Friday, November 22, 2024
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श्रीलंका में चीनी पैसों से बने एयरपोर्ट को चलाएँगी भारत-रूस की कंपनियाँ: पड़ोसी देश में ड्रैगन के उखड़ रहे कदम!

श्रीलंका में मट्टाला राजपक्षे इंटरनेशनल एयरपोर्ट, जो कि चीनी पैसों से बना है, उसे 30 साल के लिए भारत और रूस की कंपनियों को लीज पर दे दिया गया है।उस समय श्रीलंका के राष्ट्रपति रहे महिंद्रा राजपक्षे ने चीन से नजदीकी बढ़ाने के लिए इस एयरपोर्ट को बनवाया था।

श्रीलंका में तीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट हैं। उसमें से 2 राजधानी कोलंबो में हैं, तो तीसरा दक्षिणी हिस्सा के हंबनटोटा शहर के पास। यही तीसरा एयरपोर्ट अब भारत और रूस की कंपनियाँ चलाएँगी। इस एयरपोर्ट का नाम है मट्टाला राजपक्षे इंटरनेशनल एयरपोर्ट और ये श्रीलंका का सबसे बड़ा रनवे वाला एयरपोर्ट है। ये एयरपोर्ट चीनी पैसों से बना है, जो श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पर सबसे बड़ी मुसीबत है, क्योंकि चीन ने जो पैसा दिया है, उसका ब्याज काफी ज्यादा है। खैर, अब इस एयरपोर्ट को 30 साल के लिए भारत और रूस की कंपनियों को लीज पर दे दिया गया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन के एग्जिम बैंक से मिले लोन से इस एयरपोर्ट को बनाया गया था। आरोप है कि उस समय श्रीलंका के राष्ट्रपति रहे महिंद्रा राजपक्षे ने चीन से नजदीकी बढ़ाने के लिए इस एयरपोर्ट को बनवाया था। हालाँकि इस एयरपोर्ट पर हवाई जहाजों की आवाजाही इतनी कम है कि इसे सालों पहले दुनिया का सबसे ‘खाली’ एयरपोर्ट कहा गया और अब इस एयरपोर्ट को संवारने और फ्लाइट ऑपरेशंस को अंजाम देने के लिए भारत की शौर्या ऐरेनॉटिक्स (प्राइवेट) लिमिडेट और रूस की एयरपोर्ट्स ऑफ रीजंस मैनेजमेंट कंपनी को सौंप दिया गया है।

मट्टाला राजपक्षे इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर सालाना 1 मिलियन पैसेंजर्स को हैंडल करने की क्षमता है, लेकिन पर्याप्त यात्रियों के न होने की वजह से तमाम इंटरनेशनल एयरलाइंस ने अपना बोरिया बिस्तर समेट लिया था। इस एयरपोर्ट को महिंद्र राजपक्षे द्वारा अपने गृह जिले में विकास दिखाने के तौर पर ‘सफेद हाथी’ की तरह माना जाता है, जिसकी वजह से देश की अर्थव्यवस्था का बंटाधार हुआ। ये एयरपोर्ट अपनी परिचालन लागत तक नहीं निकाल पा रहा है, जबकि इसके पास बड़ा कार्गो टर्मिनल है। इस एयरपोर्ट को बनाने के लिए 209 मिलियन डॉलर की रकम खर्च हुई थी, जो बाकी सारे कामों को बढ़ाते हुए 4 बिलियन डॉलर से ऊपर पहुँच गई।

जानकारी के मुताबिक, साल 2009 से इस एयरपोर्ट को बनाने का काम शुरू हुआ था। साल 2013 से इस एयरपोर्ट पर उड़ाने शुरू की गई थी, लेकिन 2018 आते-आते लगभग सभी कंपनियों ने अपने ऑपरेशन यहाँ से समेट लिए। साल 2020 में भी चर्चाएँ चली थी कि इस एयरपोर्ट को भारत की मदद से फिर से बढ़ाया जाएगा, लेकिन नई सरकार तब कोई फैसला नहीं ले पाई। हालाँकि अब शुक्रवार (26 अप्रैल 2024) को कैबिनेट ने फैसला लिया है कि अब इस एयरपोर्ट को चलाने के लिए भारतीय और रूसी कंपनी को 30 साल के लिए लीज पर दे दिया जाए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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