अमेरिकी सैनिकों की वापसी के मद्देनजर अफगानिस्तान पर नियंत्रण हासिल करने के लिए तालिबान द्वारा हमले तेज कर दिए गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसी बीच तालिबान के करीबी और पाकिस्तान के विद्रोही गुटों ने चीन और पाकिस्तान के खिलाफ अपने हमले बढ़ा दिए हैं। इसको लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दो जिगरी दोस्तों का तमगा हासिल कर चुके पाक और चीन मुश्किलों में घिर गए हैं।
हांगकांग के साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की खबर के अनुसार, विद्रोही समूहों ने पाकिस्तान और चीन के खिलाफ हमलों को तेज कर दिया है। बताया जा रहा है कि कई वर्षों से पाकिस्तान के खिलाफ विद्रोह कर रहे तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) वहाँ के कबायली इलाकों के साथ-साथ खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के भी कई क्षेत्रों पर नियंत्रण हासिल करने के लिए सक्रिय हो गया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, तालिबान के करीबी नूर वली महसूद के नेतृत्व वाले टीटीपी ने पाक की सीमा से लगते संवेदनशील क्षेत्रों में अपने सुरक्षा बलों को फिर से तैनात कर दिया है। जून में जारी संयुक्त राष्ट्र की निगरानी रिपोर्ट के अनुसार, टीटीपी के पांच हजार आतंकवादी वर्तमान में अफगानिस्तान में हैं।
बताया जा रहा है कि टीटीपी के विपरीत, बलूच राजी आजोई सेंगर के संरक्षण में कार्य कर रहे 4 बलूच विद्रोही समूह चीन के ग्वादर बंदरगाह के संचालन और बलूच में 60 अरब अमेरिकी डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के तहत अन्य परियोजनाओं का हिंसक विरोध कर रहे हैं। मालूम हो कि सीपीईसी (CPEC) चीन के शिनजियांग प्रांत को ग्वादर बंदरगाह से जोड़ता है।
वहीं, खैबर पख्तूनख्वा एसेंबली के एक निर्दलीय सदस्य मीर कलाम वजीर का कहना है कि दक्षिण वजीरिस्तान में सक्रिय अलग-अलग समूह पिछले साल अक्टूबर में टीटीपी बैनर के तहत एकजुट हुए थे। वजीर ने आगे कहा, ”ऐसी खबरें हैं कि दक्षिण वजीरिस्तान में टीटीपी आतंकवादियों ने सरकारी ठेकेदारों से जबरन वसूली शुरू कर दी है।”
गौरतलब है कि तालिबान ने रविवार (4 जुलाई 2021) को अफगानिस्तान में सरकारी सुरक्षा बलों के साथ भीषण लड़ाई के बाद कंधार प्रांत में एक प्रमुख जिले पंजवाई पर कब्जा कर लिया है। बता दें कि तालिबान के विद्रोहियों ने पूरे देश में बड़े पैमाने पर कदम उठाए हैं और अफगानिस्तान के करीब 100 जिलों पर कब्जा किया है।