उनका कहना था कि जिस तरह के हालात हैं उन्हें देख कर हत्या का डर भी लगता है।
National Database and Registration Authority (NADRA) द्वारा जारी किए गए प्रमाण-पत्र के अनुसार मारिया की उम्र 18 साल से कम है। लेकिन मोहम्मद नक्श ने शादी के दस्तावेज़ों में उसे 18 से ज़्यादा का दिखाया है। इसके अलावा लड़की को भी अपना पक्ष सही से नहीं रखने दिया गया था।
यह पहली ऐसी घटना नहीं है जब पाकिस्तान में ईसाई लड़कियों के साथ अत्याचार किया गया हो। हुमा यूनुस नाम की लड़की का पिछले साल 10 अक्टूबर को अपहरण किया गया था। लड़की को आरोपित अब्दुल जब्बार नाम के युवक ने कराची स्थित उसके घर से उठा लिया गया था। कुछ समय बाद ख़बर आई थी कि शारीरिक रूप से शोषण किए जाने के बाद वह गर्भवती हो गई थी। आरोपित ने पीड़ित को एक कमरे में बंद करके रखा था। यहाँ तक कि उसे अपने माता-पिता से भी नहीं मिलने देता था।