अमेरिका और ईरान के बीच सम्बन्ध वर्षों से तनाव पूर्ण रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आज ईरान ने अमेरिकी सेना का एक ड्रोन मार गिराया है। जिसके बाद दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका और ईरान के बीच का तनाव एक बार खुल कर सतह पर आ गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प को ईरान की ये हरक़त इतनी नागवार लगी है कि ट्रम्प ने एक ट्वीट में बहुत कम शब्दों में ईरान को चेतावनी दे दी।
BREAKING: Iran state news agency says Revolutionary Guard shoots down US drone; US military declines to immediately comment.
— The Associated Press (@AP) June 20, 2019
ट्रम्प ने कहा, “ईरान ने एक बड़ी भूल कर दी।” इस छोटे से वाक्य में ही अमेरिका और ईरान के बीच संभावित युद्ध की आशंकाएँ उठने लगी हैं। तो वहीं ईरान से तेल खरीदने वाले देश तेल के दाम बढ़ जाने की चिंता से हलकान है।
Iran made a very big mistake!
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) June 20, 2019
ईरान के अमेरिकी ड्रोन मार गिराने की खबर के बाद से ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर क्रूड यानी कच्चे तेल की कीमतों में आग लग चुकी है। कुछ ही मिनटों में क्रूड की कीमतों में 3% से ज्यादा का उछाल देखा गया। अगर दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात बने रहते है या युद्ध की नौबत आती है तो कुछ मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कच्चा तेल के दाम में 10% की बढ़ोतरी का अनुमान व्यक्त किया जा रहा है।
अनुमान यह भी है कि ऐसे में भारत के लिए कच्चा तेल खरीदना और महँगा हो जाएगा। जिससे पेट्रोल-डीज़ल के दाम भी भारत में 8% तक बढ़ सकते हैं। बता दें कि तेल के दाम बढ़ने का असर देश की अर्थव्यवस्था पर साफ़ नज़र आता है। तेल के दाम बढ़ने से देश में महँगाई बढ़ेगी, जिसका आर्थिक ग्रोथ पर निगेटिव असर होता है।
जानकारी के लिए बता दें कि ईरान के सबसे बड़े तेल ग्राहक चीन और भारत हैं। भारत चीन के बाद कच्चे का सबसे बड़ा खरीदार देश है। भारत ईरान से हर रोज करीब 4.5 लाख बैरल कच्चे तेल की खरीद करता है।
मामले की तल्खी के बीच, अमेरिकी अधिकारी ने कहा है कि ईरान की सतह से हवा में मार करने वाली एक मिसाइल ने स्ट्रेट ऑफ हॉर्मूज के ऊपर अंतरराष्ट्रीय एयरस्पेस में अमेरिकी ड्रोन को मार गिराया है। वहीं, ईरान के रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स ने कहा है कि ड्रोन दक्षिणी ईरान के ऊपर उड़ान भर रहा था। मामला जो भी अब ट्रम्प की धमकी के बाद सम्पूर्ण विश्व की निगाहें इस मामले में दोनों देशों के अगले कदम पर टिक चुकी हैं।
बता दें कि अमेरिका और ईरान के बीच पिछले एक साल से तनावपूर्ण माहौल जारी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान से एक साल पहले परमाणु समझौता वापस ले लिया था। ईरान ने हाल ही में कहा था कि वह कम समृद्ध यूरेनियम के उत्पादन को बढ़ाएगा और उसने हथियार-ग्रेड स्तर के करीब इसके संवर्धन को बढ़ावा देने की धमकी दी थी। जिससे कि यूरोप पर 2015 डील के लिए दबाव बनाया जा सके।
विगत कुछ समय में अमेरिका ने एक विमानवाहक पोत को मध्य पूर्व में भेजा है और इस क्षेत्र में पहले से ही 10 हजार सैनिक तैनात हैं इसके बावजूद हजारों अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती की गई है। रहस्यमय हमलों ने तेल टैंकरों को भी निशाना बनाया क्योंकि ईरान-सहयोगी हौती विद्रोहियों ने सऊदी अरब में बम से लैस ड्रोन लॉन्च किए। इससे आशंका बढ़ गई है कि दोनों देशों के बीच संघर्ष हो सकता है। ऐसे में अगर तनाव बढ़ता है और युद्ध के हालात बनते हैं तो ऐसा ईरान की इस्लामिक क्रांति के 40 साल बाद होगा। ईरानी सेना का यहाँ तक कहना है कि वो युद्ध के लिए भी तैयार हैं।