Sunday, November 17, 2024
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खालिस्तानी चरमपंथ के खतरे को किया नजरअंदाज, भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंधों को बिगाड़ने की कोशिश, हिंदुस्तान से नफरत: मोदी सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार में जुटी ABC न्यूज की ‘पत्रकार’ अवनी डायस

अवनी डायस और उनके साथी 'पत्रकारों' के लेख में ऑस्ट्रेलिया के खुफिया प्रमुख माइक बर्गेस के 2021 के एक सामान्य बयान को जोड़ने की कोशिश की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि भारत का ऑस्ट्रेलिया में 'जासूसों का अड्डा' है।

ऑस्ट्रेलियन ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (एबीसी) न्यूज ने रविवार (16 जून) को भारत पर एक और हमला किया और मोदी सरकार पर ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले खालिस्तानियों की हत्या की योजना बनाने का आरोप लगाया। भारत के खिलाफ इस टारगेटेड दुष्प्रचार अभियान की अगुवाई कर रही अवनी डायस थीं, जो पहले भारत सरकार पर अपने वीजा को रद्द करने का झूठ बोल बोल चुकी हैं और पकड़ी जा चुकी हैं।

एबीसी की ‘पत्रकार’ अवनी डायस और उनके तीन साथियों ने एबीसी न्यूज़ पर एक लेख प्रकाशित किया, जिसका हेडलाइन था- “Narendra Modi’s Indian government and its allies accused of spying, silencing Sikh critics and pushing its far-right ideology in Australia” इसी विषय पर सोमवार (17 जून) को 45 मिनट की एक डॉक्यूमेंट्री भी जारी की गई।

लेख की शुरुआत में ही ऑस्ट्रेलिया के लोगों के मन में देश में बढ़ते भारतीय प्रवासियों और उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा पर मोदी सरकार के कथित प्रभाव के बारे में डर पैदा करने की कोशिश की गई थी। इसमें लिखा था, “भारत सरकार के लंबे हाथ ऑस्ट्रेलियाई लोगों तक पहुँच रहे हैं, जो राष्ट्रीय सुरक्षा (ऑस्ट्रेलिया) के लिए खतरा है।”

अवनी डायस और उसके ग्रुप के लोगों ने दावा किया कि भारतीय सिक्योरिटी एजेंट्स ने हरजिंदर सिंह नाम के टैक्सी चलाने वाले को धमकाया, क्योंकि वो खालिस्तानी अलगाववादी है और मेलवर्न-ब्रिसबेन में खालिस्तान के कथित ‘जनमत संग्रह’ के आयोजन में सक्रिय है। प्रतिबंधित संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ के सदस्य हरजिंदर ने आरोप लगाया है कि उसे भारत सरकार की एजेंसियों से धमकी भरे फोन आ रहे हैं कि वो खालिस्तानी एजेंडा फैलान बंद कर दें या फिर मरने के लिए तैयार रहें। उसने दावा किया कि मोदी सरकार पंजाब में रह रहे उसके परिवार के सदस्यों को परेशान कर रही है।

वैसे, इस बात पर यकीन करना मुश्किल है कि भारत के सीक्रेट एजेंट इतने बेवकूफ होते हैं कि वो किसी खालिस्तानी को फोन पर धमकी देगा? (ये जानते हुए भी कि ऐसी कॉल्स तुरंत ट्रैक कर ली जाती हैं।) एबीसी न्यूज ने दावा किया कि भारतीय अधिकारियों की ओर से मिल रही मौत की धमकियों ने ऑस्ट्रेलिया में खालिस्तानियों को अपना ‘राजनीतिक कार्य’ बंद करने पर मजबूर कर दिया है। भारत में अलवगाववाद को बढ़ाने दे रहे विदेश में रहने वाले खालिस्तानी इसे राजनीतिक कार्य कह कर बचाव करते हैं और आतंकवादी कृत्यों को इसकी आड़ में छिपाने की कोशिश करते हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि, “भारतीय अधिकारियों की धमकियों के इस पैटर्न ने कुछ आस्ट्रेलियाई लोगों को अपने राजनीतिक कार्यों से पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया है, और कई लोग अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा के डर से सार्वजनिक रूप से बोलना नहीं चाहते हैं।”

अवनी डायस और उनके साथी ‘पत्रकारों’ ने बताया कि हरजिंदर सिंह ऑस्ट्रेलिया में खालिस्तान के लिए काम करते समय भारत से नहीं डलता। जबकि उसकी पत्नी इस बात से परेशान थी कि कहीं हरजिंदर सिंह का भी वही हश्र न हो, जो हरदीप सिंह निज्जर का कनाडा में हुआ।

खालिस्तानी आतंकवाद को कम करके आँकना

एबीसी न्यूज की रिपोर्ट में जानबूझकर खालिस्तानी खतरे को कम करके बताया गया और हरदीप सिंह निज्जर को कनाडा में एक गुरुद्वारे में काम करने वाला बताया, जबकि हकीकत ये है कि वो खालिस्तानी आतंकी था और भारत में वो वॉन्टेड था।

भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा फैलाने में जुटे एबीसी न्यूज ने इस रिपोर्ट में खालिस्तानी आतंकी मोइंदर सिंह को भी शामिल किया और भारत पर आरोप लगाने के लिए उसका इस्तेमाल किया। रिपोर्ट में लिखा है कि ‘मोनिंदर सिंह को भी कनाडा की सरकार ने हमले की चेतावनी दी थी, उस पर ऑस्ट्रेलिया में भी नजर रखी जा रही है। एबीसी न्यूज ने इस बात पर प्रकाश डाला कि आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर मोइंदर का “करीबी दोस्त” था और उसकी हत्या एक “दर्दनाक याद” है। इसने बताया कि कैसे खालिस्तानी आतंकवादी हमले करने के लिए तैयार थे, लेकिन विशेषज्ञों के हवाले से दावा किया कि इस तरह के चरमपंथ से कोई खतरा नहीं है।

लेख में दावा किया गया है कि “खालिस्तानी अलगाववादी आंदोलन में शामिल कुछ लोगों ने जरूरत के समय फिर से हथियार उठाने से इनकार नहीं किया है। वो हथियार उठा भी सकते हैं, लेकिन इसके लिए वो भारत सरकार के व्यवहार पर भी ध्यान देंगे कि वो कैसा व्यवहार हमारे साथ करती है। लेकिन जाँचकर्ताओं का मानना है कि फिलहाल खालिस्तानी चरमपंथ से कोई खतरा नहीं है।”

एबीसी न्यूज ने इस लेख में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की उनके खालिस्तानी अंगरक्षकों सतवंत और बेअंत सिंह द्वारा हत्या के मामले भी एक संदर्भ के तौर पर इस्तेमाल किया कि इंदिरा गाँधी की हत्या उनके सिख अंगरक्षकों ने इसलिए की, क्योंकि उन्होंने ऑपरेशन ब्लू-स्टार के दौरान अकाल तख्त पर हमले का आदेश दिया था। यही नहीं, एयर इंडिया फ्लाइट 182 को बम से उड़ा देने वाले खालिस्तान आतंकियों और तलविंदर सिंह परमार की भूमिका को भी कम करके दिखाया। उसमें लिखा गया, “सिख अलगाववादियों पर एयर इंडिया फ्लाइट 182 को बम से उड़ाने का ‘आरोप’ लगाया गया है।” जबकि यहाँ साफ-साफ लिखा जाना था कि खालिस्तानी आतंकियों ने उस जहाज को उड़ा दिया था।

खालिस्तानियों को भड़काने की कोशिश

एबीसी न्यूज ने खालिस्तानी कट्टरपंथी मोइन्दर सिंह का सहारा लेकर दावा किया कि भारत सरकार ऑस्ट्रेलिया में सिख समुदाय को निशाना बना रही है। सिंह ने कहा, “वे (भारतीय एजेंट) पहले से ही यहाँ हैं। वे पहले से ही हस्तक्षेप कर रहे हैं और यह यहाँ के सिख समुदाय के लिए बहुत खतरनाक है। अगर जल्द ही कुछ नहीं रोका गया, तो ऑस्ट्रेलिया जैसा देश भी कुछ सालों में कनाडा जैसी स्थिति में पहुँच सकता है। “

एबीसी ने अन्य खालिस्तानियों का भी हवाला दिया और दावा किया कि भारतीय अधिकारियों ने उनके परिवारों को आपराधिक मामलों में फँसाने की धमकी दी तथा ऑस्ट्रेलिया में उन्हें मौत की धमकी दी। इसमें कहा गया है , “कई ऑस्ट्रेलियाई सिख अलगाववादियों ने फोर कॉर्नर्स को बताया है कि भारतीय अधिकारियों ने भारत में उनके परिवारों से मुलाकात की है और विदेशों में उनके प्रियजनों की सक्रियता के कारण उन्हें धमकाया है।”

यह बताना जरूरी है कि मोदी सरकार खालिस्तानी अलगाववाद के खिलाफ भारत और विदेश में कड़ाई से कदम उठा रही है। ऐसे में यह साफ है कि पंजाब को भारत से अलग करने का सपना देखने वाले लोग सरकार को बदनाम करने का कोई मौका नहीं छोड़ेंगे।

जस्टिन ट्रूडो के अप्रमाणित दावों का समर्थन

एबीसी न्यूज के लेख में जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व वाली कनाडा सरकार द्वारा इस हत्या में भारत की कथित संलिप्तता के बारे में किए गए निराधार दावों का भी प्रमुखता से उल्लेख किया गया। इसमें दावा किया गया है, “कनाडा सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशासन पर हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया है, जिसे भारत ने नकार दिया है।”

एबीसी न्यूज ने आगे कहा, “एक दशक पहले मोदी के सत्ता में आने के बाद से उन्होंने भारत के खुफिया अभियानों को बढ़ा दिया है। मोदी के अनुसार, यह देश को अलगाववादी समूहों से बचा रहा है, जिन्हें उनके प्रशासन ने “आतंकवादी” करार दिया है। दो कथित हत्या की साजिशों से पता चलता है कि उनकी सरकार इसे हासिल करने के लिए किस हद तक जाने को तैयार है।”

इसका उद्देश्य इस निराधार अफवाह को ताकत देना है कि भारत की मोदी सरकार दूसरे देशों में हो रही हत्याओं में शामिल है। इससे पहले, इस साल अप्रैल की शुरुआत में द गार्जियन ने आरोप लगाया था कि भारत अपने घरेलू मैदान में पाकिस्तानी आतंकवादियों को मारने के लिए जिहादियों का इस्तेमाल कर रहा है।

भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंधों को नुकसान पहुँचाकर बनाया जा रहा भारत विरोधी माहौल

अवनी डायस और उनके साथी ‘पत्रकारों’ द्वारा लिखे गए लेख में भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंधों को कमजोर करने और कूटनीतिक अविश्वास का माहौल बनाने की कोशिश की गई। इसमें दावा किया गया है, “ऑस्ट्रेलिया की सरकार नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाले भारत सरकार को अपना महत्वपूर्ण साझेदार बना रही है, जबकि भारत सरकार ऑस्ट्रेलिया के अंदर अपने विरोधियों को चुप करा रही है और प्रवासियों को धमका रही है।”

राजनीति से प्रेरित इस लेख में आरोप लगाया गया कि भारत ने तथाकथित ‘दक्षिणपंथी हिंदू विचारधारा’ को बढ़ावा देने और ‘राजनीतिक शक्ति हासिल करने’ के लिए ऑस्ट्रेलिया में ‘जासूसों का अड्डा’ बना रखा है। इसमें दावा किया गया कि मोदी सरकार खुफिया अधिकारियों के माध्यम से ऑस्ट्रेलिया में भारतीय प्रवासियों पर नज़र रखने, हवाईअड्डों की सुरक्षा प्रोटोकॉल और संवेदनशील रक्षा प्रौद्योगिकी तक पहुँच प्राप्त करने की कोशिश कर रही है।

एबीसी न्यूज ने आरोप लगाया, “साल 2020 में भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंध पहले से कहीं बेहतर दिखे। क्षेत्र में चीन की बढ़ती ताकत के जवाब में व्यापार सौदे फल-फूल रहे थे और कई रक्षा गठबंधनों पर हस्ताक्षर किए जा रहे थे। हालाँकि, गुप्त रूप से ऑस्ट्रेलिया देश में भारत के जासूसी अभियानों से नाखुश था।” अवनि डायस और उनके प्रचारक मित्र ऑस्ट्रेलिया में भूरे रंग के भारतीयों की बढ़ती उपस्थिति के बारे में भी भय फैलाने पर तुले हुए थे।

लेख में बताया गया, “मोदी सरकार का प्रभाव ऑस्ट्रेलिया में दूसरे तरीकों से भी महसूस किया जा रहा है। ऑस्ट्रेलिया में भारतीय प्रवासियों की संख्या अब सबसे बड़ी है, जो ब्रिटेन में जन्मे लोगों के बाद दूसरे नंबर पर है। नरेंद्र मोदी और उनकी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए यह चुनावों में समर्थन पाने के लिए एक शक्तिशाली ताकत बन गई है। यह ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ द बीजेपी (ओएफबीजेपी) नामक एक समूह के माध्यम से किया जाता है, जिसकी ऑस्ट्रेलिया में मौजूदगी है। “

भारत को बदनाम करने वाली फर्जी कहानियाँ

अवनी डायस और उनके साथी ‘पत्रकारों’ के लेख में ऑस्ट्रेलिया के खुफिया प्रमुख माइक बर्गेस के 2021 के एक सामान्य बयान को जोड़ने की कोशिश की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि भारत का ऑस्ट्रेलिया में ‘जासूसों का अड्डा’ है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि चार भारतीय खुफिया अधिकारियों/राजनयिकों को उनकी ‘गुप्त गतिविधियों’ के कारण देश छोड़ने के लिए कहा गया था।

एबीसी न्यूज के लेख में दावा किया गया है, “निष्कासन गुप्त रूप से किया गया। वे एक-एक करके चले गए। मोदी सरकार, जो भारत को विश्व मंच पर एक सम्मानित और मजबूत खिलाड़ी बनाने पर केंद्रित थी, उसने सोचा कि वह सार्वजनिक शर्मिंदगी के बिना बच जाएगी।”

एबीसी न्यूज ने भारत विरोधी बयान देने के लिए ग्रीन्स पार्टी के सीनेटर डेविड शूब्रिज को भी शामिल किया। संयोग से ग्रीन्स पार्टी का एक ही पूर्व सांसद बॉब ब्राउन ऑस्ट्रेलिया में ‘अडानी वॉच’ नाम की वेबसाइट चलाता है, जो भारत और भारतीय व्यवसायिक समूह अडानी के खिलाफ फर्जी खबरें फैलाती है।

अवनि डायस से जुड़े कई विवाद

बता दें कि इस साल अप्रैल महीन में अवनी डायस ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर दावा किया था कि मोदी सरकार द्वारा उनके वीजा की अवधि न बढ़ाए जाने के कारण उन्हें अचानक भारत छोड़ना पड़ा। यही नहीं, वो निज्जर को लेकर एक और वीडियो जारी कर चुकी है, जिसमें निज्जर की हत्या में भारत की भी संलिप्लता की बात कही गई थी। इस वीडियो के माध्यम से भारत की छवि दूषित करने का भी प्रयास वो कर चुकी है। बहरहाल, मोदी सरकार ने यूट्यूब को एबीसी न्यूज और उसके दक्षिण एशिया ब्यूरो प्रमुख अवनी डायस द्वारा भारत विरोधी प्रचार वीडियो को रोकने का निर्देश दिया। वीडियो के यूट्यूब लिंक पर एक संदेश में लिखा है , “राष्ट्रीय सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था से संबंधित सरकार के आदेश के कारण यह सामग्री वर्तमान में इस देश में उपलब्ध नहीं है।” अवनी डायस को इस बात का यकीन था कि वो भारत सरकार को बदनाम करेगी तो भारत के दुश्मन उसका स्वागत और सम्मान करेंगे।

इससे पहले, अवनी डायस ब्रिस्बेन में श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में हुई बर्बरता में हिंदुओं की भूमिका पर आरोप लगाने, राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को ‘हिंदू वर्चस्ववादी’ कार्यक्रम के रूप में चित्रित करने का प्रयास करने, सरकारी स्कूलों में धार्मिक पोशाक पहनने का समर्थन करने, सीएए के बारे में झूठ फैलाने और उत्तर प्रदेश में गैर-कानूनी तरीके से धर्म परिवर्तन पर रोक लगाने वाले कानून को लेकर लोगों में गुस्सा भरने की कोशिश कर चुकी है।

हाल ही में, उन्हें भारतीय संविधान के बारे में झूठी बातें फैलाते हुए पकड़ा गया। डायस ने दावा किया कि 1947 में ब्रिटिश शासन से देश को आज़ादी मिलने के बाद से ही ‘धर्मनिरपेक्षता’ भारतीय संविधान का हिस्सा थी। उन्होंने ‘भारत के नरेंद्र मोदी के पीछे की कहानी’ शीर्षक वाले एक वीडियो में झूठे दावे किए, जिसका उद्देश्य यह दिखाना था कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत की धर्मनिरपेक्षता किसी तरह खतरे में है।

यह लेख मूल रूप से अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित की गई है। मूल लेख को पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

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Dibakar Dutta
Dibakar Duttahttps://dibakardutta.in/
Centre-Right. Political analyst. Assistant Editor @Opindia. Reach me at [email protected]

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