चीन हमेशा से वुहान लैब से कोरोना वायरस के लीक होने की थ्योरी को झुठलाता आया है। लेकिन अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट्स से लेकर ऐसी कई रिपोर्ट्स हैं जो कोरोना के वुहान के जानवरों के बाजार से फैलने के दावों को नकारते रहे हैं। चीन में करीब ढाई दशक तक संवाददाता की भूमिका निभा चुके पत्रकार जैस्पर बेकर (Jasper Becker) ने डेली मेल के लिए लिखे अपने एक हालिया लेख में विस्तार से उन कारणों को गिनाया है, जो इन दावों को मजबूत बनाते हैं कि कोरोना वायरस न केवल चीन की लैब से लीक हुआ बल्कि शायद चीन ने जानबूझकर जैव हथियार की तरह इसका इस्तेमाल भी किया।
बेकर ने लिखा है, चीनी शहर वुहान, जहाँ कोविड -19 महामारी की उत्पत्ति हुई, वहाँ की लैब में वैज्ञानिकों ने बंदरों और खरगोशों समेत 1,000 से अधिक आनुवंशिक रूप से इंजीनियर जानवर बनाए हैं। लैब जानवरों को भी जीन-परिवर्तित वायरस का इंजेक्शन लगाया जाता है, जो बहुत हद तक उस जीव के समान होते हैं जो कोविड -19 का कारण बनते हैं।
खास बात ये है कि चीन इस बात के लिए कुख्यात रहा है कि वह उन सभी प्रकार के प्रयोगों को लापरवाही से प्रोत्साहित करता है, जिनकी दुनिया में कहीं और करने की अनुमति भी नहीं है।
चीनी लैब करते हैं दुनिया का सबसे घातक प्रयोग!
जब से ग्लोबल बायोटेक निवेश में आकर्षक उछाल आना शुरू हुआ, चीनी शोधकर्ता जानवरों पर प्रयोगों से आगे बढ़कर इंसानों पर भी प्रयोग का जोखिम उठा रहे हैं, जिन्हें अधिकांश पश्चिमी देशों में अनैतिक माना जाएगा। बेकर लिखते हैं कि इस तरह के शोध के पीछे की चीन की मंशा संभावित रूप से बहुत लाभदायक क्षेत्र में व्यावसायिक लाभ प्राप्त करने से प्रेरित है। लेकिन इसका एक और भयावह कारण भी है।
चीनी लैब में किए जाने वाले इन अधिकांश कार्यों की देखरेख पीपुल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा की जाती है, जो दो क्षेत्रों की बारीकी से निगरानी करती है। पहला- कोई भी जीन संशोधन (जीन मोडिफिकेशन) जो बेहतर सैनिक बना सकता है, और दूसरा सूक्ष्म जीव जिनअहें नए जैविक हथियार बनाने के लिए जीन-परिवर्तित (जीन-एडिटेड) किया जा सकता है, ऐसे जैव हथियार जिनसे बचने के लिए लोगों के पास कोई उपाय न हों।
चीन की इन लैबोरेटीज को जैव सुरक्षित होना चाहिए, लेकिन जीवित जानवरों की मौजूदगी जबर्दस्त सुरक्षा चुनौतियाँ पैदा करती हैं। टेस्ट ट्यूब में रखे गए रोगजनक के विपरीत, बंदर इधर-उधर भागते हैं, काटते और खरोंचते हैं। वे उत्सर्जित भी करते हैं, उनमें परजीवी होते हैं और वे त्वचा और फर को भी गिराते हैं। यह सब प्रदूषण के जोखिम को बढ़ाता है।
दो चीनी शिक्षाविदों के 2019-nCoV कोरोनावायरस के संभावित मूल शीर्षक वाले एक लेख में कहा गया है कि वुहान सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने अपनी लैब में रोग ग्रस्त जानवरों को रखा, जिनमें 605 चमगादड़ शामिल हैं। इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि चमगादड़ ने एक बार एक शोधकर्ता पर हमला किया था और ‘चमगादड़ का खून उसकी त्वचा पर था’। अन्य चीनी लेखों में वर्णन किया गया है कि कैसे वुहान के एक शोधकर्ता ने बिना सुरक्षात्मक उपायों के एक गुफा में चमगादड़ को पकड़ लिया और ‘उसके सिर के ऊपर से बारिश की बूंदों की तरह चमगादड़ का मूत्र टपक रहा था’।
चीन की ‘बैट वुमन’: कोविड-19 की उत्पत्ति में सबसे कुख्यात?
कोविड -19 की संभावित उत्पत्ति के बारे में अनगिनत कहानियों में सबसे प्रसिद्ध चीन की चमगादड़ विशेषज्ञ वुहान वायरोलॉजिस्ट शी झेंगली हैं, जिनका – उपनाम बैट वुमन है। झेंगली ने चमगादड़ पर रिसर्च के लिए दूरस्थ गुफाओं का दौरा किया था। 2015 में, उन्होंने नेचर मेडिसिन में संयुक्त रूप से चमगादड़ कोरोनावायरस के बारे में एक पेपर प्रकाशित किया, जिसमें उसके ‘मानव में उद्भव होने की क्षमता दिखाई गई’।
इस रिसर्च पेपर में एक अत्यधिक संक्रामक वायरस बनाने के लिए उनकी टीम के प्रयासों का वर्णन किया जिसने horseshoe चमगादड़ से मानव के ऊपरी श्वसन अंग को लक्षित किया। इसके बाद, उन्होंने यह देखने के लिए एक जीवित चूहे पर प्रयोग करने की कोशिश की कि क्या यह मानव निर्मित वायरस एक चूहे के फेफड़ों में प्रवेश कर सकता है और उसे संक्रमित कर सकता है। और इस वायरस ने ऐसा किया भी। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि इससे साबित होता है कि चमगादड़ से सार्स (SARS) वायरस इंसानों को संक्रमित कर सकता है।
तो क्या यह संभव था कि झेंगली ने अपनी लैब में कोविड-19 बनाया हो? वह और उसकी टीम वुहान में और क्या करती रही है?
पत्रकार के रूप में चीन पर ढाई दशक से ज्यादा समय से लिखने वाले जैस्पर बेकर ने कहा कि इस लैब के साझेदार के रूप में काम कर चुके फ्रांस के शोधकर्ताओं के हवाले से फ्रेंच सेक्रेट सर्विस और चीन के बायोलॉजिकल वीपेंस वायरफेयर प्रोग्राम को लेकर इजरायली विशेषज्ञों डैनी शोहम ने दावा किया कि वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी एक दोहरे उद्देश्य वाला सैन्य/नागरिक संस्थान है, और यहां तक कि यह भी सुझाव दिया है कि 2003 की सार्स महामारी चीन के गुप्त जैव-युद्ध कार्यक्रम का एक एक्सिडेंटल प्रॉडक्ट था।
बेकर लिखते हैं कि फिर भी, इस बात की संभावना बहुत अधिक है कि सार्स या कोविड -19 जैव बहुत कम सुरक्षा स्तर वाले बायोमेडिकल लैब से निकले हों। पिछले साल, चीन में लगभग 90 ऐसी प्रयोगशालाएँ चल रही थीं, जिनमें कि वुहान सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन भी है, जोकि शहर के ‘वेट’ सीफूड मार्केट से सिर्फ 300 गज की दूरी पर है, जिसे महामारी के एपिसेंटर के रूप में जाना जाता है।
वुहान की वो लैब, जहाँ कोविड -19 के समान चमगादड़ कोरोनावायरस का अध्ययन किया गया था, उस केंद्रीय अस्पताल से सटा हुआ है, जहाँ डॉक्टरों का पहला समूह कोविड-19 से हुआ संक्रमित था और जहाँ के सीफूड बाजार के एक झींगा-विक्रेता की पहचान 16 दिसंबर, 2019 को कोरोनावायरस के पहले मरीज के रूप में गई थी।
क्यों झूठा लगता है चीन का सीफूड मार्केट से कोरोना फैलने का दावा?
चीन के तमाम दावों के बावजूद सच्चाई यह है कि विज्ञान इस परिकल्पना का समर्थन नहीं करता है कि महामारी सीफूड बाजार से शुरू हुई थी। एक जाँच से पता चला कि बाजार के व्यापारी चमगादड़ नहीं बेचते थे, जिसे कोरोना वायरस का अनुमानित स्रोत माना जाता रहा है। हालाँकि एक फोरेंसिक जाँच में पूरे बाजार में कोरोनावायरस के कण मिले, जो जीवित हाथी, बेजर, सांप और पक्षी बेचते थे, लेकिन कभी भी कोई संक्रमित जानवर नहीं मिला।
यह स्पष्ट नहीं है कि वायरस के वे कण जानवरों से निकले थे, या वहाँ घूमने वाले इंसानों से वहाँ पहुँचे थे। इसके अलावा, कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए पहले समूह में से केवल 20 प्रतिशत लोग ही उस बाजार के संपर्क में आए थे।
बेकर ने लिखा है कि कोरोनावायरस महामारी के बारे में एक बात निश्चित है कि चीनी सरकार ने लगातार वायरस की उत्पत्ति, प्रसार और प्रभाव के बारे में झूठ बोला है। लीक हुए दस्तावेजों के अनुसार, बीजिंग के अधिकारियों ने जानबूझकर यह छिपाने की कोशिश की कि क्या हो रहा था। उन्होंने कहा कि 2019 में केवल 44 कोविड मामले थे, लेकिन वास्तव में 200 केस दर्ज किए गए थे। 10 फरवरी, 2020 को, उन्होंने 2,478 नए मामले घोषित किए, जबकि लीक हुए डेटा से पता चलता है कि 5,918 मामले दर्ज हुए थे। 10 फरवरी तक छह स्वास्थ्य कर्मियों की मौत का कभी भी सार्वजनिक रूप से खुलासा नहीं किया गया। इस बीच, बीजिंग सरकार ने उस हॉस्पिटल वीचैट सोशल मीडिया ग्रुप को बंद कर दिया, जिसने एक नए सार्स (SARS) जैसे वायरस की चेतावनी दी थी।
वहाँ कई मामले पाए जाने बाद गीले बाजार को बंद करने के बाद, अधिकारियों ने बाजार पर प्रकोप को दोष देने की कोशिश की और फिर अमेरिकी सैनिकों पर जिम्मेदारी की उंगली की ओर इशारा करते हुए सार्वजनिक अभियानों पर ध्यान केंद्रित किया, जो एक एथलेटिक्स घटना के लिए शरद ऋतु 2019 में वुहान में थे। तो चीनी वास्तव में क्या छिपाने की कोशिश कर रहे थे
गौरतलब है कि अमेरिकी विदेश विभाग ने 15 जनवरी को एक फैक्ट-शीट जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि वुहान लैब ने नागरिक और सैन्य दोनों तरह के शोध किए, और उसके कर्मचारी सैन्य अनुशासन के अधीन थे। इसमें कहा गया: ‘खुद को एक नागरिक संस्थान के रूप में पेश करने के बावजूद, अमेरिका सुनिश्चित है कि वुहान लैब ने चीन की सेना के साथ प्रकाशन और गुप्त परियोजनाओं पर सहयोग किया है।’ ‘यह कम से कम 2017 से चीनी सेना की ओर से प्रयोगशाला में जानवरों पर प्रयोगों सहित वर्गीकृत अनुसंधान में लगा हुआ है।’
बेकर ने लिखा है कि जब अमेरिकी दूतावास की अधिकारी रिक स्वित्जर (Rick Switzer) ने लैब का दौरा किया, तो उनके 19 अप्रैल, 2018 के मेमो में कहा गया, इसके शोध ‘दृढ़ता से बताते हैं कि चमगादड़ से सार्स जैसे कोरोनावायरस मनुष्यों में सार्स जैसी बीमारी का कारण बन सकते हैं।’
महत्वपूर्ण रूप से, मेमो में यह पाया गया कि वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के ब्रोशर में एक राष्ट्रीय सुरक्षा भूमिका पर प्रकाश डाला गया, जिसमें कहा गया था कि यह ‘राष्ट्रीय जैव सुरक्षा के मामले चीन की उपलब्धता में सुधार के लिए एक प्रभावी उपाय है यदि संभावित जैविक युद्ध या आतंकवादी हमला होता है’।
बेकर ने लिखा है कि ‘बैट वुमन’ झेंगली ने चीनी कम्युनिस्ट सरकार के इशारे पर वुहान लैब से कोरोना वायरस लीक की थ्योरी को झुठलाने पर काम किया और इस साल फरवली में दावा किया उन्होंने एक नए चमगादड़ वायरस को खोज निकाला है जिसमें कोविड-19 से 96 फीसदी समानता है। साथ ही इसमें वह रिसेप्टर भई है जो वायरस को मानव कोशिका में प्रवेश की इजाजत देता है। उन्होंने इस वायरस के कोविड-19 के सबसे करीबी पूर्वज होने का अनुमान व्यक्त किया। हालाँकि झेंगली के इस दावे पर दुनिया भर में सवाल उठे और कहा गया कि इसका उद्देश्य उस दावे का समर्थन करना था कि कोविड-19 की उत्पत्ति जानवरों से हुई न कि ये लैब में इंसानों द्वारा तैयार हुआ।
बेकर कहते हैं कि सच्चाई यह है कि बीजिंग कभी भी एक नया वायरस बनाने की जिम्मेदारी स्वीकार नहीं करेगा, जिसने दुनिया भर में अब तक 35 लाख लोगों को मौत की आगोश में पहुँचा दिया है। अगर शी जिंनपिंग ऐसा करते हैं तो उसे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। ऐसा करना चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के 70 साल के शासन के अंत की वजह बन सकती है।
एक तरफ जहाँ दुनिया कोरोना के कहर से जूझ रही है तो वहीं चीन की अर्थव्यवस्था में पुनरुत्थान हुआ है और मजबूत निर्यात के साथ चीन में सबकुछ सामान्य स्थिति की और लौट आया है। शायद कोरोना वायरस की उत्पत्ति से चीन यही चाहता भी था!