अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने आर्थिक संकट में फँसे पाकिस्तान द्वारा पेश किए गए आर्थिक आँकड़ों को मानने से इंकार कर दिया है। पाकिस्तान ने चालू खाता घाटे (सीएडी), आयात, आर्थिक विकास, मुद्रास्फीति और सकल वित्तपोषण आवश्यकताओं का अनुमान पेश किया था।
IMF ने पाकिस्तान चालू वित्त वर्ष 2023-24 में उसकी ऋण आवश्यकताओं को घटाकर $25 बिलियन कर दिया है। IMF ने इसमें 3.4 अरब अमेरिकी डॉलर की कटौती की है। दरअसल, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था इस समय IMF, अरब देशों, चीन आदि से कर्ज लेकर चल रही है।
IMF से नया कर्जा लेने के लिए पाकिस्तान ने अपने आँकड़े पेश किए थे, जिन्हें IMF ने बदल दिया है। संस्था का कहना है कि पाकिस्तान इस साल अब तक लगभग $6 बिलियन डॉलर का कर्ज ले चुका है। वह अपने $12.5 बिलियन पुराने उधार को चुकाने से बचने के लिए रोलओवर भी पा चुका है। इन सबके बाद भी उसे कम से कम $6.5 बिलियन डॉलर का नया कर्ज चाहिए ही होगा।
पाकिस्तान को डिफ़ॉल्ट होने से कुछ ही दिन पहले IMF ने लगभग $3 बिलियन का कर्ज जून में दिया था। अब उसने पाकिस्तान की GDP बढ़त दर को भी घटा दिया है। अब इसके मात्र 2% रहने का अनुमान लगाया गया है। पहले यह 2.5% रहने की उम्मीद लगाई गई थी।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की मुख्य समस्या उसका आयात पर निर्भर रहना है। आयात के बदले भुगतान करने के लिए उसके पास डॉलर की भारी कमी है। निर्यात से मिले डॉलर इतने पर्याप्त नहीं हैं कि आयात का वह भुगतान कर सके। ऐसे में आयात और निर्यात के बीच के अंतर को वह कर्ज लेकर पाटता आया है।
इन कर्जों का ब्याज पाकिस्तान के लिए अब एक नई देनदारी बन गई है। पाकिस्तान सऊदी अरब और UAE जैसे देशों से उधार तेल खरीद रहा है। चीन उसे पहले दिए गए कर्जों में राहत दे रहा है। IMF से मिले कर्ज का उपयोग वह अपना विदेशी मुद्रा कोष स्थिर बनाए रखने में कर रहा है।
IMF ने अनुमान लगाया है कि पाकिस्तान इस साल भी लगभग $59 बिलियन के आयात करेगा, जबकि उसके निर्यात लगभग $29 बिलियन के ही रहेंगे। उसने यह भी अनुमान लगाया है कि इस साल पाकिस्तान में महंगाई लगभग 22.8% के स्तर पर रहेगी।
पाकिस्तान की अंग्रेजी समाचार वेबसाइट ट्रिब्यून में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान ने IMF से कहा था कि उसका चालू खाता घाटा $4-$4.5 बिलियन डॉलर रहेगा। IMF ने इसे माननेसे इंकार करते हुए कहा कि यह $5.7 बिलियन रहना चाहिए। चालू खाता घाटा, किसी भी देश से बाहर जाने वाली विदेशी मुद्रा और उसको आने वाली विदेशी मुद्रा का अंतर होता है।
अनवार उल हक काकर की अगुवाई वाली पाकिस्तान की अंतरिम सरकार को नया कर्ज लेने में भी समस्या हो रही है। उसकी आंतरिक स्थिति को देखते हुए बाहरी बैंक और अन्य संसथान उसे कर्ज देने को राजी नहीं हैं। पाकिस्तान में जनवरी में आम चुनाव भी प्रस्तावित हैं, ऐसे में IMF भी अपने नए कर्जे का समझौता नई सरकार से करने को सोच रहा है।
आने वाले समय में यह देखने वाली बात होगी कि यदि पाकिस्तान यह कर्जे लेने में असफल होता है और नई सरकार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की शर्तों से राजी नहीं होती तो उसकी आर्थिक हालत का क्या होगा।