श्रीलंका के वरिष्ठ नेता दिनेश गुणवर्धने को देश का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है। उन्हें नवनिर्वाचित राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने शुक्रवार (22 जुलाई 2022) को पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई। इससे पहले छह बार प्रधानमंत्री रह चुके रानिल विक्रमसिंघे ने गुरुवार (21 जुलाई 2022) को श्रीलंका के आठवें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली थी। उनके राष्ट्रपति बनने के बाद पीएम का पद खाली हो गया था। अब गुणवर्धने ने नए प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली है।
Dinesh Gunawardena appointed as the Prime Minister of Sri Lanka.
— ANI (@ANI) July 22, 2022
He took oath as the new Prime Minister at the Prime Minister’s Office on Flower Road, Colombo today.
(Photo source: NewsWire) pic.twitter.com/V6LnrpBQgj
गुणवर्धने को अप्रैल में, पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के कार्यकाल के दौरान गृह मंत्री बनाया गया था। वह विदेश मंत्री और शिक्षा मंत्री के तौर पर भी अपनी सेवाएँ दे चुके हैं। उनके परिवार का भारत से गहरा नाता रहा है। गुणवर्धने के पिता फिलिप गुणवर्धने ने भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी थी। संयुक्त राज्य अमेरिका और नीदरलैंड में पढ़े दिनेश गुणवर्धने एक ट्रेड यूनियन नेता और अपने पिता फिलिप गुणवर्धने की तरह एक सेनानी रह चुके हैं।
फिलिप गुणवर्धने को श्रीलंका में समाजवाद के जनक के रूप में जाना जाता है। फिलिप गुणवर्धने का भारत के प्रति प्रेम और साम्राज्यवादी कब्जे के खिलाफ स्वतंत्रता की दिशा में प्रयास 1920 के दशक की शुरुआत में संयुक्त राज्य अमेरिका से शुरू हुआ था। इस काम में उनकी पत्नी मे भी बखूबी साथ दिया।
फिलिप गुणवर्धने विस्कॉन्सिन विश्वविद्यालय में जयप्रकाश नारायण और वीके कृष्ण मेनन के सहपाठी रह चुके थे। उन्होंने अमेरिकी राजनीतिक हलकों में साम्राज्यवाद से स्वतंत्रता की वकालत की। बाद में लंदन में भारत की साम्राज्यवाद विरोधी लीग का नेतृत्व भी किया। बहुत कम लोग जानते हैं कि उनके परिवार का भारत से घनिष्ठ संबंध रहा है। पूरे गुणवर्धने परिवार का भारत की तरफ झुकाव है।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान श्रीलंका से भागने के बाद प्रधानमंत्री के पिता फिलिप और माँ कुसुमा ने भारत में शरण ली थी। वे उन अंडरग्राउंड वर्करों में शामिल हो गए थे, जो आजादी के लिए लड़ रहे थे और कुछ समय के लिए गिरफ्तारी से बच गए थे। 1943 में उन दोनों को ब्रिटिश खुफिया विभाग ने पकड़ लिया था। कुछ समय के लिए उन्हें बॉम्बे की आर्थर रोड जेल में रखा था। एक साल बाद फिलिप और उनकी पत्नी को श्रीलंका डिपोर्ट कर दिया गया और आजादी के बाद रिहा किया गया।
यह उनके लिए बहुत गर्व की बात है कि फिलिप, रॉबर्ट और कुसुमा सभी ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और बॉम्बे में जेल गए। भारत के साथ उनका जुड़ाव लगभग सौ साल पहले दक्षिण एशिया को ब्रिटिश राज से मुक्त करने के लिए शुरू हुआ था।
भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में फिलिप गुणवर्धने के बलिदान की तारीफ की थी। नेहरू तब कोलंबो दौरे के समय फिलिप के घर भी पहुँचे थे। आजादी के आंदोलन में उनके योगदान के लिए व्यक्तिगत रूप से परिवार को धन्यवाद भी दिया था। 1948 में श्रीलंका को यूनाइटेड किंगडम से स्वतंत्रता मिलने के बाद फिलिप और कुसुमा दोनों संसद के सदस्य बने। फिलिप 1956 में पीपुल्स रिवोल्यूशन सरकार के संस्थापक नेता और कैबिनेट मंत्री थे। उनके सभी चार बच्चों ने कोलंबो के मेयर, कैबिनेट मंत्रियों, सांसदों आदि सहित उच्च राजनीतिक पदों पर भी काम किया है।
अपने माता-पिता की तरह साफ-सुथरी छवि रखने वाले दिनेश गुणवर्धने से भारत के साथ बेहतर संबंधों के पैरोकार हैं। वह 22 वर्षों से अधिक समय तक एक शक्तिशाली कैबिनेट मंत्री रहे हैं। दिनेश गुणावर्धने का जन्म 2 मार्च 1949 को हुआ था। उन्होंने संसद सदस्य, कैबिनेट मंत्री के रूप में काम किया है। वर्तमान में वह वामपंथी महाजन एकथ पेरामुना पार्टी के नेता हैं।
इधर श्रीलंकाई सेना ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ एक्शन शुरू कर दिया है। प्रदर्शनकारियों के कब्जे से राष्ट्रपति सचिवालय को खाली करवाया जा रहा है। प्रदर्शनकारियों ने पिछले कुछ दिनों से राष्ट्रपति सचिवालय पर कब्जा किया हुआ था। सचिवालय को खाली कराने के दौरान प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच झड़प भी हुई है। प्रदर्शनकारियों को सचिवालय से खदेड़ा जा रहा है।
Sri Lanka | Visuals from the vicinity of Sri Lankan Presidential Secretariat, Galle Face in Colombo where an armed forces crackdown on protestors is underway as the crisis-laden country continues to simmer pic.twitter.com/RpVRYqeF34
— ANI (@ANI) July 21, 2022
पुलिस ने कहा कि आर्मी और पुलिस ने सचिवालय को खाली कराने के लिए आपरेशन शुरू कर दिया है। पुलिस अधिकारी ने कहा कि सचिवालय पर कब्जे का किसी को अधिकार नहीं है। झड़प में 50 प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं। इसके अलावा 9 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया है। ये प्रदर्शनकारी पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के देश से भागने के बाद लोग सड़कों पर उतर गए थे। प्रदर्शनकारी रानिल विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति चुने जाने के भी खिलाफ हैं।
#WATCH | Sri Lanka: Entry to Galle Face protest site in Colombo blocked & barricaded by security personnel amid a late-night clampdown on protestors pic.twitter.com/bvALgHb5QI
— ANI (@ANI) July 21, 2022
उल्लेखनीय है स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से श्रीलंका अपने सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। देश में संकट की शुरुआत विदेशी कर्ज के बोझ के कारण हुई। कर्ज की किस्तें चुकाते-चुकाते श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार समाप्त होने की कगार पर पहुँच गया है। हालात ऐसे हो गए कि श्रीलंका में डीजल-पेट्रोल और खाने-पीने की चीजों की कमी हो गई। जरूरी दवाएँ खत्म हो गईं। सरकार को पेट्रोल पंप पर सेना तैनात करने की जरूरत पड़ गई।