Tuesday, November 5, 2024
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आंदोलनजीवी से बने ट्रोलजीवी, अब राहुल गाँधी की शरण में: योगेंद्र यादव को महिला एंकर ने टीवी डिबेट में धोया, फिर ट्विटर पर लगा दी क्लास

इस पूरे विवाद की शुरुआत एक टीवी डिबेट से हुई जिसमें आजतक की चित्रा त्रिपाठी ने देश में हुए पहले चुनावों का जिक्र किया और बताया कि तब 22 राज्यों में 13 मुख्यमंत्री ब्राह्मण थे। इस पर योगेंद्र यादव ने उन्हें ताना माना मारने की कोशिश की जिसपर पहले चित्रा त्रिपाठी ने उन्हें टीवी डिबेट में सुनाया और उसके बाद ट्विटर पर भी उनकी क्लास लगाई।

स्वराज्य इंडिया के संस्थापक और आंदोलनजीवी योगेंद्र यादव को आज तक की पत्रकार चित्रा त्रिपाठी ने ‘ट्रोलजीवी’ कहते हुए ट्विटर पर जमकर लताड़ा है। दरअसल, चित्रा त्रिपाठी ने टीवी शो के दौरान देश में पहली बार हुए चुनावों के जातीय आँकड़े सामने रखे थे। योगेंद्र यादव ने शो के दौरान इसे ‘पीड़ा’ बताते हुए कई तरह के सवाल खड़े किए थे। इसके बाद वह इस मुद्दे को लेकर ट्विटर पर भी कूद पड़े। जहाँ चित्रा त्रिपाठी ने योगेंद्र यादव को उनका इतिहास बताते हुए करारा जवाब दिया।

इस पूरे घटनाक्रम की शुरुआत गुरुवार (18 मई 2023) को आज तक के डिबेट शो ‘दंगल’ से हुई। इस शो में कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कॉन्ग्रेस को विभिन्न जातियों के वोटों को लेकर चर्चा हो रही थी। इस दौरान, चित्रा त्रिपाठी ने आजादी के बाद देश में पहली बार हुए विधानसभा चुनावों के आँकड़ें रखते हुए कहा था कि उस चुनाव में 22 राज्यों में से 13 राज्यों के मुख्यमंत्री ब्राह्मण थे। लेकिन मंडल कमीशन लागू होने के बाद खुद को बड़ा ओबीसी नेता बताने की होड़ मची हुई है। कर्नाटक में कॉन्ग्रेस ने सिद्धरमैया को सीएम बनाते हुए भी ओबीसी कार्ड ही खेला है। साथ ही उन्होंने राहुल गाँधी द्वारा जातीय जनगणना का मुद्दा उठाने को लेकर भी योगेंद्र यादव से सवाल पूछा था। वीडियो में इसकी शुरुआत 5 मिनट 30 सेकंड के बाद और बाद में 13 मिनट के बाद से सुना जा सकता है।

इस सवाल का जवाब देते हुए योगेंद्र यादव ने पहली बार हुए चुनावों में 12 राज्यों के मुख्यमंत्री ब्राह्मण होने की बात को पीड़ा बता दी। हालाँकि टीवी डिबेट के दौरान चित्रा त्रिपाठी ने कहा था कि वह सिर्फ इतिहास के आँकड़े बता रहीं हैं। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि वह पहली बार हुए विधानसभा चुनावों के आँकड़े बता रहीं हैं और यह दिखाना चाहतीं हैं कि किन लोगों का प्रभाव था तो यह कोई गुनाह नहीं है।

इस टीवी डिबेट का एक वीडियो आज तक ने अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया था। इस वीडियो को रीट्वीट करते हुए योगेंद्र यादव ने लिखा, “मैने पूछ ही लिया कि ‘आज तक’ बार बार उस युग को क्यों याद कर रहा है जब अधिकांश मुख्यमंत्री और एक चौथाई सांसद ब्राह्मण होते थे? कहीं इसके पीछे कोई पीड़ा तो नहीं? या उस अतीत का मोह? जाहिर है सवाल मेरी ही नीयत पर उठाए गए।”

योगेंद्र यादव के इस ट्वीट के बाद चित्रा त्रिपाठी ने उन्हें जवाब दिया। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “योगेंद्र यादव जी आपकी व्यक्तिगत कुंठा को समझा जा सकता है। मुझे आपके साथ सहानुभूति है। पहले अन्ना आंदोलन में अपने आपको कामयाब करने की कोशिश। फिर पद नहीं मिलने पर केजरीवाल से अदावत। फिर स्वयंभू बनने की कोशिश स्वराज आंदोलन से, अंततोगत्वा राहुल गाँधी की शरण में ( जो एक जनेऊधारी ब्राह्मण हैं) मैं ये नहीं कहूँगी कि आप अतिपाखंडी हैं। मगर अपनी महत्वाकांक्षा के लिए मीठी ज़ुबान से समाज को विभाजित करना देश के साथ ग़द्दारी होती है। मेरा सवाल काट कर मुझे ट्रोल कराने के लिए धन्यवाद। ईश्वर आप पर रहम करे।”

इसके बाद योगेंद्र यादव ने जवाब देते हुए एक और ट्वीट किया। इस लंबे चौड़े ट्वीट में उन्होंने लिखा, “अरे,आप तो सड़क छाप गाली गलौज पर उतर आईं। सवाल का जवाब आरोप और जन्मपत्री से वही लोग देते हैं जिनके पास तर्क न बचे हों। अगर यूरोप अमरीका के टीवी पर इस तरह की बात कही जाती ऐसे “white supremacism” के लिए एंकर ही नहीं पूरी चैनल को माफ़ी माँगनी पड़ती। खैर, कुछ और सवाल व एक प्रस्ताव:

1.) क्या आज तक और इंडिया टुडे का एग्जिट पोल यह नहीं दिखाता कि कर्नाटक में कॉन्ग्रेस को पिछड़ों के वोट में कोई असामान्य वृद्धि नहीं हुई? फिर कॉन्ग्रेस की जीत को पिछड़ी जातियों के समीकरण से जोड़ने की उतावली क्यों? आखिर यह मानने से परहेज क्यों हैं कि बीजेपी अपने निकम्मेपन और भ्रष्टाचार के कारण हारी?

2.) अगर यह विश्लेषण करना भी था तो कर्नाटक के सन्दर्भ में यह उद्घोष क्यों जरूरी था कि एक जमाने में देश में 13 ब्राह्मण मुख्यमंत्री और एक चौथाई ब्राह्मण सांसद थे?

3.) आपने शो में कॉन्ग्रेस की प्रवक्ता के बार-बार यह सही सवाल पूछा कि उनकी सरकार ने 2011 के सर्वे की रिपोर्ट जारी क्यों नहीं की। लेकिन मेरे दो बार याद दिलाने के बाद भी बीजेपी के प्रवक्ता से यह क्यों नहीं पूछा कि उन्होंने 2010 में जाति जनगणना और 2018 में ओबीसी जनगणना का समर्थन क्यों किया था?

4.) मैंने आपका कौनसा सवाल काटा है? ‘आज तक’ ने जो क्लिपिंग जारी की, बस उसे फॉरवर्ड किया है। इतना झूठा आरोप क्यों?

5.) अगर आप मेरे बारे में यह राय रखती हैं तो शो में मुझे ‘वरिष्ठ’, ‘पढ़ा-लिखा’ और ‘आदरणीय’ वगैरा क्यों बता रही थीं? आप शो में झूठ बोलती हैं? मुझे विश्वास है कि इन सब सवालों पर ‘आज तक’ में मुझसे चर्चा करने का समय निकलेंगी। मुझे इंतज़ार रहेगा।”

योगेंद्र यादव के इस ट्वीट के जवाब में चित्रा त्रिपाठी ने ‘कहानी खत्म’ करने के अंदाज में एक ट्वीट किया। इस ट्वीट में उन्होंने योगेंद्र यादव को उनका इतिहास याद दिलाया है। चित्रा ने लिखा, “आपने शुरू किया है तो मैं अंत कर देती हूँ। इसके बाद आप ट्वीट और टैग करते रहिएगा। कई बार इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है कि- फलाँ पढ़ा लिखा ‘जाहिल’ है। वैसे ये मैं आपको नहीं बोल रही हूँ। मुझे ये तब तक नहीं लगता था जब तक आप एक्सपोज़ नहीं हो गए।”

उन्होंने आगे लिखा, “आपका इतिहास- अन्ना के आंदोलन में कॉन्ग्रेस को गाली। अरविंद से झगड़े के बाद उनको गाली मौजूदा वक्त में गरीब और पिछड़े समाज से आने वाले ‘मोदी’ जी को गाली। फिर राहुल जी की भारत जोड़ो यात्रा में जाकर उसके बाद TV पर आकर उसी कॉन्ग्रेस पार्टी की पहली सरकार को गाली। उसी डिबेट शो में पहली विधानसभा से चुने हुए अलग-अलग राज्यों के कॉन्ग्रेस के मुख्यमंत्रियों को गाली आपने नेहरु-अंबेडकर-पटेल की पहली बनाई सरकार पर टिप्पणी की। जिसको कतई बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए मैंने भी वही किया। थोड़ा सा इतिहास का रिफ्रेंस क्या दे दिया मैंने- आप तो ट्रोलजीवी बन गए।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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