ईरान के राष्ट्रपति पद के चुनावों में रुढ़िवादी मौलवी इब्राहिम रायसी को बहुमत मिलने के बाद शनिवार (जून 19, 2021) को उनकी विजय की घोषणा हुई। 60 वर्षीय रायसी ने 72 साल के मौजूदा राष्ट्रपति हसन रुहानी को रिप्लेस करते हुए राष्ट्रपति पद के लिए जीत हासिल की। अब आधिकारिक तौर पर वह अगस्त में राष्ट्रपति पद को सँभालेंगे।
बता दें कि ईरान में रुढिवादी धड़े से आने वाले रायसी को ईरान के सबसे बड़े धार्मिक नेता अयातोल्लाह अली खेमनई का कट्टर समर्थक बताया जाता है। साथ ही दुनिया उन्हें 1988 की एक घटना में 30,000 मौतों का जिम्मेदार मानती है। कहा जाता है कि 1988 में रायसी ने गर्भवती महिलायों को यातना देने, कैदियों को चट्टानों से फेंकने, लोगों को बिजली के तारों से झटका देने और हिंसा से जुड़े अन्य क्रूर आदेश दिए थे। जिसके कारण अमेरिका उनपर कुछ साल पहले प्रतिबंध लगा चुका है।
इब्राहिम रायसी
14 दिसंबर 1969 को जन्मे रायसी ईरान के कट्टर मौलवियों में से एक हैं। राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतने से पहले वह ईरान की न्यायपालिका में विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। 2004-2014 तक उन्होंने डिप्टी चीफ जस्टिस का पद सँभाला। बाद में 2014-2016 तक वह एटार्नी जनरल के पद पर रहे और 2019 के बाद अब तक वह ईरान के चीफ जस्टिस हैं। इसके पहले 80 और 90 के दशक में रायसी ने तेहरान में बतौर अधिवक्ता और डिप्टी अधिवक्ता के तौर पर काम किया। मालूम हो यही वह समय भी था जब उनकी पहचान एक क्रूर शासक के तौर हुई और कुछ जगह उन्हें ‘कसाई’ की संज्ञा भी मिली।
जानकारी के मुताबिक रायसी ने खमेनेई के तहत धर्मशास्त्र और इस्लामी न्यायशास्त्र की पढ़ाई की थी। चीफ जस्टिस बनने से पहले वो 2018 से वो मशहद में एक शिया मदरसा में पढ़ा भी रहे हैं। इसी के बाद 2018 में ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने रायशी को सुप्रीम कोर्ट का हेड नियुक्त कर दिया। इसके साथ ही रायशी उस कमेटी के भी सदस्य है, जो ईरान का सर्वोच्च नेता का चुनाव करता है। रायशी ने तेहरान के शाहिद-बेहेश्ती विश्वविद्यालय में साइंस लेक्चरर जमीलेह अलमोलहोदा से शादी की है। इनकी दो बेटियाँ हैं।
न्यायपालिका में इतने लंबे करियर के दौरान वर्ष 2017 में हुए चुनाव में रायसी ने भी चुनाव लड़ा था लेकिन उदारवादी रुहानी ने उन्हें भारी मतों से हरा दिया था। रायसी को 38 फीसदी वोट मिले थे, वहीं रुहानी को 57 प्रतिशत वोट मिले थे। लेकिन इस बार रायसी ने भारी मतों से जीत हासिल की। उन्हें 1 करोड़ 78 लाख के करीब वोट मिले। चुनाव में उनके मजबूत प्रतिद्वंदी माने जाने वाले ‘सेंट्रल बैंक’ के पूर्व प्रमुख अब्दुलनासिर हेम्माती उनके बहुत पीछे रहे। वहीं एक अन्य उम्मीदवार आमिर हुसैन गाजीजादा हाशमी को 10 लाख मत मिले।
1988 में 30 हजार लोगों को मारने का आरोप
1980 में रायसी सिर्फ 20 साल के थे। उस समय रायसी को तेहरान के पश्चिम में करज की क्रांतिकारी अदालत का प्रॉसिक्यूटर नियुक्त किया गया था और 1988 तक उन्हें तेहरान के डिप्टी प्रॉसिक्यूटर के रूप में प्रमोट किया गया। इसके बाद वो कैद में बंद ईरान के पीपुल्स मोजाहिदीन संगठन (पीएमओआई) के कार्यकर्ताओं की हत्या करने के लिए चुने गए 4 व्यक्तियों में से एक बन गए।
Iran elects new president Ebrahim ‘The Butcher’ Raisi who had pregnant women tortured and ordered vile mass executions https://t.co/7zn2OFQSql
— Takeshi Tanaka (@pop38373730) June 19, 2021
कुछ ही महीनों में पूरे ईरान में जेलों में बंद करीब 30,000 पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को दीवार के आगे खड़ा करके गोली मार दी गई। इन सबकी गलती मात्र ये थी कि वह शासन के खिलाफ आवाज उठा रहे थे। हालाँकि, 2018 में जब रायशी से विपक्षी नेताओं को फाँसी की सजा देने में उनके योगदान के बारे में पूछा गया था, तो उन्होंने किसी भी तरह की भूमिका होने से इनकार कर दिया था (लेकिन इस नरसंहार का जिक्र और लोगों की आपबीती आज भी कई रिपोर्ट्स में पढ़ने को मिलती थी।) उन्होंने कहा था कि उन्हें इस्लामिक रिपब्लिक के संस्थापक अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी से फाइल मिला था, जिसके तहत शुद्धिकरण की प्रक्रिया की गई थी। लेकिन, उन्हीं आरोपों को लेकर 2019 में अमेरिका ने रायसी और कुछ दूसरे नेताओं पर प्रतिबंध लगा दिया था। अमेरिका ने रायसी पर मानवाधिकर उल्लंघन का भी आरोप लगाया था।