एक अंतरराष्ट्रीय जाँच रिपोर्ट में सामने आया है कि उत्तर कोरिया में ईसाइयों पर अत्याचार हो रहा है। एक बच्चे को सिर्फ इसीलिए आजीवन कारावास की सज़ा दे दी गई, क्योंकि उसके माता-पिता के पास बाइबिल मिली थी। अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट के ‘इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम रिपोर्ट’ में ये सामने आया है। इसी क्रम में 2 साल के बच्चे को परिवार सहित जेल में ठूँस दिया गया। रिपोर्ट में बताया गया है कि ईसाई मजहब का अनुसरण करने वालों को मार डाला जा रहा है।
साथ ही ईसाई मजहब का अनुसरण करने वालों को एक विशेष प्रकार का ‘Pigeon Torture’ की सज़ा दी जा रही है। इसके तहत उनके दोनों हाथ उनकी पीठ की तरफ कर के बाँध दिया जाता है और कई दिनों तक उन्हें खड़ा रखा जाता है। एक पीड़ित ने बताया कि ये इतना दर्दनाक था कि उसने मौत को गले लगाना इससे बेहतर लगा। 2020 में एक महिला को तो जेल में सोने ही नहीं दिया गया, अंततः उसे आत्महत्या को मजबूर होना पड़ा।
उत्तर कोरिया में ईसाइयों की जनसंख्या 4 लाख बताई जा रही है, जिनमें से 70,000 को अब तक जेल में बंद किया जा चुका है। ईसाइयों को अपने बच्चों से भी अपना मजहब छिपाना पड़ रहा है। ‘Open Door USA (ODUSA)’ नामक NGO ने कहा कि देश में ईसाई सुरक्षित नहीं हैं। ‘कोरिया फ्यूचर’ नामक संस्था ने कहा कि बच्चों को स्कूलों में ईसाई मिशनरियों की करतूतों के बारे में पढ़ाया जाता है, जैसे – बलात्कार, खून पीना, मानव अंगों की तस्करी, हत्या और जासूसी।
North Korean Government Jails Two-Year-Old For Life After Parents Were Caught With Bible | Sahara Reporters https://t.co/82Ld6q6HoY pic.twitter.com/TZsW49XHah
— Sahara Reporters (@SaharaReporters) May 27, 2023
पुस्तकों के जरिए बच्चों को बताया जा रहा है कि कैसे पादरी चर्च के एक हिस्से में ले जाकर बच्चों का खून निकाल लेते हैं। ईसाइयों को किम जोंग उन की सत्ता के लिए खतरे के रूप में देखा जा रहा है। चर्च के पास से गुजरने वालों को भी नहीं छोड़ा जाता है। चर्च का संगीत सुनने वालों को गिरफ्तार कर लिया जाता है। चर्च में केवल बुजुर्ग ही दिखते हैं। ईसाई संस्थाओं का कहना है कि इस मजहब के लोग उत्तर कोरिया में खतरे में हैं और खत्म हो सकते हैं। बता दें कि नॉर्थ कोरिया मुख्यतः नास्तिक देश है।