पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने यूरोपीय राजदूतों के सामने डींगें हाँकने के चक्कर में बेहद हास्यास्पद बयान दिया है। उन्होंने दावा किया है कि वह तो पाकिस्तान ने खुद पर नियंत्रण जैसे तैसे कर रखा है, वरना 5 अगस्त को कश्मीर के भारत के साथ पूर्ण विलय और उसका विशेष दर्जा ख़त्म करने की भारत की ‘हरकतों’ के बाद तो दोनों देशों में जंग हो ही जानी थी। साथ ही उन्होंने घाटी में भारत के ‘अत्याचारों’ का प्रोपेगंडा भी दोहराया, जबकि सच्चाई यह है कि 5 अगस्त के बाद से जहाँ जिहादियों ने वहाँ 88 आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया है और कई हत्याएँ की हैं, वहीं सुरक्षा बलों के हाथों इसी कालखंड में अब तक एक भी नागरिक की जान नहीं गई है।
कुरैशी ने इस बैठक में झूठों की झड़ी ही लगा दी। उन्होंने राजनयिकों को भरमाने की कोशिश में यह भी दावा किया कि कश्मीर में अब तक कर्फ़्यू लगा है, जबकि सच्चाई यह है कि वहाँ से कर्फ़्यू बहुत दिन पहले ही हटाया जा चुका है। यह तो स्थानीय और पाकिस्तान-समर्थित जिहादियों की साठ-गाँठ है जो जनजीवन सामान्य नहीं होने दे रही है। यहाँ तक कि लोग अपने बच्चों को जिहादियों के डर से स्कूल भी नहीं भेज पा रहे हैं, और स्कूल वाले अखबारों में इश्तिहार छाप कर बच्चों को पाठ्यपुस्तकों से पढ़ाई के निर्देश भेज रहे हैं ताकि उनकी शिक्षा कुछ-न-कुछ जारी रहे।
अपने यूरोपीय मेहमानों को बरगलाने के लिए कुरैशी ने यह भी कहा कि भारत खुद ही कोई कार्रवाई (फॉल्स फ़्लैग ऑपरेशन) कर उसका ठीकरा पाक के सिर फोड़ सकता है, जिसके बाद वह पाक की सीमा का अतिक्रमण कर सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि “भारत के उठाए हुए कदमों से” कश्मीर में मानवाधिकारों की स्थिति दीर्घकालिक रूप से खराब हो सकती है। यह भी पूरी तरह झूठ है, क्योंकि अब कश्मीर में केवल वही नेता नज़रबंद या जेल में हैं, जो यह सामान्य सा आश्वासन देने के लिए तैयार नहीं हैं कि वे कश्मीर में हिंसा फैलाने वाली या भड़काऊ बातें नहीं करेंगे। यह बात खुद 370 हटने की बात भर से अलगाववाद-समर्थक के तौर पर सामने आ चुकीं पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती की बेटी इल्तज़ा ने कही है।