प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में आयोजित जी-20 की पार्लियामेंट्री स्पीकर समिट (P-20 Summit) में शुक्रवार (13 अक्टूबर 2023) को आतंकवाद का मुद्दा एक बार फिर जोर-शोर से उठाया। पीएम मोदी ने यह मुद्दा ऐसे समय में उठाया है जब फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास ने इजरायल पर हमला करके नवजात शिशुओं से लेकर बुजुर्गों एवं महिलाओं तक को मौत के घाट दिया है।
प्रधानमंत्री ने संसदीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत कई दशकों से आतंकवाद का सामना कर रहा है। आज यह आतंकवाद विश्व के हिस्सों में अलग-अलग रूपों में पहुँच चुका है। इससे दुनिया को इसकी भयावहता का अहसास हो गया है। उन्होंने कहा कि इसमें सबसे दुखद पहलू ये है कि आतंकवाद की परिभाषा को लेकर आम सहमति नहीं बन पाई है।
#WATCH | PM Modi at the ninth P20 Summit in Delhi, says "India has been facing cross-border terrorism for many years now. Around 20 years ago, terrorists targeted our Parliament at the time when the session was on. The world is also realising how big a challenge terrorism is for… pic.twitter.com/itDjZn3uQ8
— ANI (@ANI) October 13, 2023
प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया भर से आए स्पीकर को संबोधित करते हुए कहा, “भारत दशकों से क्रॉस बॉर्डर टेररिज्म का सामना कर रहा है। आतंकवादियों ने भारत में हजारों निर्दोषों की जान ली है। करीब 20 साल पहले आतंकवादियों ने हमारी संसद को भी निशाना बनाया था। उस समय संसद का सत्र चल रहा था। आतंकियों की तैयारी सांसदों को बंधक बनाने की थी, उन्हें खत्म करने की थी। भारत ऐसे अनेकों आतंकी वारदातों से निपटते हुए आज यहाँ पहुँचा है।”
टेररिज्म को लेकर दुनिया भर के देशों के दोहरे रवैये को लेकर पीएम मोदी ने कहा, “अब दुनिया को भी अहसास हो रहा है कि टेररिज्म दुनिया के लिए आज कितनी बड़ी चुनौती है। टेररिज्म चाहे कहीं भी होता हो, किसी भी कारण से होता हो, किसी भी रूप में होता हो, लेकिन वो मानवता के विरुद्ध होता है। ऐसे में टेररिज्म को लेकर हम सभी को लगातार सख्ती बरतनी ही होगी।”
टेररिज्म की परिभाषा को लेकर एकराय नहीं बनने पर पीएम ने कहा, “टेररिज्म की परिभाषा को लेकर आम सहमति ना बन पाना, ये बहुत दुखद है। आज भी यूनाइटेड में नेशन्स में ‘इंटरनेशनल कन्वेंशन ऑन कॉम्बैटिंग टेररिज्म कन्सेंशस’ का इंतजार कर रहा है। दुनिया के इसी रवैये का फायदा मानवता के दुश्मन उठा रहे हैं। दुनिया भर की पार्लियामेंट्स को… रिप्रेजेंटेटिव्स को सोचना होगा कि इस लड़ाई में हम मिलकर कैसे काम कर सकते हैं।”
वहीं, विदेश में बैठकर भारत में अलगाववाद को हवा देने खालिस्तानी आतंकियों का पक्ष लेने वाला कनाडा इस सम्मेलन में शामिल नहीं हुआ है। कनाडा सीनेट की स्पीकर रेममोंडे गैग्ने ने पहले लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला से संसदीय सम्मेलन पी-20 में हिस्सा लेने की सहमति जताई थी, लेकिन वह इसमें अनुपस्थित रहीं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत ने सभी सदस्य देशों को आमंत्रित किया था। यह उन पर निर्भर है कि वेहिस्सा लेते हैं या नहीं।
दरअसल, कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया था कि 18 जून 2023 को कनाडा के सरे में मारे गए खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ है। इस आरोप के बाद भारत और कनाडा के रिश्ते तल्ख हो गए। भारत ने तो कनाडा के नागरिकों को वीजा देने पर तत्काल रोक लगा दी। इसके साथ ही भारत ने कनाडा से अपने राजनयिकों की संख्या कम करने के लिए भी कहा है।
बता दें कि आतंकवाद को लेकर पीएम मोदी की जीरो टोलरेंस नीति रही है और वैश्विक मंचों पर इस मुद्दे को उठाते रहे हैं। हालिया आतंकी घटना में 7 अक्टूबर 2023 को जब फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास ने इजरायल पर हर तरफ से हमला करके क्रूरता के सारे पैमाने तोड़ दिए तो इजरायल ने इसका कठोरता से जवाब दिया। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने इजरायल की कार्रवाई का समर्थन किया था।
पीएम मोदी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट डाल कहा था, “इजरायल पर आतंकी हमले से काफी आहत हूँ। हमारी प्रार्थनाएँ एवं संवेदनाएँ निर्दोष पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ हैं। इस कठिन परिस्थिति में हम इजरायल के साथ एकजुटता से खड़े हैं।” वहीं, कश्मीर में पाकिस्तान के इस्लामी आतंकवाद के खिलाफ इजरायल भी भारत को समर्थन देते रहा है।