करतारपुर कॉरिडोर शुरू करने के पीछे पाकिस्तान की जिस छिपी हुई मंशा को लेकर आशंका जाहिर किया जा रहा था उसकी पुष्टि खुद वहॉं के रेल मंत्री ने कर दी है। पाकिस्तान के रेल मंत्री शेख रशीद अहमद ने करतारपुर कॉरिडोर को अपने फौज के मुखिया जनरल कमर जावेद बाजवा के दिमाग की उपज बताया है। साथ ही कहा है कि इस कॉरिडोर का शुरू होना भारत के लिए नुक़सानदेह रहेगा।
9 नवंबर को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव की 550वीं जयंती पर करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन किया था। इस कॉरिडोर के जरिए सिख श्रद्धालु बिना वीजा के करतारपुर जा सकते हैं। उद्घाटन के वक़्त इमरान ने इस पहल का श्रेय ख़ुद को दिया था।
करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन करते हुए 12,000 से अधिक श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए इमरान ने कहा था, “मुझे इस स्थान के महत्व का अंदाज़ा नहीं था। मुझे एक साल पहले पता चला। मुझे ख़ुशी है कि हम आपके लिए ऐसा कर सके।” इस सभा में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कॉन्ग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू भी मौजूद थे।
लेकिन इमरान के दावे को नकारते हुए उनके रेल मंत्री ने करतारपुर कॉरिडोर का पूरा श्रेय जनरल बाजवा को दिया है। शेख रशीद अहमद ने कहा,
“करतारपुर कॉरिडोर खोल कर जनरल बाजवा ने भारत को जो घाव दिया है वह उसे लंबे समय तक याद रखेगा। जनरल बाजवा ने भारत को बड़ा धक्का दिया है। पाकिस्तान ने शांति के लिए नया माहौल बनाया है और सिख समुदाय का भरोसा जीता है।”
भारत के ख़िलाफ़ अक्सर ज़हर उगलने वाले शेख रशीद को इमरान ख़ान का बेहद करीबी माना जाता है। करतारपुर कॉरिडोर खुलने के कुछ ही दिन बाद पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के एक एक्टिवस्ट ने कहा था कि इसके पीछे पाकिस्तान का नापाक एजेंडा छिपा हुआ है। पीओके के एक्टिविस्ट अमजद मिर्ज़ा ग्लासगो में निर्वासित जीवन जी रहे हैं। उन्होंने दावा किया था कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख भारत के शांति और एकता में खलल डालने के लिए एक नया फ्रंट चाहते थे।
अमजद मिर्ज़ा ने एक कार्यक्रम में मीडिया से कहा था कि पाकिस्तान ने अब यह फ़ैसला क्यों लिया? 73 साल बाद उन्होंने ऐसा क्यों किया? उन्होंने ऐसा इसलिए किया है क्योंकि कश्मीर का प्रवेश द्वार बंद हो गया है जहाँ से वे आतंकवाद को फैला रहे थे। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सेना, देश के लोगों के बीच विश्वास खोती जा रही है। पीओके कार्यकर्ता ने कहा था कि करतारपुर कॉरिडोर के माध्यम से, वे अब पंजाब में शांति और सद्भाव में बाधा डालने के लिए खालिस्तानी चरमपंथियों का इस्तेमाल करेंगे।