संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, यूरोपीय संसद, दर्जनों देशों के साफ़ इंकार के बाद संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार आयोग में भी पाकिस्तान ने कश्मीर मुद्दे पर अपनी भद्द पिटा ली है। दुनिया की सबसे बड़ी मानवाधिकार संस्था ने पर्याप्त संख्या (16) में सदस्यों का समर्थन प्राप्त न कर पाने के चलते पाकिस्तान की जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन का प्रस्ताव लाने की कोशिशों को ख़ारिज कर दिया है। जिनेवा में चल रहे UNHRC के 42वें मानवाधिकार सत्र में हिंदुस्तान की यह बड़ी कूटनीतिक जीत है।
अजय बिसारिया ने रखा हिंदुस्तान का पक्ष
UNHRC में हिंदुस्तानी दल का नेतृत्व कर रहे राजनयिक अजय बिसारिया ने सत्र में भाग ले रहे 47 देशों के समक्ष देश का पक्ष रखा। बताया जा रहा है कि हिंदुस्तान की बात मजबूती से रखने के लिए उनके दल ने विशेष तैयारी की थी। बिसारिया इसके पहले पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त रह चुके हैं।
खोखला निकला इमरान का दावा, मुस्लिम देशों ने भी झाड़ा पल्ला
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान लगातार दावा कर रहे थे कि जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार हनन के मुद्दे पर पाकिस्तान को लगातार समर्थन मिल रहा है। उन्होंने यहाँ तक कि गिनती भी बता दी थी- उनके मुताबिक “कश्मीरियों को उनका हक दिलाने के लिए और उनके अधिकारों के समर्थन में 58 देशों का सहयोग मिला” था।
I commend the 58 countries that joined Pakistan in Human Rights Council on 10 Sept reinforcing demands of int community for India to stop use of force, lift siege, remove other restrictions, respect & protect Kashmiris’ rights & resolve Kashmir dispute through UNSC resolutions.
— Imran Khan (@ImranKhanPTI) September 12, 2019
लेकिन 12 सितंबर को हिंदुस्तान द्वारा पाकिस्तान के दावों की पोल खोलने, उसका खुद का शर्मनाक मानवाधिकार-उल्लंघन का इतिहास याद कराए जाने, और उसे वैश्विक जिहाद का गढ़ बताए जाने के बाद पाकिस्तान अब अपना सा मुँह लेकर रह गया है। हिंदुस्तान के स्थायी UNHRC मिशन की प्रथम सचिव कुमाम मिनी देवी ने पाकिस्तान पर आक्रामक रुख अख्तियार करते हुए गिलगित-बाल्टिस्तान में हो रहे कस्टोडियल बलात्कारों से लेकर पत्रकारों की पाकिस्तान में हत्या और उनके उत्पीड़न पर पाकिस्तान को आईना दिखाया। इसके पहले मुस्लिम देशों के वैश्विक संगठन ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉर्पोरेशन (OIC) से भी पाकिस्तान को सहयोग नहीं मिल सका।
Kumam Mini Devi:Let me turn to Pakistan occupied Kashmir&territories under Pak control,cases of enforced disappearances,custodial rapes,murders&torture of civil rights activists&journalists are common practices adopted to silence voices against govt&deep state in Gilgit-Baltistan https://t.co/mZ5LznHkEc
— ANI (@ANI) September 19, 2019