लम्बे इन्तजार के बाद निर्भया के दोषियों को शुक्रवार (मार्च 20, 2020) सुबह फाँसी दे दी गई। लेकिन फाँसी पर संयुक्त राष्ट्र (UN) की भी प्रतिक्रिया आई है। सामूहिक बलात्कार के दोषियों को फाँसी दिए जाने के बाद संयुक्त राष्ट्र (UN) ने सभी देशों से मौत की सजा के इस्तेमाल को रोकने या इस पर प्रतिबंध लगाने की अपील की है।
गौरतलब है कि निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्याकांड के चार दोषियों को भारत में फाँसी दिए जाने के एक दिन बाद यह अपील की गई है। दिसंबर 16, 2012 को सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड के सात साल बीत जाने के बाद मामले के चार दोषियों- मुकेश सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को नई दिल्ली की तिहाड़ जेल में शुक्रवार सुबह साढ़े पाँच बजे फाँसी दी गई।
निर्भया बलात्कार और हत्याकांड के मामले में चारों दोषियों और एक नाबालिग सहित कुल छह व्यक्ति आरोपित के तौर पर नामजद थे। छठे आरोपित राम सिंह ने मामले की सुनवाई शुरू होने के कुछ दिनों बाद मार्च 11, 2013 को तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी। जबकि एक सुधार गृह में तीन साल गुजारने के बाद 2015 में नाबालिग को रिहा कर दिया गया था।
इस फाँसी पर प्रतिक्रिया देते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा कि वैश्विक संगठन सभी देशों से मौत की सजा का इस्तेमाल बंद करने या इस पर प्रतिबंध लगाने की अपील करता है। दुजारिक ने नियमित संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा- “हमारा रुख स्पष्ट है कि हम सभी राष्ट्रों से मौत की सजा का इस्तेमाल बंद करने या इस पर प्रतिबंध लगाने का आह्वान करते हैं।”
दिसंबर, 2012 में निर्भया के साथ हुए क्रूर सामूहिक बलात्कार एवं हत्याकांड ने पूरे देश भर में आक्रोश का माहौल पैदा कर दिया था। 23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्रा (निर्भया, सांकेतिक नाम) से दिसंबर 16, 2012 को दक्षिणी दिल्ली में एक चलती बस में गैंगरेप किया गया था और उस पर बर्बरता से हमला किया गया था। निर्भया को इसके बाद बेहतर उपचार के लिए सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उनकी मौत हो गई थी।
इसके बावजूद निर्भया के दोषियों को उनके अपराध की सजा मिलने में कई प्रकार के पेंच सामने आते रहे। यह पहली बार था जब चार लोगों को दक्षिण एशिया के सबसे बड़े जेल परिसर, तिहाड़ जेल में एक साथ फाँसी पर लटकाया गया।