फ्रेंच व्यंग्य साप्ताहिक मैगजिन शार्ली एब्दो के पैगम्बर मुहम्मद पर पुनः प्रकाशित किए जाने वाले कार्टून के फैसले को लेकर काफी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
फ्रांस, नाइजीरिया, इंडोनेशिया, ईरान, चेचन्या, यमन और पाकिस्तान जैसे कई इस्लामी या इस्लाम बहुल देशों ने पैगंबर मुहम्मद को चित्रित करने वाले कार्टून के खिलाफ आंदोलन करने के लिए सड़कों पर निकल आए। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने मंगलवार (सितंबर 8, 2020) को इसे “अक्षम्य गुनाह” कहा।
The grave & unforgivable sin committed by a French weekly in insulting the luminous & holy personality of Prophet (pbuh) revealed, once more, the hostility & malicious grudge harbored by political & cultural organizations in the west against Islam & the Muslim community.
— Khamenei.ir (@khamenei_ir) September 8, 2020
ट्विटर पर फ्रांसीसी पत्रिका के फैसले की निंदा करते हुए, खामेनेई ने कुछ फ्रांसीसी राजनेताओं की भी आलोचना की, जिन्होंने पैगंबर के अपमान करने के गंभीर अपराध की आलोचना नहीं करने के लिए “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता” के बहाने का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है।
The excuse of ‘freedom of expression’ made by some French politicians in order not to condemn this grave crime of insulting the Holy Prophet of Islam is completely unacceptable, wrong and demagogic.
— Khamenei.ir (@khamenei_ir) September 8, 2020
अपने गुस्से को व्यक्त करते हुए खामेनेई ने कहा कि इस्लामिक राष्ट्रों – विशेष रूप से पश्चिम एशियाई देशों में -इस्लाम और संप्रदाय विशेष के खिलाफ पश्चिमी राजनेताओं और नेताओं की शत्रुता को कभी नहीं भूलना चाहिए।
Zionists & arrogant powers’ anti-Islamic policies are behind such hostile moves emerging every now & then. This insult at this time can have another motive: to divert West Asian nations & states’ attention away from evil plots U.S. & Zionist regime are hatching for region.
— Khamenei.ir (@khamenei_ir) September 8, 2020
इस घोषणा ने पेरिस कार्यालय में 2015 के आतंकवादी हमले को भी प्रेरित किया, जिससे दुनिया भर में व्यापक विरोध हुआ, पाकिस्तान ने भी शुक्रवार (सितंबर 4, 2020) को कट्टरपंथी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान पार्टी के नेतृत्व में हजारों समुदाय विशेष के लोगों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया।
प्रदर्शनकारियों ने फ्रांसीसी उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान के लिए “डेथ टू फ़्रांस” का आह्वान किया। विरोध प्रदर्शन के दौरान पढ़े गए एक बिलबोर्ड पर लिखा गया था, ”ईशनिंदा करने वालों की सजा कत्ल है।” प्रदर्शनकारियों ने माँग की कि फ्रांसीसी राजदूत को निष्कासित कर दिया जाए।
गौरतलब है कि 2015 में इस्लामी आतंकवादियों के हमले का शिकार होने के बाद फ्रेंच व्यंग्य साप्ताहिक शार्ली एब्दो (Charlie Hebdo) ने मंगलवार (सितम्बर 01, 2020) को कहा था कि वह पैगंबर मोहम्मद के कथित विवादास्पद कार्टूनों पर हुए हमले पर इस सप्ताह के अंत में होने जा रहे मुकदमे की शुरुआत में ही एक बार फिर पैगम्बर मुहम्मद पर कार्टून प्रकाशित करेगा।
मैगजीन के डायरेक्टर लौरेंट रिस सौरीस्यू ने लेटेस्ट एडिशन में कार्टून को फिर से छापने को लेकर लिखा था, “हम कभी झुकेंगे नहीं, हम कभी हार नहीं मानेंगे।” इसकी संपादकीय टीम ने इसे आवश्यक बताते हुए लिखा था कि अब कार्टून को पुनः प्रकाशित करने का सही समय है, क्योंकि ट्रायल शुरू हो रहा है। पत्रिका का कहना था कि उन्हें 2015 से ही पैगम्बर मोहम्मद पर और भी कैरिकॉर्ड्स को प्रिंट करने का निवेदन आता रहा है।