नीदरलैंड्स की तरफ से एक ऐसा खिलाड़ी पेरिस ओलंपिक में उतरा है, जिसने 12 साल की बच्ची का इंग्लैंड जाकर रेप किया था। उसे 4 साल की सजा सुनाई गई थी। ये मामला 2014 का था, तब उस खिलाड़ी की उम्र 19 साल थी। इस खिलाड़ी का नाम स्टीवन वान डे वेल्डे (Steven van de Velde) है, जो वॉलीबाल खिलाड़ी है। पेरिस में स्टीवन जब नीदरलैंड के लिए खेलने के लिए मैदान पर उतरा, तो दर्शकों ने उसको खूब उल्टा-सीधा सुनाया और जमकर हूटिंग की, जिसके बाद ये मामला पूरी दुनिया की नजर में आ गया।
हैरानी की बात है कि एक तरफ स्टार महिला घुड़सवार चार्लोट दुजार्डिन को इसलिए ओलंपिक से बाहर कर दिया गया, क्योंकि 4 साल पहले उन्होंने अपने घोड़े को 24 कोड़े मारे थे। इस काम को अमानवीय और जानवरों पर अपराध करार दिया गया था और हॉर्स चैरिटी के एंबेसडर पद से भी हटा गिया गया था। वहीं, स्टीवन जैसे बलात्कारी को ओलंपिक में जगह दी जा रही है। ये ओलंपिक खेलों के आयोजकों के दोहरे रवैय्ये को भी दर्शाता है।
Boos -and some applause – as Steven van de Velde, who was convicted of raping a 12-year-old British girl when he was 19, enters the Stadium with his partner Matthew Immers. The boos were more audible when he was later introduced separately #PARIS2024 pic.twitter.com/yJGjxXKzE9
— Alexandra Topping (@LexyTopping) July 28, 2024
हैरानी की बात है कि एक ओलंपियन पाउला रैडक्लिफ, जो बीबीसी की कमेंट्री एक्सपर्ट टीम में शामिल है, उन्होंने ये कह कर स्टीवन का बचाव किया कि वो पुरानी बात हो गई है और अब स्टीवन शादीशुदा है, साथ ही काफी बदल गया है।
मैदान पर जबरदस्त हूटिंग के बाद खुला मामला
यूँ तो ओलंपिक खेलों में हिस्सा लेने वाले एथलीट्स को हीरो माना जाता है, लेकिन स्टीवन वान डे वेल्डे एक घोषित अपराधी हैं और 12 साल की बच्ची के रेप के अपराध में जेल की सजा काट चुके हैं। मामला 2014 का है, जब उस समय 19 साल के स्टीवन वान डे वेल्डे ने सोशल मीडिया के जरिए 12 साल की ब्रिटिश लड़की को अपने जाल में फंसाया था। वो ब्रिटेन गए थे और 12 साल की बच्ची को शराब पिलाकर उसके साथ संबंध बनाए थे। बच्ची को स्टीवन वान डे वेल्डे ने तबतक नहीं छोड़ा, जबतक उसने दर्द की शिकायत नहीं की और रोने नहीं लगी।
इस मामले में स्टीवन वान डे वेल्डे को गिरफ्तार कर लिया गया और 2016 में 4 साल की जेल की सजा सुनाई गई। एक साल की सजा उसे इंग्लैंड में काटनी पड़ी, और फिर उसे नीदरलैंड भेज दिया गया। बाकी कुछ महीने उसने नीदरलैंड की जेल में बिताए, फिर उसे रिहा कर दिया गया। स्टीवन वान डे वेल्डे आज के समय में नीदरलैंड का स्टार खिलाड़ी है और वॉलीबाल के खेल में पेरिस ओलंपिक में नीदरलैंड की टीम का प्रतिनिधित्व कर रहा है, जबकि पीड़ित लड़की उस भयावह हादसे से कभी उबर ही नहीं पाई और ड्रग्स में डूब गई। उस लड़की की जिंदगी फटेहाल और नर्क सरीखी बीती।
ओलंपिक गाँव से अलग हाई सिक्योरिटी होटल में रखा गया है स्टीवन वान डे वेल्डे
स्टीवन वान डे वेल्डे एक बाल यौन शोषक है, जिसकी वजह से उसे ओलंपिक खेलों के आयोजन वाली जगह से दूर रखा गया है। चूँकि ओलंपिक खेल में 11 साल की एथलीट भी हिस्सा ले रही है, ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक महासंघ ने उसे ओलंपिक गाँव में ठहराने की जिम्मेदारी ही नहीं ली, जिसके बाद नीदरलैंड्स की ओलंपिक कमेटी ने उसे अपनी गारंटी पर एक होटल में ठहराया है।
नीदरलैंड की राष्ट्रीय ओलंपिक समिति का कहना है कि स्टीवन वान डे वेल्डे ने अपनी सजा पूरी कर ली है, साथ ही पुनर्वास कार्यक्रम पूरा कर लिया है। विशेषज्ञ भी इस नतीजे पर पहुँचे हैं कि वो अब दोबारा ऐसा अपराध नहीं करेगा। वहीं, वान डी वेल्डे के वॉलीबॉल पार्टनर मैथ्यू इमर्स ने उन्हें “दूसरे पिता की तरह” बताया, जिनके साथ वह “सहज” महसूस करते हैं। हालाँकि आम दर्शकों ने स्टीवन को बिल्कुल भी स्वीकार नहीं किया है और वो इस खिलाड़ी को लगातार हूट कर रहे हैं।
बीसीसी की पैनलिस्ट ने दी थी शुभकामनाएँ
बीबीसी की स्पोर्ट्स एक्सपर्ट और खुद ओलंपियन रह चुकी पाउला रैडक्लिफ ने स्टीवन वान डे वेल्डे को शुभकामनाएँ दी, साथ ही ये कहकर बचाव किया कि वो अब शादीशुदा व्यक्ति हैं और पूरी तरह से बदल चुके हैं। उन्होंने कहा, “वह उन्हें “शुभकामनाएँ” देती हैं, क्योंकि उन्होंने अपना जीवन बदल लिया है और अब विवाहित हैं।” हालाँकि लोगों ने जब रेडक्लिफ की तीखी आलोचना की, तो उन्होंने माफी माँग ली।
ये पूरा मामला बताता है कि ओलंपिक जैसे खेल भी ऐसे अपराधियों से अछूते नहीं हैं, जहाँ बाल यौन शोषण के अपराधी भी हिस्सा ले रहे हैं। हालाँकि इस पूरे मामले के सामने आने के बाद बाल यौन अपराधों और अपराधियों को लेकर लोगों में जागरुकता भी आ रही है। वहीं वान डे वेल्डे जैसे खिलाड़ियों की हूटिंग ये बताती है कि भले ही उसने सजा काट ली है और पुनर्वास कार्यक्रम में हिस्सा लिया हो, लेकिन उसके सर पर से अपराधी होने का टैग कभी नहीं हट सकता।