हाल में ही इस्लामिक स्टेट खुरासान ने अपनी प्रोपेगेंडा मैगजीन VOICE OF HIND में ये दावा किया कि काबुल में 13 अमेरिकी मरीन कमांडों को सुसाइड बॉम्बिंग में मारने वाला हमलावर अब्दुर रहमान अल-लोगरी दिल्ली से सटे फरीदाबाद में पकड़ा जा चुका था। उसकी गिरफ्तारी साल 2016 में की गई थी।
आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय खुफिया एजेंसी RAW ने दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के साथ मिलकर एक सीक्रेट ऑपरेशन चलाया था। साल 2016 में इस ऑपरेशन में अफगानिस्तान मूल के एक शख्स को फरीदाबाद से पकड़ा गया था। अफगानिस्तान का रहने वाला वो शख्स ISKP का ट्रेंड फ़िदायीन हमलवार था, जो भारत में मेट्रो की रेकी कर के हमला करने वाला था।
प्लान के तहत अफगान मूल के उस फिदायीन ने फ़रीदाबाद की अमिटी यूनिवर्सिटी में एडमिशन भी लिया था लेकिन यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के नाम पर वो दिल्ली और आस-पास के इलाके में रेकी करता था।
इस आतंकी के बारे में जैसे ही भारतीय खुफिया एजेंसी RAW को इनपुट मिला तो स्पेशल सेल के अफ़सरों की मदद से उस अफगान मूल के फिदायीन को यूनिवर्सिटी से गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में उसने अफगानिस्तान में चल रहे ISIS के कई आतंकी ट्रेनिंग कैम्प का पता बताया था।
पूछताछ के बाद भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी RAW ने अमेरिका की खुफिया एजेंसी CIA से संपर्क किया, फिर अफगान मूल के फिदायीन को अफगनिस्तान डिपोर्ट किया गया। अफगनिस्तान पहुँचते ही उसे CIA और अफगानिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों ने हिरासत में ले लिया था।
अफगानिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों ने फिर उस आतंकी से पूछताछ किया था। इससे अफगनिस्तान में चल रहे ISKP के आतंकी ट्रेनिंग कैम्प की जानकारी मिली थी। इसी जानकारी के आधार पर अमेरिका ने ड्रोन अटैक के जरिए अफगानिस्तान में चल रहे आतंकी ट्रेनिंग कैम्प पर हमला किया और 600 से ज्यादा आतंकी मार गिराए गए थे।
ISIS-K ने दावा किया कि जेल में सजा काटने के बाद आत्मघाती हमलावर अब्दुर रहमान अल-लोगरी को फिर से अफगानिस्तान भेज दिया गया था। जिसके बाद ये एक बार फिर इस्लामिक स्टेट खुरासान के आतंकियों से जा मिला और फिर 26 अगस्त को काबुल एयरपोर्ट पर धमाके की तैयारी की गई, जिसके बाद अब्दुल ने भारी मात्रा में विस्फोटक अपने जिस्म पर बाँधा और लोगों की भीड़ के बीच खुद को उड़ा डाला। इस हमले में करीब 200 लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें 13 अमेरिकी सैनिक भी शामिल थे। हमले की जिम्मेदारी आईएसआईएस-के ने ली थी।