ग्यारह सालों में पहली बार जापान में सुसाइड के मामले बढ़ने लगे हैं। ऐसे में, सरकार ने इस मुसीबत से निपटने के लिए एक ‘Minister of Loneliness’ (अकेलेपन को दूर करने के लिए एक मंत्री) को नियुक्त किया है। ये मिनिस्टर न केवल स्थानीय लोगों के अकेलेपन को दूर करने के तरीकों पर काम करेगा बल्कि सामाजिक अलगाव कम करना भी इसी की जिम्मेदारी होगी।
जापान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा (Yoshihide Suga) ने टेटूसि सकामोटो (Tetsushi Sakamoto ) को ‘लोनलीनेस मिनिस्टर’ के रूप में नियुक्त किया। सकामोटो पहले से ही जापान में घटती जन्म दर पर काम करने में लगे थे और क्षेत्रीय पुनरोद्धार को बढ़ावा दे रहे थे।
12 फरवरी को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीएम सुगा ने सकामोटो को नियुक्त करते हुए कहा, “पुरुषों के मुकाबले महिलाएँ अकेलेपन से ज्यादा जूझ रही हैं और इसलिए आत्महत्या के आँकड़े बढ़ रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि अब इन परेशानियों को पहचानेंगे और बड़े पैमाने पर नीतिगत उपायों को बढ़ावा देंगे।”
जापान में अकेलेपन का इतिहास
जापान में लोगों के लिए अकेलापन एक बहुत बड़ी समस्या रही है। इसे ‘Hikikomoi’ के साथ डिस्कस किया जाता रहा है, जिसका मतलब होता है बहुत बड़े स्तर पर सामाजिक अलगाव। कई बार इससे निपटने की कोशिशें हुईं। जैसे इंजिनियर्स ने रोबोट बनाए जो किसी का हाथ पकड़ने में समर्थ थे ताकि इंसान को अकेले होते हुए भी अकेलापन महसूस न हो। इसके अलावा, ऐसी व्यवस्थाएँ चालू की गईं जहाँ लोगों को साथ देने के लिए पैसे लिए जाते। गले लगने के साथ दोस्त,ब्वॉयफ्रेंड/ गर्लफ्रेंड भी पैसों के बदले लेने की सर्विस जापान में है।
रिपोर्ट के अनुसार, जापान में महामारी के दौरान ये समस्या बढ़ी जब लोग सामाजिक तौर पर अधिक अलग हो गए। इसी के बाद 11 वर्षों में सुसाइड केसों में बढ़त पहली बार दर्ज किया गया।
कोरोना के दौरान जब लोग पहले से ज्यादा एक दूसरे से अलग अलग रहने लगे तो जापान में सुसाइड केसों में बढ़ौतरी देखी गई। जापान टाइम्स के अनुसार, केवल साल 2020 में 20, 919 लोगों ने आत्महत्या की। ये आँकड़ा पिछले साल के मुकाबले 750 ज्यादा थे। इनमें युवा लोग और महिलाएँ बहुत ज्यादा थी। अकेले अक्टूबर में जापान में 879 महिलाओं की मौत हुई जो 2019 की तुलना में 70% अधिक थी।
जापान में आत्महत्या का अध्ययन करने वाली एक प्रोफेसर मिचिको उएदा का इस पर कहना है कि कई महिलाएँ अकेले रह रही हैं, और बड़ी संख्या में उनके पास स्थिर रोजगार नहीं है। इसलिए जब भी कुछ होता है तो वह उन्हें बहुत बुरी तरह चोट पहुँचाता है।
अकेलापन एक विश्वव्यापी मसला है
जापान अकेला देश नहीं है जो अकेलेपन से लड़ रहा है। साल 2017 की रेड क्रॉड रिपोर्ट बताती है कि ब्रिटेन में 9 मिलियन लोग इस समस्या से जूझ रहे थे या इससे हार मान चुके थे। इस स्टडी के रिलीज होने के बाद यूके पहला ऐसा देश बना था जिसने लोनलीनेस मिनिस्टर का कॉन्सेप्ट अपनाया था।
इस पर रमोना हर्डमैन ने कहा था कि अकेलापन ऐसी अनचाही भावना है और एक ऐसा अनुभव है जिसके नतीजे खराब स्वास्थ्य के परिणाम देते हैं। इसी प्रकार 2018 की रिपोर्ट में, वैश्विक स्वास्थ्य संगठन Cigna ने कहा कि अकेलापन मृत्यु दर पर उतना ही प्रभाव डालता है जितना कि एक दिन में 15 सिगरेट पीने से। यह मोटापे से भी अधिक खतरनाक है।