केंद्रीय विदेश मंत्री S जयशंकर ने ANI के साथ एक पॉडकास्ट में कहा है कि पाकिस्तान बातचीत की टेबल पर भारत को लाने के लिए आतंकवाद का सहारा लेता रहा है, लेकिन भारत ने उस खेल को खेलना बंद कर दिया है और पड़ोसी मुल्क की इस नीति को अप्रासंगिक बना दिया है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद को वैध बताने वाली नीति जहाँ होगी, बातचीत के लिए भारत इस शर्त पर कभी नहीं तैयार होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान को आतंक और शत्रुता की भावना से बाहर निकल कर एक सहायत वातावरण तैयार करना होगा।
उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि हम पाकिस्तान से बातचीत नहीं करेंगे, क्योंकि पड़ोसी तो पड़ोसी होता है – लेकिन उसकी आतंकवाद का सहारा लेकर बातचीत की टेबल पर लाने वाली उसकी नीति अब नहीं चलेगी। केंद्रीय विदेश मंत्री इस पॉडकास्ट में अपनी पुस्तक ‘Why Bharat Matters’ के विषय में बात करने आए थे। उन्होंने कहा कि भारत सभी पड़ोसी देशों के साथ सामान्य रिश्ते चाहता है। उन्होंने याद किया कि कैसे श्रीलंका आर्थिक संकट में आया तो भारत ने मदद की। पाकिस्तान के संबंध में उन्होंने कहा कि ये उसके कार्यों पर निर्भर करेगा कि वो कैसे आर्थिक बदहाली से बाहर निकलता है, ये अचानक नहीं हुआ।
केंद्रीय विदेश मंत्री S जयशंकर ने इस पॉडकास्ट में चीन और भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की नीति को लेकर भी बात की। उन्होंने कहा कि चीन के विषय में नेहरू ने जहाँ आदर्शवाद को तवज्जो देकर नरमी बरती, वहीं मोदी सरकार वास्तविकता को ध्यान में रख कर आगे चल रही है। उन्होंने याद दिलाया कि चीन को लेकर तत्कालीन पीएम नेहरू और गृह मंत्री सरदार पटेल के मतों में भिन्नता थी। उन्होंने कहा कि हम चीन नीति के संबंध में सरदार पटेल से सहमति रखते हैं।
उन्होंने याद दिलाया कि कैसे चीन को सुरक्षा परिषद में नेहरू ने सीट दिला दी थी। विदेश मंत्री ने याद दिलाया कि नेहरू की ‘चीन फर्स्ट’ पॉलिसी ‘Chindia’ पर खत्म हुई थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि चीन के साथ हमारा व्यवहार कैसा रहेगा, ये उसकी नीति पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि UNSC की सीट नेहरू ने प्लेट में रख कर चीन को दे दी, लेकिन आज मोदी सरकार में दुनिया भारत का समर्थन कर रही है ताकि हमें सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता मिले।
इस दौरान केंद्रीय विदेश मंत्री ने कनाडा को लेकर भी बात की। उन्होंने बताया कि कैसे कनाडा की राजनीति में खालिस्तानियों को जगह दी गई, और उन्हें ऐसी हरकतों में लिप्त रहने की अनुमति दी गई जो भारत-कनाडा के रिश्तों को ख़राब कर सके। उन्होंने याद दिलाया कि ये न तो भारत के हित में है, न कनाडा के। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से कनाडा की राजनीति अभी इस स्थिति में नहीं है। उन्होंने इस दौरान रूस को एक महत्वपूर्ण और स्थिर दोस्त करार दिया।
पश्चिमी मीडिया द्वारा उनके रूस दौरे की आलोचना पर एस जयशंकर ने कहा कि अगर लोग उन्हें नहीं समझ पा रहे हैं तो इसका अर्थ है कि उनके माइंडगेम्स काम कर रहे हैं। उन्होंने याद दिलाया कि रूस के साथ रिश्तों का भारत को फायदा हुआ है। उन्होंने रूस को एक महत्वपूर्ण साझीदार बताते हुए कहा कि कठिन समय में भी वो अच्छा पार्टनर रहा है। बकौल एस जयशंकर, भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध में न्यूट्रल रुख रखा और दोहराया कि बातचीत से ही समस्या का समाधान हो सकता है।