अफगानिस्तान में कब्जा करने के बाद से ही तालिबान वहाँ पर लगातार लोकतंत्र, लोगों की आजादी और बोलने के अधिकारों को कुचलने की कोशिश करता रहा है। ताजा मामले में तालिबानी सरकार ने एक नया तुगलकी फरमान जारी कर ‘इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान’, उसके कथित ‘स्कॉलर्स’ और अधिकारियों की आलोचना करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की चेतावनी दी है।
तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने अपने नेता मुल्ला हेबतुल्लाह अखुंदज़ादा का हवाला देते हुए ये नए निर्देश जारी किए है। मुजाहिद ने तल्ख लहजे में कहा कि इन दिशानिर्देशों और ‘शरिया’ के पालन की जिम्मेदारी लोगों और मीडिया की है। तालिबान प्रशासन के द्वारा दिया गया ये निर्देश जनता को तालिबान कार्यकर्ताओं और अधिकारियों के खिलाफ आरोप लगाने से भी रोकता है।
तथाकथित निर्देश उन असंतुष्टों की गिरफ्तारी और प्रताड़ना की पृष्ठभूमि में आया है, जिसमें उन्होंने लड़कियों की शिक्षा और महिलाओं और मानवाधिकारों को कुचलने रोकने के लिए तालिबान की आलोचना की थी। दरअसल, हेरात के एक इस्लामिक स्कॉलर मुजीबुर रहमान अंसारी द्वारा काबुल में मौलवियों की एक बैठक की थी, जिसमें शामिल होने वालों से तालिबान सरकार के विरोधियों के सिर काटने के लिए फतवा जारी करने के लिए कहने के हफ्तों बाद ये निर्देश जारी किए गए।
तालिबान नेता के दिशा-निर्देशों में उल्लेख किया गया है कि इस तरह की कार्रवाई ‘नकारात्मक प्रचार’ है, जिससे अनजाने में दुश्मनों की ही मदद होती है। तालिबानी आदेश में कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति किसी सैनिक को छूता है या उसके कपड़े खींचता है अथवा उससे बुरी बातें करता है तो तालिबानी कानून के मुताबिक उसे दंडित किया जाएगा।
गौरतलब है कि तालिबान मौजूदा वक्त में ‘नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट’ से लड़ाई लड़ रहा है, जिसने इस्लामिक कट्टरपंथियों पर नागरिकों को गिरफ्तार करने, मारने और उन्हें प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। इसी सप्ताह संयुक्त राष्ट्र ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसके मुताबिक, अफगानिस्तान में यातना और दुर्व्यवहार के 54 मामले और मनमाने ढंग से गिरफ्तारी और हिरासत के 113 मामले, इनकंपनीडो हिरासत के 23 मामले और राष्ट्रीय प्रतिरोध मोर्चा से जुड़े व्यक्तियों की 18 हत्याओं के मामले दर्ज किए गए हैं।