एक शीर्ष अमेरिकी राजनयिक ने कहा है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक ईसाई और हिंदू युवतियों/महिलाओं को चीन में दुल्हन बनने के लिए मजबूर किया जाता है और पाकिस्तान की सरकार खुद लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने के लिए जिम्मेदार है।
अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अमेरिका के राजदूत सैमुअल ब्राउनबैक ने मंगलवार (दिसंबर 08, 2020) को आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति अच्छी नहीं है और धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव होता है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत पाकिस्तान को ‘विशेष चिंताजनक देश’ (सीपीसी) के रूप में नामित करने के कारणों में से एक के रूप में इसका उल्लेख किया।
उल्लेखनीय है कि अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने सोमवार (दिसंबर 07, 2020) को पाकिस्तान और चीन समेत 8 अन्य देशों को धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन के आरोप में चिंताजनक देशों की सूची में शामिल किया है। यूएस का कहना है कि पाकिस्तान और चीन सहित इन सभी देशों में धार्मिक आजादी नहीं है। ये देश धर्म के आधार पर भेदभाव और जुल्म रोक पाने में नाकाम साबित हुए हैं।
चीन द्वारा दशकों से लागू की गई एक-संतान नीति के कारण, और एक पुरुष वारिस की प्राथमिकता के लिए वहाँ महिलाओं की अत्यधिक कमी है। इसके लिए कम्युनिस्ट देश अन्य देशों से दुल्हन, दासियाँ और मजदूरों के रूप में महिलाओं का आयात करता आया है।
अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (USCIRF) ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के अन्य मुद्दों का हवाला देते हुए भारत को भी CPC में रखने की सिफारिश की थी, लेकिन अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने सोमवार को घोषणा करते समय इस सुझाव को अस्वीकार कर दिया।
इसके अलावा, ब्राउनबैक ने कहा कि पाकिस्तान में धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन के बहुत से सारे काम स्वयं सरकार द्वारा किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि ईशनिंदा के आरोप में पूरे विश्व में जितने लोग बंद हैं, उनमें से आधे पाकिस्तान की जेलों में हैं।