Thursday, November 21, 2024
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ऑपइंडिया के डोजियर के बाद Wikipedia को भारत सरकार का नोटिस, ‘राजनीतिक पूर्वाग्रह’ से ग्रसित बताया: हाई कोर्ट ने खुद को ‘इनसाइक्लोपीडिया’ कहने पर प्लेटफार्म से पूछे सवाल

कोर्ट ने पूछा, "विश्वकोश कहने के बाद क्या आप यह कह सकते हैं कि आप एक्स-वाई द्वारा मेरे विश्वकोश पर कही गई बातों का बिना इसकी सामग्री की पुष्टि किए मैं इसका समर्थन नहीं करता। 'विकिपीडिया, मुक्त विश्वकोश' यह आपका पहला वाक्य है, इससे आपका क्या मतलब है?"

ऑपइंडिया द्वारा विकिपीडिया के भारत विरोधी रुख पर विस्तृत डोजियर जारी करने के कुछ दिनों बाद भारत सरकार ने इस विदेशी प्लेटफॉर्म को नोटिस जारी किया है। वहीं, दिल्ली हाई कोर्ट ने ANI को सरकार का प्रोपेगेंडा टूल बताने के मामले में विकिपीडिया को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि उसे खुद को विश्वकोश नहीं कहना चाहिए।

सरकार द्वारा जारी नोटिस में विकिपीडिया पर प्रदर्शित बड़े पैमाने पर अशुद्धियों और पूर्वाग्रह के कई उदाहरणों को उजागर किया गया है। नोटिस में कहा गया है कि लोगों के एक छोटे समूह के पास प्लेटफॉर्म के कंटेंट का संपादकीय नियंत्रण है। सरकार ने पूछा कि विकिपीडिया को मध्यस्थ के बजाय प्रकाशक के रूप में क्यों नहीं माना जाना चाहिए।

ऑपइंडिया ने विकिपीडिया द्वारा गलत सूचना परोसने और भारत के खिलाफ राजनीतिक रूप से प्रेरित पूर्वाग्रह पर एक विस्तृत डोजियर जारी किया है। इस इस लिंक पर क्लिक करके पढ़ा जा सकता है। ऑपइंडिया के शोध में पता चला है कि विकिपीडिया ने मुट्ठी भर लोगों को असीमित शक्तियाँ दे रखी हैं, जिन्हें ‘प्रशासक’ कहा जाता है।

पूरी दुनिया में विकिपीडिया के केवल 435 सक्रिय प्रशासक हैं। इन प्रशासकों के पास संपादकों पर प्रतिबंध लगाने, स्रोतों को ब्लैकलिस्ट करने, योगदानकर्ताओं पर प्रतिबंध लगाने और लेखों पर किए जाने वाले संपादनों को वापस लेने का निर्णय लेने की शक्ति है।

ऑपइंडिया द्वारा डोजियर जारी करने के तुरंत बाद एक अन्य वामपंथी प्लेटफॉर्म फेसबुक ने डोजियर को प्रतिबंधित कर दिया, ताकि इसके दर्शकों की संख्या सीमित हो सके। फेसबुक पर अमेरिकी चुनावों में हस्तक्षेप करने और एक खास विचारधारा के राजनीतिक हित को आगे बढ़ाने के कई आरोप हैं।

ANI को ‘सरकार का प्रोपेंगेडा टूल’ बताने पर कोर्ट में विकिपीडिया

वहीं, भारतीय मीडिया एजेंसी ANI को विकिपीडिया की वेबसाइट पर सरकार का प्रोपेगेंडा टूल बताने के मामले में कोर्ट में सुनवाई चल रही है। दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार (1 नवंबर) को एएनआई के बारे में विकी पेज पर किए गए अपमानजनक संपादनों को हटाने की माँग में बाधा डालने के लिए आड़े आने पर कड़ी फटकार लगाई।

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि विकिपीडिया को अपमानजनक संपादनों का बचाव करने का अधिकार नहीं है, क्योंकि वह केवल मध्यस्थ होने का दावा करता है। जज ने कहा, “यदि आप मध्यस्थ हैं तो आपको क्यों परेशानी हो रही है? यदि किसी और ने संपादन किया है और वह बिना किसी आधार के है तो उसे हटा दिया जाता है।”

कोर्ट ने आगे कहा, “यदि आप केवल एक प्लेटफॉर्म हैं और किसी और ने उन पर चीजें लिखी हैं, लेकिन वे अदालत में आने के लिए तैयार नहीं हैं तो मुझे आपकी बात क्यों सुननी चाहिए। मैं केवल यह देखूँगा कि आपके विश्वकोश में दी गई राय सही तस्वीर पेश नहीं करती है, क्योंकि लेख (हाइपरलिंक स्रोत) का सही प्रतिनिधित्व नहीं है।”

कोर्ट ने कहा कि यह ‘परेशान करने वाला’ है कि विकिपीडिया खुद को एक विश्वकोश के रूप में प्रस्तुत कर रहा है, जबकि वह दावा करता है कि वह इस मंच पर लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। जज ने एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका जैसे प्रकाशन का उदाहरण देते हुए कहा कि विश्वकोश आमतौर पर प्रामाणिकता के साथ आते हैं।

कोर्ट ने पूछा, “विश्वकोश कहने के बाद क्या आप यह कह सकते हैं कि आप एक्स-वाई द्वारा मेरे विश्वकोश पर कही गई बातों का बिना इसकी सामग्री की पुष्टि किए मैं इसका समर्थन नहीं करता। ‘विकिपीडिया, मुक्त विश्वकोश’ यह आपका पहला वाक्य है, इससे आपका क्या मतलब है?”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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