बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर पर्दा डालने के लिए इस्लामी कट्टरपंथ के समर्थक लगतार जुटे हुए हैं। इस कोशिश में अब इस्लामी देश क़तर का सरकारी मीडिया अल जजीरा भी शामिल हो गया है। उसे हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों को दिखाना ‘इस्लामोफोबिक’ नजर आ रहा है। अल जजीरा का कहना है कि भारतीय मीडिया बांग्लादेश में हिन्दुओं पर इस्लामी कट्टरपंथियों के अत्याचार को दिखा रही है, इसलिए वह इस्लामोफोबिक है।
अल जजीरा ने शुक्रवार (9 अगस्त, 2024) को शीर्षक, ‘इस्लामोफोबिक, अलार्मिस्ट: हाउ सम इंडिया आउटलेट्स कवर्ड बांग्लादेश क्राइसिस’ से एक लेख प्रकाशित किया। इसे फैसल महमूद और सकीब सरकार ने लिखा है। इसमें भारतीय मीडिया के हिन्दुओं पर अत्याचार करने की रिपोर्टिंग करने को अल जजीरा ‘इस्लामोफोबिक’ बता रहा है।
इस लेख में दावा किया गया है कि टाइम्स ग्रुप के मिरर नाउ ने एक भ्रामक खबर चलाई कि 24 लोगों को बांग्लादेश में भीड़ ने जिंदा जला दिया और ‘हमलों के केंद्र में अल्पसंख्यक थे’ ताकि यह संकेत दिया जा सके कि हिंदुओं को जिंदा जलाया गया है। हालाँकि, यह दावा फर्जी है क्योंकि मिरर नाउ ने ना ही यह कहा कि मरने वाले सारे हिन्दू थे और ना ही यह कहा कि पूरे बांग्लादेश में मात्र हिन्दुओं पर हमला हो रहा है। अल जजीरा ने हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों को कम करने के दिखाने की कोशिश भी की है।
अल जजीरा ने इस लेख में दावा किया कि जबसे हिंसा चालू हुई है, तब से मात्र दो हिन्दुओं की हत्या हुई है। हालाँकि, यह बात सर्वथा गलत है क्योंकि कई जगह हिन्दुओं को निशाना बनाया गया है और बड़ी संख्या में हिन्दू मारे गए हैं। यहाँ तक कि हिन्दुओं के पूरे-पूरे गाँव जलाए गए हैं। अल जजीरा यहीं नहीं रुकता है। अल जजीरा भारतीय मीडिया के इस बात को भी गलत बताता है कि BNP ने भी शेख हसीना सरकार को गिराया। अल जजीरा का दावा है कि यह सब कुछ छात्र प्रदर्शन के कारण हुआ।
जहाँ यह बात ठीक है कि यह आन्दोलन छात्रों के प्रदर्शन से प्रारम्भ हुआ था लेकिन कुछ ही दिनों के बाद इसमें BNP और जमात-ए-इस्लामी शामिल हो गए और हसीना सरकार के खिलाफ हिंसा की। हसीना सरकार के जवाब देने पर प्रदर्शन और भड़का और सरकार गिर गई। अल जजीरा बांग्लादेश में हिन्दू पर इस्लामी कट्टरपंथियों के हमलों को बचाने के लिए और आगे निकल गया। अल जजीरा ने यह भी दावा किया कि हिन्दुओं पर बांग्लादेश में हो रहे हमले धार्मिक कारणों से नहीं हो रहे।
अल जजीरा का दावा है कि यह हमले इसलिए हो रहे हैं क्योकि हिन्दू सत्ता से बाहर हो चुकी आवामी लीग के समर्थक के तौर पर देखे जाते थे। अल जजीरा ने यह भी कहानी गढ़ दी कि मुस्लिम बहुत बांग्लादेश में हिन्दू शेख हसीना की सत्ता के दौरान बाकियों को चिढ़ाते थे, इसलिए उनके साथ अत्याचार हो रहा है। अल जजीरा यहाँ भी नहीं रुका। उसने यह भी दावा कर दिया कि मुस्लिम बांग्लादेश में हिन्दू मंदिरों को बचा रहे हैं। हालाँकि, अल जजीरा यह नहीं बता पाया कि मुस्लिम मंदिरों को बचा किनसे रहे हैं।
अल जजीरा ने हिन्दुओं के विरुद्ध हिंसा की तुलना भारत में मुस्लिमों के खिलाफ होने वाली इक्का-दुक्का वारदातों से भी कर दी। ध्यान देने वाली बात यह है कि भारत में जो हमले मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा के तौर पर पेश किए जाते हैं, उनमें से कई झूठे निकलते हैं या फिर उनकी सच्चाई कुछ अलग होती है। लेकिन बांग्लादेश के मामले में ऐसा नहीं है, बांग्लादेश में हिन्दुओं के विरुद्ध हिंसा इसलिए हो रही है क्योंकि वह हिन्दू और इस्लामी कट्टरपंथी उन्हें काफिर समझते हैं।
हालाँकि, यह कोई नई बात नहीं है कि विदेशी और भारतीय वामपंथी मीडिया हिन्दुओं के खिलाफ इस्लामी कट्टरपंथियों के अत्याचारों पर पर्दा डाल रहा हो। इससे पहले बांग्लादेश मामले में ही न्यूयॉर्क टाइम्स ने भी यही सिद्ध करने का प्रयास किया था कि हिन्दुओं के खिलाफ हिंसा राजनीतिक है। भारतीय वामपंथी प्रोपेगेंडा पोर्टल स्क्रॉल ने सिरे से हिंसा को नकारने की बात की थी। यहाँ तक कि स्क्रॉल ने इस हिंसा को जायज तक ठहराया था।
यह लेख मूल रूप से अंग्रेजी में श्रद्धा पाण्डेय ने लिखा है, इसे पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।