चीन के कब्जे वाले हॉन्गकॉन्ग में चीन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। चीन ने वहाँ अपना क़ानून थोपा है, जिससे वहाँ के लोगों को गलत तरीके से फँसा कर गिरफ्तार करना उसके लिए आसान हो गया है। चीन ने इस क़ानून का ‘परीक्षण’ भी किया है, जिसके तहत एक गिरफ्तार किया गया। इसके बाद चीन के हॉन्गकॉन्ग में लोग सड़कों पर विरोध के लिए उतर आए और जम पर बवाल काटा।
चीन के ख़ुफ़िया एजेंसियों का कहना है कि हॉन्गकॉन्ग में प्रदर्शनकारी किसी बड़े विरोध प्रदर्शन के फिराक में हैं। हालाँकि, चीन का कहना है कि उसके पुलिस की चप्पे-चप्पे पर नजर है। चीन द्वारा हॉन्गकॉन्ग पर थोपे गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को लेकर उपजे आक्रोश को लेकर हॉन्गकॉन्ग में चीन परस्त पुलिस को पूरी तरह से सतर्क कर दिया गया है। यही कारण है कि लोगों को एक जगह जुटने करने की भी इजाजत नहीं दी गई है।
Video footage shared widely via Telegram shows journalists being struck with the #HongKong police water cannon. #china #july1 Full coverage: https://t.co/v14oZLwtbC pic.twitter.com/9sOXLpA9v7
— Hong Kong Free Press HKFP (@HongKongFP) July 1, 2020
लोगों को स्पष्ट आदेश जारी कर दिया गया है कि वह एक जगह पर इकठ्ठा नहीं हो सकते। यह सब घटनाएँ ऐसे वक़्त हो रही हैं जब चीन राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को पूरी तरह अमल में लाने के लिए बेचैन दिख रहा है। हॉन्गकॉन्ग में एक व्यक्ति ने अपने प्रदेश की आज़ादी की माँग करते हुए झंडा उठा कर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया, जिसे कानून का उल्लंघन मानकर उसे गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद और लोग सड़कों पर उतरे।
हॉन्गकॉन्ग विश्व के सबसे समृद्ध इलाक़ों में शामिल है। व्यापार और मैन्युफैक्चरिंग का हब है। चीन ने हॉन्गकॉन्ग के कई ऐसे लोगों को ठिकाने लगाना शुरू कर दिया है, जिसे वह ख़तरे के रूप में देखता है। ये वो लोग हैं जो चीन द्वारा हॉन्गकॉन्ग को धीमे-धीमे पूरी तरह कब्जाने की नीति का विरोध करते रहे हैं। इलेक्शन कमिटी से लेकर क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों तक, बीजिंग ने हर जगह अपने लोग बिठा रखे हैं, जिससे वहाँ की जनता ख़ुद को ठगा महसूस करती है।
Taiwan opens office for those fleeing Hong Kong after China’s new security law https://t.co/GHTvZoG4mG pic.twitter.com/e3XA7ew5SP
— Reuters (@Reuters) July 1, 2020
हॉन्गकॉन्ग का अपना अलग संविधान है, जिसे ‘बेसिक लॉ’ कहा जाता है। लेकिन, दिक्कत की बात यह है कि बेसिक लॉ 2047 में एक्सपायर हो जाएगा। उसके बाद क्या? क्या उसके बाद कोई भी निर्णय लेने से पहले चीन हॉन्गकॉन्ग की जनता की राय लेगा? हॉन्गकॉन्ग की चीफ एग्जीक्यूटिव भी चीन के किसी विश्वस्त को ही बनाया जाता है और जजों की नियुक्ति में अहम रोल होने के कारण क्षेत्र की न्यायिक व्यवस्था भी कमोबेश चीन के ही प्रभाव में काम करती है।
चीन ने एक नया प्रत्यर्पण बिल लाकर यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया कि हॉन्गकॉन्ग के नागरिकों को न्यायिक कार्रवाई के लिए उन्हें मेनलैंड चीन ले जाया जा सकेगा। इससे वहाँ की जनता सतर्क हो गई और उन्होंने बिल का कड़ा विरोध किया, जिसके बाद पहले इसे ठण्डे बस्ते में डाल दिया गया था। लेकिन, इसने हॉन्गकॉन्ग की जनता के भीतर की उस आग को बढ़ा दिया जो अरसे से भभक रहा था।