आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनी OpenAI पर सवाल उठाने वाले सुचीर बालाजी को उनके फ्लैट में मृत पाया गया है। सैन फ्रांसिसको पुलिस को उनका शव 26 नवंबर को उनके फ्लैट में ही मिला। विदेशी रिपोर्ट्स में पुलिस के हवाले से माना जा रहा है कि ये आत्महत्या है लेकिन कुछ लोग इस मौत मामले में गड़बड़ी होने के संकेत कर रहे हैं, वहीं पुलिस का कहना है कि उन्हें किसी गड़बड़ी के कोई संकेत नहीं मिले हैं।
🚨This was Suchir Balaji, the 26 year old OpenAI whistleblower found dead's last post on his X. He probably wanted this out there, so here it is. pic.twitter.com/BJlH9FjXih
— Autism Capital 🧩 (@AutismCapital) December 14, 2024
जानकारी के अनुसार, मौत से पहले सुचीर बालाजी की उनके दोस्तों से भी कोई बातचीत नहीं होती थी। ऐसे में उनके करीबी उनकी सेहत को लेकर चिंतित हुए और उन्होंने पुलिस को इस संबंध में जानकारी दी। सैन फ्रांसिसको पुलिस ने अपनी जाँच की तो 26 नवंबर को दोपहर के 1 बजे फ्लैट में सुचीर का शव मिला। इसके बाद उसका मेडिकल परीक्षण करवाया गया जिसकी रिपोर्ट में सामने आया कि कोई गड़बड़ी के संकेत नहीं मिले हैं।
बता दें कि सुचीर बालाजी ने लगभग तीन महीने पहले चैटजीपीटी को बनाने वाली ओपनएआई पर खुलेआम सवाल खड़े किए थे। उनका कहना था कि ओपनएआई ने सार्वजनिक रूप से कॉपीराइट कानून का उल्लंघन किया। इसके अलावा कथिततौर पर उनके पास ऐसी जानकारी थी जो OpenAI के खिलाफ़ मुकदमे में अहम भूमिका निभाने वाली थी।
इस वर्ष 23 अक्तूबर को सुचिर ने कहा था कि OpenAI चैटजीपीटी को ट्रेन्ड करने के लिए उनके डेटा को चुराकर व्यवसायों और उद्यमियों को नुकसान पहुँचा रहा है। उन्होंने कहा था, “अगर आप मेरी बात पर विश्वास करते हैं, तो आपको बस कंपनी छोड़ देनी चाहिए। यह पूरे इंटरनेट पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक अच्छा मॉडल नहीं है।”
न्यूयॉर्क टाइम्स के साथ एक साक्षात्कार के दौरान, सुचिर ने खुलासा किया था कि उन्हें शुरू में लगा था कि एआई समाज को लाभ पहुँचा सकता है, जिसमें बीमारियों को ठीक करने और बुढ़ापे को रोकने की क्षमता भी शामिल है। हालाँकि, OpenAI में शोधकर्ता के तौर पर शामिल होने के दो साल बाद यानी 2022 में एआई के बारे में उनके विचार बदलने लगे। उन्होंने चैटजीपीटी द्वारा इंटरनेट से डेटा इकट्ठा करने के अपने काम के बारे में चिंता व्यक्त की, जिसमें प्रोग्राम को प्रशिक्षित करने के लिए लगभग पूरे इंटरनेट से टेक्स्ट का विश्लेषण किया जा रहा था।