युगांडा में मुस्लिमों द्वारा ईसाई में परिवर्तित होने पर कट्टरपंथियों ने 10 जुलाई को हमला कर दिया। इसमें एक ईसाई की मौत हो गई। कट्टरपंथियों द्वारा किए गए हमले में रॉबर्ट ब्वेनजे के सिर पर गहरी चोट लगी और अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
दरअसल रॉबर्ट ब्वेनजे 6 जुलाई को क्यंकवांजी जिले के सिरिमुला गाँव पहुँचे थे। यहाँ पर उन्होंने इस्लाम और ईसाई धर्म पर खुलकर बहस किया। इस दौरान एलीम पेंटेकोस्टल चर्च के सहायक पादरी एम्ब्रोस मुगीशा भी उनके साथ थे। ‘मॉर्निंग न्यूज स्टार’ से बात करते हुए 25 वर्षीय पादरी मुगीशा ने बताया कि बहस के बाद दो महिलाओं सहित आठ मुस्लिमों ने मसीह में विश्वास जताया।
Uganda: Muslims screaming ‘Allahu akbar’ ambush and beat Christians, burn Bibles, kill one Christian https://t.co/uMYHI82ZsP pic.twitter.com/9wRPnSoyi2
— Robert Spencer روبرت سبنسر रॉबर्ट स्पेंसर 🇺🇸 (@jihadwatchRS) August 3, 2022
उन्होंने कहा, “इससे मुस्लिम नाराज हो गए, लेकिन वे उस समय हम पर हमला नहीं कर पाए क्योंकि हमारे पास पुलिस की कड़ी सुरक्षा थी।” रिपोर्ट के मुताबिक, जैसे ही सहायक पादरी और ब्वेनजे वहाँ से लौटते वक्त दलदल पार कर रहे थे, तभी सिरिमुला गाँव के मुस्लिमों ने घात लगाकर उन पर हमला कर दिया।
पादरी मुगीशा ने मॉर्निंग स्टार न्यूज को बताया, “हमने देखा कि इस्लामिक पोशाक पहने हुए लोग अलग-अलग दिशाओं में झाड़ी से ‘अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर’ चिल्लाते हुए आ रहे हैं।” उन्होंने बताया कि हमलावरों में से दो की पहचान आशिरफू कसंबा और कबगाम्बे कादिरी के रूप में हुई। इन हमलावरों ने उनसे बाइबिल और अन्य किताबें भी छीन लिया।
पादरी मुगीशा ने कहा, “इसके बाद उन्होंने कुरान को अलग कर दिया और बाइबिल सहित बाकी किताबों को जला दिया। फिर हमें लाठियों से पीटा। मैंने आशिरफू कसंबा को पहचान लिया, जिसने मेरे सिर पर वार किया। मैं पानी में कूद गया और तैरकर दूसरी तरफ जाने में कामयाब हो गया।”
उन्होंने कहा कि राहगीरों ने उसे खून से लथपथ देखकर उन्हें बचाया। पादरी मुगीशा ने आगे कहा कि इस बीच हमलावरों ने ब्वेनजे पर हमला करना जारी रखा। इसके बाद हमलावर वहाँ से फरार हो गए। राहगीरों ने दोनों घायल ईसाइयों को प्राथमिक उपचार के लिए पास के क्लिनिक में ले गए और फिर बाद में किबोगा के एक अस्पताल में ले गए।
एलीम पेंटेकोस्टल चर्च के पादरी गॉडफ्रे सेसेमुजू ने कहा कि वह 10 जुलाई को अस्पताल में पादरी मुगीशा और ब्वेनजे से मिलने गए थे और उस रात लगभग 11 बजे ब्वेनजे की मृत्यु हो गई थी। ब्वेनजे 28 साल के थे। उन्होंने कहा, “ब्वेनजे की सिर में गहरी चोट लगने के कारण मौत हो गई। हमने उन्हें 12 जुलाई को दफना दिया।” पादरी सेसेमुजू ने मॉर्निंग स्टार न्यूज़ को बताया, “हमने किबोगा सेंट्रल पुलिस स्टेशन में घटना की सूचना दी।” उन्होंने कहा कि पुलिस ने कसंबा को गिरफ्तार कर लिया और उस पर हत्या के प्रयास का आरोप का मामला दर्ज किया।
पादरी सेसेमुजू ने कहा, “पुलिस अन्य हमलावरों की तलाश कर रही है। हमें अपने चर्च के सदस्यों और हमारे चर्च भवन की सुरक्षा के लिए प्रार्थनाओं की आवश्यकता है। इसके साथ ही हमें हमारे पादरी के लिए त्वरित चिकित्सा, रॉबर्ट ब्वेनजे की विधवा के लिए सपोर्ट और पादरी मुगीशा के लिए मेडिकल बिल सपोर्ट की जरूरत है।”
इधर पादरी मुगीशा ने बताया कि चर्च ने सहायक पादरी को सिरीमुला गाँव में एक चर्च स्थापित करने के लिए भेजा था। इसी बीच डिबेट और अभियानों के दौरान उन्हें मुस्लिमों से, विशेष रूप से कसंबा से धमकियाँ मिलनी शुरू हो गई थी। उन्होंने यह भी बताया कि अप्रैल में पादरी मुगीशा और ईसाई धर्म अपनाने वाले पाँच मुस्लिम क्षेत्र से भाग गए थे।
इसके बाद भी मुस्लिमों की तरफ से उन्हें धमकी भरे मैसेज आते रहे। इसमें कसंबा का भी मैसेज भी शामिल था। कसंबा ने मैसेज में लिखा था, “हम उन मुस्लिमों को वापस लाने के लिए कुछ दिन दे रहे हैं जिन्हें आपने ईसाई धर्म में परिवर्तित कर दिया है। हम जानते हैं कि आप उन्हें छिपा रहे हैं।”
48 वर्षीय पादरी ने यह भी बताया कि किबोगा जिले में 26 जून को, किंडेके गाँव के मुस्लिम कट्टरपंथियों ने पादरी बिंगाना जेम्स पर हमला किया था। रवोमुरिरो गाँव में उनके चर्च की इमारत को ध्वस्त कर दिया और उन्हें जान से मारने की धमकी दी थी।
पादरी जेम्स ने कहा कि उन्हें 23 जून की सुबह एक मुस्लिम का फोन आया, जिसने खुद को किंडेके का शेख मवेसिगे जाफरी बताया और कहा कि वे उन सात मुस्लिमों को वापस कर दें जो इस्लाम छोड़कर ईसाई धर्म में परिवर्तित हो गए थे। जाफरी ने उनसे कहा, “इसलिए हम आपको दो दिनों के भीतर जगह छोड़ने की चेतावनी देते हैं, अगर आपने ऐसा नहीं किया तो हम आपके घर और चर्च को ध्वस्त कर देंगे।”
जेम्स ने कहा कि उन्होंने धमकी को गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन 26 जून की सुबह उन्हें अपने दरवाजे पर एक पत्र मिला जिसमें उन्हें रविवार की सेवाओं को बंद करने और चर्च को बंद करने का आदेश दिया गया था। उन्होंने कहा, “मैंने मना कर दिया, क्योंकि यीशु मसीह का प्रचार करना मेरी आस्था है, और इस क्षेत्र में गिरजाघर लगाना मेरा विजन है।”
इसके बाद जब वह और उसकी मंडली उस दिन रविवार की प्रार्थना में थे, उन्होंने देखा कि जाफ़री के नेतृत्व में मुस्लिम युवकों के समूह ने उन पर अलग-अलग दिशाओं से क्लबों और लाठियों से घात लगाकर हमला किया।
पास्टर जेम्स ने मॉर्निंग स्टार न्यूज को बताया, “उन्होंने चार भाषाओं – अंग्रेजी, लुगांडा, स्वाहिली और अरबी में चिल्लाते हुए स्तनपान कराने वाली माताओं और युवाओं सहित हमें पीटना शुरू कर दिया और हमें सेवा बंद करने और तुरंत छोड़ने का आदेश दिया। इसके बाद उन्होंने इमारत को तोड़ना शुरू कर दिया।” उन्होंने बताया कि मार्च में भी रवेंटुहा गाँव के मुस्लिमों ने उसी चर्च की निर्माणाधीन इमारतों को ध्वस्त कर दिया था। उन्होंने स्थानीय नेताओं से इसकी शिकायत भी की थी, लेकिन उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया।
गौरतलब है कि इससे पहले जनवरी 2021 में भी युगांडा में कट्टर इस्लामी भीड़ ने एक पादरी और उसकी पत्नी पर हमला किया था। भीड़ ने पूर्वी युगांडा के किबुकु जिले में नानकोडो उप-काउंटी में चर्च की इमारत के एक हिस्से को भी ध्वस्त कर दिया था। यह नृशंस हमला भी एक इमाम के ईसाई धर्म स्वीकार करने को लेकर हुआ। भीड़ में 8 लोग शामिल थे।