म्यांमार में सेना द्वारा लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार को बरखास्त कर के सत्ता अपने हाथ में लेने के बाद अब अमेरिका ने दक्षिण एशियाई देश पर नए प्रतिबंध लगाने की बात कही है। राष्ट्रपति जो बायडेन ने सोमवार (फरवरी 1, 2021) को कहा कि अमेरिका प्रतिबंध वाले कानूनों की समीक्षा के बाद उचित कार्रवाई करेगा। वहीं म्यांमार में सेना द्वारा आपातकाल लगाने के पीछे चीन का हाथ भी बताया जा रहा है।
सेनाध्यक्ष मिन ऑन्ग ह्लेनिंग को इस वर्ष रिटायर होना था, लेकिन अब देश की सत्ता उनके हाथों में है। उनके खिलाफ पहले से यूएस और यूके जैसे देशों ने कई प्रतिबंध लगा रखे हैं। इन देशों ने उन पर रोहिंग्या मुस्लिमों के नरसंहार का आरोप लगाया है। जबकि चीन उनका खासा सम्मान करता रहा है। हाल ही में चीन के विदेश मंत्री यांग यी ने दोनों देशों को भाई बताते हुए म्यांमार के सेनाध्यक्ष की ‘सैन्य पुनरोद्धार’ के लिए पीठ थपथपाई थी।
पुस्तक “In the Dragon’s Shadow: Southeast Asia in the Chinese Century” के लेखक सेबेस्टियन स्ट्रांगियो ने कहा कि अब अमेरिका जैसे देशों के पास यहाँ हस्तक्षेप करने का न तो लोकतांत्रिक और आर्थिक माध्यम बचा है और न ही उनका अधिकार है। हाँ, चीन का प्रभाव ज़रूर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों में जिस तरह से लोकतंत्र का स्तर गिरा है, उससे उन्हें ऐसे मामलों में बोलने का नैतिक अधिकार ख़त्म हो गया है।
चीन एक पार्टी शासन के हिसाब से चलता है, ऐसे में डोनाल्ड ट्रम्प ने नीति अपनाई थी कि एशिया में लोकतांत्रिक देशों को बढ़ावा दिया जाए, जहाँ ‘खुला एवं स्वतंत्र’ माहौल है। म्यांमार में 1990 से ही कई प्रतिबंध लगते रहे थे, जिसका खामियाजा वहाँ की जनता को भुगतना पड़ा है। जो बायडेन ने विश्व के सभी देशों को म्यांमार में सेना द्वारा नेताओं को रिहा करने की माँग करने के लिए कहा है। नोबेल विजेता आंग सान सू की ने भी पिछले दिनों सेना के रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ कार्रवाई का समर्थन किया था।
इस कारण यूएस कॉन्ग्रेस में उनके समर्थक कम हुए हैं और लोकतांत्रिक एक्टिविस्ट के रूप में उनकी छवि को लेकर सवाल उठे हैं। चीन अब तक ताज़ा घटनाक्रम पर शांत रहा है और उसने म्यांमार को दोस्त बताते हुए सभी पक्षों को मिल-बैठ कर समझौता करने को कहा है। म्यांमार का एक तिहाई व्यापार चीन से ही होता है, अमेरिका से 10 गुना ज्यादा। म्यांमार में चीन का निवेश 20.5 बिलियन डॉलर (1.57 लाख करोड़ रुपए) है।
Chinese media calls the military coup in Myanmar and replacement of officials with army men a “major cabinet reshuffle”. pic.twitter.com/zaaVTDsMcw
— Poppy McPherson (@poppymcp) February 1, 2021
उधर म्यांमार की सेना ने पुरानी सरकार के 24 मंत्रियों को हटा कर उनकी जगह 11 नए नाम जारी किए हैं। नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (NLFD) के अधिकतर नेता जेल में हैं। पूर्व सैन्य जनरल म्यिंट स्वे को कार्यकारी राष्ट्रपति बनाया गया है। सेना ने चुनाव में धाँधली के आरोप भी लगाए हैं। NLFD ने नवंबर में हुए चुनाव में 396 सीटें जीती थीं। यंगून में बैंक बंद रहे और सेना की पेट्रोलिंग होती रही। लोगों में डर का माहौल है, ऐसे में कइयों ने महीने भर की खरीददारी कर डाली है।
म्यांमार ने 1948 में ब्रिटेन से आजादी के बाद से दो – 1962 में एक और 1988 में एक के बाद एक दो तख्तापलट देखे हैं। एक दशक पहले तक म्यांमार में सैनिक शासन ही था और चूँकि ये सैनिक शासन लगभग 50 साल तक था, इसलिए म्यांमार का लोकतंत्र अभी जड़ें नहीं जमा सका है। पिछले हफ्ते भी म्यांमार में तनाव के हालात हुए थे। उस समय सेना के प्रवक्ता ने कहा था कि नवंबर में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी की उसकी शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया गया तो तख्तापलट की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।