प्रयागराज में कुंभ का मेला इस समय लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। ऐसा लगता है मानो प्रयागराज में कुंभ नहीं बल्कि कुंभ में प्रयागराज बस गया है। कुम्भ की लोकप्रियता का आलम ये है कि अलग-अलग देशों से विदेशी पर्यटक भी इसमें बड़ी तादाद में आ रहे हैं। इस वजह से प्रयागराज में लगने वाला कुम्भ वैश्विक स्तर पर मनाया जाने वाला त्यौहार कहा जा रहा है।
कुम्भ मेले की शुरुआत इस साल 15 जनवरी से हुई। लगातार सात हफ्तों तक चलने वाला यह मेला 4 मार्च को खत्म होगा। एक तरफ जहाँ कुम्भ मेले से पूरे देश में धार्मिक और आध्यात्मिक माहौल है, वहीं सीआईआई की रिपोर्ट के अनुसार इससे उत्तर प्रदेश में न केवल 6 लाख से अधिक रोज़गार के रास्ते खुलेंगे बल्कि राज्य सरकार को 1.2 लाख करोड़ रुपए का राजस्व भी प्राप्त होगा।
50 दिन तक चलने वाले इस कुम्भ मेले के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने ₹4200 करोड़ आवंटित किए थे, जो 2013 में हुए कुम्भ के बजट से तिगुना है। बता दें कि साल 2019 के कुम्भ के दौरान आतिथ्य क्षेत्र (हॉस्पिटेलिटी सेक्टर) से 2,50,000 लोगों को रोज़गार प्रदान करने का उद्देश्य है। जबकि एयरलाइन और हवाई अड्डों पर 1,50,000 और 45,000 टूर ऑपरेटरों को रोजगार देना है। सीआईआई के एक अध्ययन के अनुसार, इको टूरिज्म और मेडिकल टूरिज्म में भी रोजगार की संख्या 85,000 तक आंकी जा रही है।
इसके अलावा असंगठित क्षेत्र में भी कुम्भ से फर्क पड़ेगा। यहाँ लगभग 55,000 नई नौकरियाँ पैदा होंगी। इन नौकरियों में टूर गाइड, टैक्सी ड्राइवर, दुभाषिए, स्वयंसेवक आदि शामिल हैं। इन सबकी वजह से सरकारी एजेंसियों और व्यापारियों के काम के साथ-साथ आय में भी वृद्धि होगी।
एक तरफ जहाँ यह उम्मीद की जा रही है कि उत्तर प्रदेश को इस मेले की वजह से 1.2 लाख करोड़ रुपए का फायदा होगा, वहीं पड़ोसी राज्यों (राजस्थान, उत्तराखंड,पंजाब और हिमाचल प्रदेश) के राजस्व में भी इससे बढ़ोतरी होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि कुम्भ तक आने के बाद लाखों की तादाद में पर्यटक आस-पास के राज्यों में भी घूमने जाते हैं। कुम्भ की वजह से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से देश के कई व्यापारों में भी बढ़ोतरी होगी और साथ ही देश की अर्थव्यवस्था पर भी इससे फर्क पड़ेगा।
कुम्भ पर बात करते हुए उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल का कहना है कि पिछली सरकार ने 2013 में हुए कुम्भ पर 1,300 करोड़ रुपए खर्च किए थे, जबकि 2019 में इस मेले के लिए 4,200 करोड़ रुपए आवंटित किया गया। उन्होंने बताया कि पिछली बार के मुकाबले इस बार कुम्भ के लिए पहले से दोगुनी जगह तय की गई। 2013 में जहाँ 1,600 हेक्टेयर्स में कुम्भ लगा था, वहीं 2019 में यह 3,200 हेक्टेयर में लगाया गया है।
उम्मीद की जा रही है कि 4 मार्च तक लगभग 12 करोड़ लोग इस मेले में अपनी उपस्थिति को दर्ज़ करा सकते हैं। कुम्भ का यह मेला न केवल भारत में ही इतनी प्रसिद्धि पा रहा है बल्की अपनी संस्कृति और सभ्यता की वज़ह से यह विश्व भर में लोकप्रिय होता जा रहा है।