चीन में उइगर मुस्लिमों पर होते अत्याचारों की सच्चाई अब किसी से छिपी नहीं हैं। हालिया जानकारी के अनुसार बीते दिनों उइगर कार्यकर्ताओं ने दावा किया है कि उन्होंने जातीय समूह को हिरासत में लेने के लिए चीन द्वारा चलाए जा रहे करीब 500 शिविर और जेल देखे हैं।
कार्यकर्ताओं ने यह आरोप लगाया कि अभी तक चीन में हिरासत में रह रहे लोगों की संख्या 10 लाख बताई जाती रही है लेकिन यह आँकड़ा इससे कहीं ज्यादा हो सकता है।
कार्यकर्ताओं के अनुसार चीन के मुस्लिम क्षेत्र शिनजियांग के लिए आजादी की माँग करने वाले वॉशिंगटन स्थित समूह ‘द ईस्ट तुर्किस्तान नेशनल अवेकनिंग मूवमेंट’ ने 182 संदिग्ध ‘‘हिरासत शिविरों’’ के बारे में संकेत दिए हैं, जहाँ उइगरों पर उनकी संस्कृति छोड़ने के लिए कथित तौर पर दबाव बनाया जाता है।
Uighur activists said Tuesday they have documented nearly 500 camps and prisons run by China to… https://t.co/v4GRPGYR3W #Tripp #Tagger
— WWW Trends (@wwwtrends) November 12, 2019
इसके अलावा समूह ने गूगल अर्थ पर मौजूद ताजा तस्वीरों का आकलन करने के बाद कहा है कि उसने मंगलवार को 209 संदिग्ध जेल और 74 संदिग्ध श्रम शिविर देखे, जिनके संबंध में वह बाद में जानकारियाँ साझा करेगा।
वहीं, मूवमेंट के अभियान निदेशक कायले ओल्बर्ट ने भी इन स्थानों के बारे में जानकारी दी है। उन्होंने कहा, ‘‘बड़े हिस्से में पहले इनकी पहचान नहीं की गई है, इसलिए हम कहीं अधिक संख्या में लोगों को हिरासत में लिए जाने की बात कह सकते हैं।’’
कायले ओल्बर्ट ने इस दौरान उइगर मुस्लिमों पर अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इस तरह के और केंद्र हो सकते हैं, जिनकी हम अभी पहचान नहीं कर पाए। वहीं, अमेरिका के खुफिया विभाग में काम कर चुके और समूह को सलाह देने वाले एंडर्स कोर ने बताया कि करीब 40% स्थानों के बारे में उन्हें पहले जानकारी नहीं दी गई थी।
एशिया संबंधी मामलों के लिए पेंटागन के शीर्ष अधिकारी रैंडल श्राइवर ने भी इस बारे में कहा कि हिरासत में लिए गए लोगों का आँकड़ा मई में ही 30 लाख था, जो बताए गए आँकड़े से कहीं अधिक है।
उल्लेखनीय है कि चीन में उइगर मुस्लिमों पर होते अत्याचारों के मद्देनजर इससे पहले 22 देशों के राजदूतों ने चीन की नीतियों की आलोचना करते हुए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद को एक पत्र लिखा था। जिसमें विशेषज्ञों का मानना था की पाकिस्तान इस मामले में अपनी आँखे मूँदे बैठा है। इसके अलावा ईरान और सऊदी अरब जैसे भी ऐसे इस्लामिक देश हैं जिन्होंने कथित अत्याचारों पर चुप्पी साधी हुई है। जिसका कारण शायद चीन का इन देशों में भारी निवेश हैं।
यहाँ बता दें कि बीते कुछ समय से चीन में उइगर मुस्लिमों पर न केवल अत्याचार हो रहा है बल्कि उनके लिए रोज नए-नियम कानून बनाए जा रहे हैं। वहाँ इस्लामी टोपी लगा कर घूमने पर पाबन्दी है, नमाज भी पुलिस की निगरानी में अनुमति लेकर ही पढ़ी जा सकती है और इस्लामिक रीति-रिवाजों पर प्रतिबन्ध है चीन के शिनजियांग प्रान्त में ख़ास करके उइगर मुस्लिमों को डिटेंशन कैम्प में रखा गया है, जहाँ उनका ‘चीनीकरण’ किया जा रहा है।