मध्य प्रदेश में सरकारी स्कूलों का तंत्र पहले से ही शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है। अब राज्य के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की किल्लत और ज्यादा होगी। क्यों? क्योंकि अब वहाँ के अध्यापकों को राज्य के नवनिर्वाचित विधायकों के पर्सनल स्टाफ और क्लर्क के तौर पर नियुक्त किया गया है। सरकारी आँकड़ें बताते हैं कि राज्य के 4500 से ज्यादा स्कूलों में एक भी नियमित शिक्षक नहीं हैं। ऐसे में सभी मानदंडों को दरकिनार करते हुए, उसे ताक पर रखते हुए, जो शिक्षक हैं भी, उन्हें भी दूसरे काम पर लगा दिया गया है।
खबर के मुताबिक, राज्य के 10 नए विधायकों ने अपने स्टाफ में क्लर्क के तौर पर सरकारी स्कूल के शिक्षकों की नियुक्ति की है। बताया जा रहा है कि क्लर्क के रूप में नियुक्त इन शिक्षकों का वेतन भी विधायक ही तय करेंगे। बता दें कि इस शिक्षकों की नियुक्ति विधायक के स्टाफ के तौर पर होने की वजह से अब अनूपपुर जिले के सरकारी स्कूल की प्राथमिक शिक्षिका प्रेमवती सिंह मार्को को स्कूल जाने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि वह अपने पति फुंदलाल सिंह मार्को के साथ क्लर्क के पद पर तैनात हैं, जो कि पुष्पराजगढ़ विधानसभा क्षेत्र से कॉन्ग्रेस के विधायक हैं और चूँकि प्रेमवती अपने विधायक पति की क्लर्क की हैं, तो उनका वेतन उनके पति ही तय करेंगे।
इसी तरह, कटनी के बड़वारा से कॉन्ग्रेस विधायक ने अपने चचेरे भाई रघुराज सिंह को अपने पर्सनल स्टाफ रूप में तैनात किया है। हाल ही में नियुक्त किए गए 10 शिक्षकों में से यह सिर्फ दो शिक्षकों की कहानी है, जिन्हें 10 विधायकों के साथ पर्सनल स्टाफ़ के तौर पर काम पर लगाया गया है। इनमें से 9 विधायक कॉन्ग्रेस के हैं जबकि एक बीजेपी के। ये पोस्टिंग उन नियमों का उल्लंघन करते हुए की गई है, जो किसी भी गैर-शिक्षण कार्य के लिए शिक्षकों की तैनाती पर रोक लगाते हैं।
बता दें कि शिक्षा का अधिकार कानून 2009 के तहत सरकारी शिक्षकों को गैर-शिक्षण कार्यों के लिए नियुक्त किया जाना प्रतिबंधित है। इसको लेकर जनरल ऐडमिनिस्ट्रेटिव डिपार्टमेंट (जीएडी) ने 1995 में एक निर्देश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि कलेक्टर इस बात की जाँच करेंगे कि विधायक द्वारा वांछित क्लर्क मानदंडों के अनुसार हैं या नहीं।
स्कूल शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश के 2,644 प्राइमरी स्कूल और 1,918 मिडिल स्कूल बिना नियमित शिक्षक के चल रहे हैं। एक अधिकारी ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए बताया कि इन सभी स्कूलों में एक भी नियमित शिक्षक नहीं हैं। यहाँ पर बच्चों की पढ़ाई गेस्ट टीचर से करवाई जाती है। अगस्त 2005 में, जीएडी ने जिला कलेक्टरों को एक पत्र जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि शिक्षकों को विधायकों/सांसदों के क्लर्क के रूप में प्रतिनियुक्त किया जा रहा है, जिससे शिक्षण कार्य प्रभावित होता है। इसलिए कलेक्टरों को 1995 में इस संबंध में विभाग द्वारा जारी किए गए मानदंडों का पालन करना चाहिए।
शिक्षकों की विधायक के पर्सनल स्टाफ को तौर पर नियुक्ति के बारे में विधायक फुंदलाल सिंह मार्को से पूछा गया कि क्या स्कूलों में शिक्षकों की कमी होने के बावजूद शिक्षकों को गैर-शिक्षण कार्य के लिए नियुक्त करना सही है? तो उन्होंने इसका जवाब देते हुए कहा कि ये सही है या नहीं, यह जेनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट से पूछा जाना चाहिए, जिसने पोस्टिंग की थी। जानकारी के मुताबिक, मार्को के अलावा मुरली मोरवाल, दिलीप सिंह गुर्जर, प्रताप ग्रेवाल, बिशु लाल सिंह, कमलेश गौड़ जाटव, बनवारी लाल शर्मा, विजय राघवेन्द्र सिंह, राजवर्धन सिंह दत्तीगांव और भाजपा विधायक लीना जैन को क्लर्क के तौर पर शिक्षक उपलब्ध कराए गए हैं।
जब टाइम्स ऑफ इंडिया ने इस मामले में जीएडी मंत्री डॉ गोविंद सिंह से संपर्क किया, तो उन्होंने कहा कि कुछ मामले ही ऐसे होते हैं, जहाँ अपवाद हो जाते हैं। यहाँ पर दो चीजें हैं, जिनमें से पहली बात ये है कि क्लर्कों की कमी है और दूसरा प्रावधान ये है कि कोई भी शिक्षक किसी विधायक का क्लर्क तभी बन सकता है जब वो इसके लिए अपनी सहमति दे। साथ ही उन्होंने कहा कि जहाँ तक एक विधायक की पत्नी को उनके पर्सनल स्टाफ के रूप में नियुक्त करने का सवाल है, तो ये उनकी संज्ञान में नहीं है। ये नियुक्ति उनके द्वारा नहीं की गई है। हालाँकि, उन्होंने इस पर गौर करने की बात कही।