बलूच नेता मेहरान मेरी ने शनिवार (सितंबर 28, 2019) को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने पहली बार वैश्विक मंच से स्वीकार किया कि 1980 के दशक में कट्टरपंथी आतंकवादियों को प्रशिक्षित किया गया। मेहरान मेरी का कहना है कि इमरान खान का यह कबूलनामा एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा है। उन्होंने ऐसा दुनिया में वैश्विक स्तर पर देश की छवि को सुधारने के लिए किया है।
बलूच नेता ने कहा, “यह पहली बार है कि पाकिस्तान के कठपुतली प्रधानमंत्री (इमरान खान) ने (संयुक्त राष्ट्र) सुरक्षा परिषद जैसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर कबूल किया कि उसने 80 और 90 के दशक में आतंकवादियों को पनाह दिया और प्रशिक्षित किया था और अब कह रहा है कि उसने जो किया उसके लिए खेद है। इमरान खान के इस बयान से साफ तौर पर झलक रहा है कि वो केवल अमेरिका से अपने भीख के कटोरे में धन प्राप्त करने के लिए ऐसा बोल रहे हैं।”
Baloch leader Mehran Marri slammed Pakistan Prime Minister Imran Khan over his recent admittance of the country having had cultivated radical factions in the 1980s
— ANI Digital (@ani_digital) September 30, 2019
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बता दें कि इमरान खान ने अपने संबोधन में 1980 के दशक और 1990 के दशक के दौरान जिहादियों को प्रशिक्षित करने और उनसे संपर्क बनाए रखने में पाकिस्तान की भूमिका को स्वीकार किया था। मेहरान मेरी ने कहा कि इमरान खान ने ये दिखाने का प्रयास किया कि उनका देश इस्लाम का चैंपियन है। कुछ छंदों का पाठ करके, उन्होंने इस्लामी दुनिया का समर्थन हासिल करने की कोशिश की। लेकिन मुझे नहीं लगता कि ऐसा कुछ था। हर कोई पाकिस्तान, उसकी सैन्य नेतृत्व और इसकी कठपुतली सरकार की वास्तविकता को जानता है।
बलूच नेता ने खान के भाषण को देश द्वारा कश्मीर मुद्दे पर वैश्विक समर्थन हासिल करने का एक और विफल प्रयास माना। मेरी ने कहा कि यह देखना मजेदार है कि पाकिस्तानी सेना और उसके गुर्गों को कश्मीर के मुद्दे पर इतनी चिंता है कि वे एक एनजीओ के रूप में काम कर रहे हैं, देशों की लॉबी करने की कोशिश कर रहे हैं (और जाहिर तौर पर सभी देश उनकी अनदेखी कर रहे हैं)। आगे उन्होंने कहा कि उनकी अक्षमता इस तथ्य में इतनी दिखाई देती है कि पिछले शुक्रवार को वो कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के लिए समर्थन इकट्ठा पास की समय सीमा से चूक गए। जाहिर है कि उनके पास संख्या नहीं थी। मगर समय सीमा से चूक जाना हाई स्कूल होमवर्क की तरह लगता है, जिसे करना वो भूल गए। इस बनाना रिपब्लिक में असमानता साफ दिखाई दे रही है।
गौरतलब है कि कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान को हर तरफ से मुँह की खानी पड़ रही है। पाकिस्तान ने इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीयकरण करने की बहुत कोशिश की, लेकिन किसी देश ने भी इस पर पाकिस्तान का साथ नहीं दिया। सार्क देशों समेत कई देशों ने ये कहते हुए भारत के इस फैसले का समर्थन किया कि कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है।