जहाँ एक तरफ PETA हिन्दुओं को शाकाहार का पाठ पढ़ाता है और उनके पर्व-त्योहारों को बदनाम करने का प्रयास करता है, वहीं दूसरी तरफ वो ईसाईयों के सर्वोच्च धर्मगुरु वेटिकन के पोप फ्रांसिस को ‘पर्सन ऑफ द ईयर’ का अवॉर्ड देता है। लेखिका शेफाली वैद्य ने PETA के इस दोहरे रवैए की ओर सबका ध्यान आकृष्ट कराया है। क्या PETA ईसाई मिशनरियों के एजेंडे को प्रमोट करता है?
आखिर PETA ने माँसाहारी पोप को ‘पर्सन ऑफ द ईयर’ का अवॉर्ड क्यों दिया? उसका कहना है कि अस्सीसी (Assisi) के संत फ्रांसिस के योगदानों को याद किया, जिन्होंने जानवरो के प्रति दया को बढ़ावा दिया था। उसका कहना है कि पोप ने 120 करोड़ रोमन कैथोलिक को कहा है कि वो जानवरों के साथ हिंसा न करें, इसीलिए उन्हें ये अवॉर्ड दिया गया है। साथ ही पोप को पर्यावरणविद भी बताया गया है।
अब हम आपको बताते हैं कि पोप खाते क्या हैं? दरअसल, पोप के ही शेफ ने बताया था कि वो सुबह-सुबह नाश्ते में अन्य चीजों के साथ कोल्ड मीट लेते हैं। 12 साल की एक बच्ची ने जब पोप को शाकाहारी बनने की चुनौती दी थी तब पोप ने उसे ‘ब्लेसिंग’ भेज दिया था लेकिन शाकाहारी बनने का आश्वासन नहीं दिया। उन्होंने कहा कि वो बच्चों को अपनी प्रार्थनाओं में याद रखेंगे और धन्यवाद दिया।
लेकिन, यही PETA श्री श्री रविशंकर के ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ के परिसर में एक कुत्ते की ‘हत्या का प्रयास’ का आरोप होने पर जाँच और कार्रवाई के लिए कर्नाटक पुलिस को पत्र लिखता है। आखिर PETA चाहता है कि सिर्फ एक ‘कुत्ते की हत्या के प्रयास का आरोप’ पर पूरे राज्य की पुलिस मशीनरी सक्रिय हो जाए? क्या ये सब श्री श्री रविशंकर को बदनाम करने के लिए नहीं किया गया क्योंकि वो हिन्दू संत हैं?
Every Hindu/Jain religious leader is a vegetarian but has @PetaIndia @peta ever declared @SriSri or @SadhguruJV or a Jain monk as their Person of the Year? They chose @Pontifex though, even though he eats meat. Sonam Kapoor, @PetaIndia #POTY uses python n cow leather handbags. pic.twitter.com/B1CMQu7lyQ
— Shefali Vaidya. (@ShefVaidya) July 22, 2020
सद्गुरु ने भी एक बार कहा था कि PETA द्वारा जल्लिकट्टु का विरोध करना ठीक नहीं है। उन्होंने समझाया था कि ऐसी संस्थाएँ स्थानीय लोगों की भावनाओं का सम्मान करना नहीं जानती हैं क्योंकि उन्हें स्थानीय मुद्दों और लोगों की समझ ही नहीं होती है। हालाँकि, PETA इंडिया खुद को PETA यूएस से अलग संस्था बता कर अक्सर पल्ला झाड़ लेता है लेकिन फिर दोनों का ‘लोगो’ एक क्यों है?
PETA के एक पूर्व-कर्मचारी ने बताया था कि वो ‘भारत में मुर्गों को ट्रांसपोर्ट के दौरान उनके साथ होने वाली क्रूरता को कैसे रोकें’ जैसे मुद्दों पर रणनीति बनाने के लिए बहस करते हैं। PETA के पूर्व कर्मचारी ने ये भी बताया कि JW Marriot जैसे बड़े पाँच सितारा होटलों में उनकी बैठकें होती हैं। बैठकों में मुर्गे, माँस और अन्य जानवरों के मीट ऑर्डर किए जाते हैं। बता दें कि जीवहत्या का विरोध करने वाले PETA के कर्मचारियों का 5 स्टार होटल में बैठ कर माँस खाना उनके दोहरे रवैए को उजागर करता है।
बता दें कि PETA की वेबसाइट पर जानवरों की हत्या को लेकर ख़ास समुदाय के लोगों को कई सलाह दी गई है। बताया गया है कि चाकू की धार को एकदम तेज़ कर के रखें। उसे बार-बार धार दें। उसकी लम्बाई ठीक रखें। इसकी लम्बाई 45 सेंटीमीटर होनी चाहिए। सलाह दी गई है कि काफी अच्छे तरीके से जानवर की हत्या करें, तीन से ज्यादा बार वार न करें और जानवर को हाथ-पाँव मारने दें, ताकि खून जल्दी-जल्दी निकल जाए।