संयुक्त राष्ट्र ने चीन को उइगर समुदाय के मानवाधिकारों का सम्मान करने की नसीहत दी है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने कहा कि चीन को उइगरों के मानवीय अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए। गुटेरस ने चीनी वार्ताकारों के साथ बातचीत में ये बातें कहीं। बीजिंग में बेल्ट एन्ड रोड फोरम में शामिल होने के बाद महासचिव ने इन मुद्दों को उठाया और चीन को नसीहत दी। इस सम्बन्ध में वे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात कर चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टेफेन दिजाररिक ने इस विषय में अधिक जानकारी देते हुए कहा:
“संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने चीनी वार्ताकारों से सभी प्रासंगिक मुद्दों पर चर्चा की। इसमें शिनजियांग की स्थिति को लेकर की गई चर्चा भी शामिल है। महासचिव ने चीन को इस बात से अवगत करा दिया कि संयुक्त राष्ट्र इस मामले में अपने मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बेचलेट के साथ पूरी मज़बूती से खड़ा है।”
मिशेल बेचलेट हमेशा से इस बात की वकालत करते रहे हैं कि चीन संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के अधिकारियों को शिनजियांग प्रांत में उइगर समुदाय पर किए जा रहे अत्याचारों की जाँच के लिए अनुमति दे। बेचलेट चीन द्वारा उइगरों को गायब कराने और उन्हें एकपक्षीय तरीके से हिरासत में लिए जाने व गिरफ़्तार करने को लेकर लगातार आ रही रिपोर्ट्स की जाँच करना चाहते हैं लेकिन चीन ने अभी तक संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों को ऐसा करने की अनुमति नहीं दी है। चीन साफ़-साफ़ कह चुका है कि वह संयुक्त राष्ट्र अधिकारियों का तभी स्वागत कर सकता है जब वे देश के आंतरिक मुद्दों में दखलंदाज़ी न करें।
UN Secretary-General Antonio Guterres discussed the plight of Muslims in China’s Xinjiang region in a recent meeting with Chinese President Xi Jinping, urging the Chinese leader to respect human rights. https://t.co/LO99AcorKt pic.twitter.com/7l5DudNJOh
— Radio Free Europe/Radio Liberty (@RFERL) April 30, 2019
हालाँकि, संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि वह चीन की एकता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति पूर्ण सम्मान रखता है और ‘निजी एवं सार्वजनिक तौर पर’ महासचिव गुटेरस की राय समान ही है। संयुक्त राष्ट्र ने आतंकवाद की निंदा करते हुए कहा कि इस तरह की हरकतों को किसी भी प्रकार से जायज नहीं ठहराया जा सकता है। लेकिन, संयुक्त राष्ट्र ने साफ़ किया कि आतंकवाद और हिंसक कट्टरपंथ के विरुद्ध लड़ाई में मानवाधिकारों का पूरी तरह से सम्मान होना चाहिए। हर समुदाय को इस बात का आभास दिलाया जाना चाहिए कि उनकी पहचान पूरी तरह सुरक्षित है और वे भी राष्ट्र का एक अहम हिस्सा हैं।
ज्ञात हो कि चीन ने शिनजियांग में कई री-एजुकेशन सेंटर और ट्रेनिंग कैम्पस खोल रखे हैं, जहाँ 10 लाख से भी अधिक उइगरों को क़ैदियों के रूप में रखा गया है। चीन इस कारण अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आलोचना भी झेलता रहा है। चीन ने संयुक्त राष्ट्र को इन कैम्पों की ज़रूरत पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इस्लामी उपदेशकों की भड़काऊ शिक्षा ने कुछ उइगरों को ‘हत्यारा शैतान’ बना दिया है। चीन ने उइगरों पर कार्रवाई को सही ठहराते हुए कहा कि मानवाधिकारों का उल्लंघन कहीं नहीं किया गया।
Even in private the UN’s @AntonioGuterres didn’t criticize China’s detention of 1M Uighurs. He invoked only vague bromides: “human rights must be fully respected in the fight against terrorism” and “each community must feel that its identity is respected.” https://t.co/u1qMricHpH pic.twitter.com/sc2K9oS55k
— Kenneth Roth (@KenRoth) April 30, 2019
चीन में उइगरों पर कई प्रतिबन्ध हैं। उइगरों की निगरानी के लिए पड़ोसियों को छोड़ रखा गया है। निगरानी कर रहे लाखों पुलिस और अधिकारी उइगरों से कभी भी पूछताछ कर सकते हैं और उनके घरों की छानबीन कर सकते हैं। सर्विलांस कैमरा हर तरफ है चाहे वह सड़क हो, दरवाजा, दुकान या मस्जिद। एक रास्ते पर 20 कैमरे मौजूद हैं। बंदियों के बच्चों को अनाथालय उससे दूर ले जाते हैं। मस्जिद में नमाज़ पढ़ने आए लोगों का रजिस्ट्रेशन होता है और फिर वो मस्जिद के अंदर कैमरे की निगरानी में नमाज़ पढ़ते हैं, ताकि पुलिस उन पर नजर रख सके।