भगोड़े इस्लामी प्रचारक जाकिर नाइक ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है। इस्लामी कट्टरपंथी नाइक ने कहा है किपाकिस्तान अपनी राजधानी में श्रीकृष्ण मंदिर बनवाने के लिए पैसे देकर पाप कर रहा है। अपने कार्यक्रम के दौरान के एक सवाल का जवाब देते हुए उसने यह बात कही।
जाकिर से पूछा गया था, “क्या इस्लाम को मानने वाले मुल्क में मुस्लिम करदाताओं के रुपयों से मंदिर बनाया जा सकता है?” जवाब में उसने कहा एक मुस्लिम व्यक्ति किसी गैर मुस्लिम पूजा स्थल के निर्माण में दान नहीं कर सकता है। इसके अलावा जाकिर ने कहा वह ऐसे किसी निर्माण का समर्थन भी नहीं कर सकता।
बीते दिनों पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने श्रीकृष्ण मंदिर निर्माण के लिए 10 करोड़ पाकिस्तानी रुपए (4.47 करोड़ भारतीय रुपए) देने का ऐलान किया, इस मंदिर का निर्माण पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद क्षेत्र में रहने वाले 3 हज़ार हिंदुओं के लिए होना है।
मंदिर निर्माण की स्वीकृति साल 2017 के दौरान नवाज़ शरीफ़ की सरकार में दी गई थी। यह पाकिस्तान का पहला ऐसा मंदिर है जिसे निर्माण की इजाज़त मिली है। हालांकि इस मंदिर के निर्माण में पहले ही तमाम दिक्कतें पैदा हो रही हैं। जिसमें एक बड़ी दिक्कत प्रशासनिक की तरफ से की जाने वाली देरी भी है।
इतना ही नहीं मंदिर निर्माण में दिक्कतें पैदा करने वालों में बड़ा नाम मौलवियों, उलेमाओं और फ़तवों का है। हाल ही में एक पाकिस्तानी युवक ने उस मंदिर की दीवार तोड़ दी थी। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हुआ था। इसके अलावा एक और बच्चे का वीडियो खूब वायरल हुआ था जिसकी उम्र 5 साल से भी कम बताई जा रही थी।
वीडियो में बच्चा पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान को धमकी दे रहा था “अगर यह मंदिर बनाने की इजाज़त दी गई तो वह हर हिन्दू को जान से मार देगा।” मंदिर बनाने का आदेश देने के बाद पाकिस्तान के सोशल मीडिया पर इमरान खान की जम कर आलोचना हुई।
जाकिर नाइक ने अपने साप्ताहिक कार्यक्रम में बात करते हुए कहा कि लगभग सभी इमाम और उलेमाओं की इस मुद्दे पर राय एक जैसी है। इस्लाम को मानने वाला कोई भी व्यक्ति किसी गैर मुस्लिम धार्मिक स्थल के निर्माण के लिए दान नहीं कर सकता है। इस बारे में तमाम फ़तवे भी मौजूद हैं। एक मुस्लिम व्यक्ति दूसरे मज़हब के धार्मिक स्थलों के निर्माण का न तो साथ दे सकता है और न ही दान कर सकता है।
जाकिर ने इस बात के समर्थन में शरिया का हवाला भी दिया। उसने कहा अगर कोई इस्लामी देश मंदिर या चर्च बनाने के लिए रुपए देता है वह हराम माना जाएगा। अगर कोई गैर मुस्लिम व्यक्ति इस काम के लिए अपनी वसीयत भी दान करना चाहे तब इस कार्य को स्वीकृति नहीं मिलनी चाहिए। उस सूरत में भी इसे हराम ही माना जाएगा।
इसके बाद जाकिर ने कहा अब तो फुक्का (इस्लाम के जानकार) भी इस बात से सहमत होते हैं। इस्लामी देशों में गैर मुस्लिम व्यक्ति के दान से मंदिर या चर्च नहीं बनाई जा सकती है। तब इसके लिए (मंदिर निर्माण) मुस्लिम कर दाताओं के रुपयों का सवाल ही कहाँ से उठा?
इसके अलावा उसने यह भी कहा गैर मुस्लिम, इस्लामी मुल्क में रहने के दौरान ‘धिम्मी’ नाम का समझौता करते हैं, जिसके तहत उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाती है। अगर किसी नए मंदिर या चर्च का निर्माण किया जाता है तो मुल्क के पास उसे तोड़ने का पूरा अधिकार है। पुराने वालों की सुरक्षा करना ज़रूरी की जाती है लेकिन इस्लाम के मुताबिक़ नए नहीं बनाए जा सकते हैं।
अंत में जाकिर ने कहा आखिर पाकिस्तान की सरकार मंदिर बनाने के लिए करोड़ों रुपए कैसे खर्च कर सकती है? अगर पाकिस्तान के उलेमा इसका विरोध कर रहे हैं तो मैं उनसे पूरी तरह सहमत हूँ। हम ज़्यादा से ज़्यादा पुराने मंदिर बचा सकते हैं, नए नहीं बना सकते हैं।