भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि खाड़ी देश कतर में फाँसी की सजा पाए 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों को काउंसिलर एक्सेस मिल गया है। इसका अर्थ है कि उन्हें अब कतर में मौजूद भारतीय राजदूत से बातचीत करने का मौक़ा मिल रहा है। यह जानकारी साप्ताहिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में विदेश मंत्रालय ने दी है।
कतर की एक अदालत ने 26 अक्टूूबर, 2023 को भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों को मौत की सजा सुनाई थी। बता दें कि साल 2022 में क़तर की एक कंपनी में काम करने वाले इन अधिकारियों पर जासूसी का आरोप लगाकर वहाँ की इस्लामी सरकार ने इन्हें गिरफ्तार कर लिया था। ये सभी पूर्व अधिकारी वहाँ की ‘अल दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज’ (ADGTCS) नाम की कंपनी के लिए काम कर रहे थे।
इस मामले को भारतीय विदेश मंत्रालय ने अजीब बताते हुए आगे अपने नौसैनिकों को यहाँ से छुड़वाने के लिए कतर के हाईकोर्ट में इस फैसले के विरोध में अपील की थी। विदेश मंत्रालय ने अब बताया है कि एक अपील इन नौसैनिकों के परिवार जबकि एक अपील इन नौसिनिकों की तरफ से डाली गई थी।
#WATCH | MEA Spokesperson Arindam Bagchi says, "You would have seen Prime Minister Modi meet Sheikh Tamim Bin Hamad, the Amir of Qatar in Dubai on the sidelines of CoP28. They've had a good conversation on the overall bilateral relationship as well as in the well-being of the… pic.twitter.com/PfcBKtKvnm
— ANI (@ANI) December 7, 2023
विदेश मंत्रालय का कहना है कि इन अपील पर 2 सुनवाई हो चुकी हैं और भारत समेत कतर में मौजूद विदेश मंत्रालय के अधिकारी इस पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया है कि 3 दिसम्बर, 2023 को जेलों में बंद नौसैनिकों को भारत के राजदूत से मिलने का मौका मिला था।
विदेश मंत्रालय ने इस सम्बन्ध में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किए जा रहे प्रयासों के विषय में भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया है। उन्होंने कहा कि आपने दुबई COP28 की मीटिंग के दौरान प्रधानमंत्री को कतर के अमीर तमीम बिन हमाद के साथ देखा होगा। इस दौरान दोनों के बीच आपसी सहयोग और हमारे लोगों की कतर में सुरक्षा को लेकर बातचीत हुई है।
बीते दिनों भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर भी इन नौसौनिकों के परिवारों से मिले थे। उन्होंने इन परिवारों को पूरी सहायता का भरोसा दिया था। इसके पश्चात इनको सुनाए गए फाँसी के फैसले के खिलाफ अपील दाखिल हुई थी जिसमें विदेश मंत्रालय ने मदद दी थी।
कतर की क्यों कैद में हैं पूर्व अधिकारी
नौसेना के ये सभी पूर्व अधिकारी कतर की राजधानी दोहा की एक प्राइवेट कंपनी में काम कर रहे थे। ये कंपनी टेक्नोलॉजी और कंसल्टेंसी का काम करती है। 30 अगस्त, 2022 को कतर की खुफिया एजेंसियों ने इन पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाते हुए इन्हें हिरासत में ले लिया था।
शुरुआत में इन पूर्व अधिकारियों पर व्यवसायिक प्रतिद्वंद्विता और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप बताया गया, लेकिन बाद में सामने आया कि इन्हें जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। मिडिल-ईस्ट की मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ये सभी पूर्व अधिकारियों को इजरायल के लिए जासूसी करने के आरोप में हिरासत में लिया है। हालाँकि, कतर की तरफ से इस बारे में सार्वजनिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है।
भारतीय नौसेना से सेवानिवृत्त ये सभी अधिकारी पिछले 5 सालों से दाहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजी एंड कंसल्टेंसी नाम की एक कंपनी में काम कर रहे थे। यह कंपनी मिडिल-ईस्ट में स्थित एक देश के मिलिट्री अधिकारी की बताई जाती है। यह कंपनी कतर की नौसेना को ट्रेनिंग और कंसल्टेंसी देने का काम करती है। इन अधिकारियों के साथ ओमान के एक सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी स्क्वाड्रन लीडर खमीस अल अजमी को भी हिरासत में लिया गया था। हालाँकि, खमीस अल अजमी को 18 नवंबर 2022 को ही रिहा कर दिया गया, बाकी सभी भारतीय अधिकारियों को अभी भी हिरासत में रखा गया है।
भारतीय अधिकारियों पर आरोप
दरअसल, भारतीय नौैसेना के पूर्व अधिकारी कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कैप्टन वीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और नाविक रागेश कतर की एक निजी फर्म दाहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज के लिए काम करते थे।
डिफेंस सर्विस प्रोवाइडर ऑर्गनाइजेशन दाहरा का स्वामित्व रॉयल ओमानी एयरफोर्स के एक रिटायर्ड स्क्वाड्रन लीडर खामिस अल-अजमी के पास है। यह प्राइवेट फर्म कतर के सशस्त्र बलों को प्रशिक्षण और संबंधित सेवाएँ उपलब्ध कराती थी। अजमी को भी भारतीयों के साथ 30 अगस्त 2022 को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन उन्हें फीफा वर्ल्ड कप के पहले नवंबर 2022 में रिहा कर दिया गया। जानकारी के मुताबिक, इन भारतीयों को इजरायल के लिए एक सबमरीन प्रोग्राम की जासूसी करने का दोषी ठहराया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, कतर ने साल 2020 में इटली में बनी हाईटेक सबमरीन खरीदने के लिए एक समझौता किया था। ट्राइस्टे स्थित जहाज बनाने वाली कंपनी ‘फिनकेंटियरी एसपीए’ के साथ यह समझौता हुआ था।
कतर ने समझौते के तहत चार कॉर्वेट (जहाज़ का एक प्रकार) और एक हेलीकॉप्टर का ऑर्डर भी दिया था। इस प्रोजेक्ट के तहत कंपनी को कतर में नौसेना का एक बेस बनाना था। इसके साथ ही नौसैनिक बेड़े की देखरेख भी करनी थी। इसके लिए कतर ने जिस दाहरा कंपनी को यह काम दिया, उसमें ये सभी भारतीय काम कर रहे थे।